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Zelenskyy Calls PM Modi- यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की और पीएम मोदी में लंबी बातचीत, रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के होंगे प्रयास

Zelenskyy Calls PM Modi- यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की और पीएम मोदी में लंबी बातचीत, रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के होंगे प्रयास

Zelenskyy Calls PM Modi

Zelenskyy Calls PM Modi- रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। यह युद्ध 2022 से जारी है और लगातार बढ़ते हमले, नागरिकों की जान-माल की हानि और वैश्विक राजनीतिक तनाव का कारण बन रहे हैं।

हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskyy ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में जेलेंस्की ने रूसी हमलों की ताजा स्थिति से अवगत कराया और युद्ध समाप्त करने के लिए शांति प्रयासों में भारत की भूमिका पर चर्चा की।

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन होने वाला है। इस फोन कॉल का उद्देश्य युद्ध की वर्तमान स्थिति की जानकारी देना और शांति प्रयासों में भारत की भूमिका पर चर्चा करना था।

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Zelenskyy Calls PM Modi- जेलेंस्की ने पीएम मोदी को मिलाया फोन, हुई लंबी बातचीत

फोन कॉल में क्या हुई बातचीत

व्लादिमीर जेलेंस्की ने पीएम मोदी को बताया कि हाल ही में रूस ने यूक्रेन के कई क्षेत्रों में मिसाइल और ड्रोन हमले तेज कर दिए हैं। इन हमलों में न केवल सैन्य ठिकाने बल्कि नागरिक बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया जा रहा है। बिजली संयंत्र, जल आपूर्ति केंद्र और आवासीय इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है।

उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से भारत जैसे बड़े और प्रभावशाली देश, इस संघर्ष को समाप्त करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जेलेंस्की ने भारत की ‘शांति और संवाद’ की नीति की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि भारत युद्ध को खत्म करने के प्रयासों में सक्रिय समर्थन देता रहेगा।

भारत की स्पष्ट प्रतिक्रिया

पीएम मोदी ने जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि भारत हमेशा शांति, संवाद और कूटनीतिक समाधान का समर्थक रहा है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि रूस और यूक्रेन दोनों पक्ष युद्धविराम और वार्ता के माध्यम से विवाद सुलझाएं। भारत पहले भी इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संतुलित रुख अपनाता रहा है।

भारत का मानना है कि युद्ध से न केवल सीधे प्रभावित देश बल्कि पूरी दुनिया को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य संकट, ऊर्जा की कमी और महंगाई बढ़ी है, जिसका असर विकासशील देशों पर ज्यादा पड़ा है।

शांति के प्रयास पर भारत का स्पष्ट रुख

प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया पर इस बातचीत की पुष्टि की और कहा कि उन्हें राष्ट्रपति Volodymyr Zelenskyy के साथ बात करके और हाल के घटनाक्रमों पर उनके विचार सुनकर खुशी हुई। पीएम मोदी ने इस अवसर पर संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर भारत के स्थिर और सुसंगत रुख को फिर से दोहराया।

उन्होंने ज़ेलेंस्की को आश्वस्त किया कि भारत इस दिशा में हर संभव योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का यह रुख “यह युद्ध का युग नहीं है” के प्रधान मंत्री मोदी के प्रसिद्ध बयान पर आधारित है, जिसे उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन सहित कई वैश्विक मंचों पर दोहराया है।

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भारत ने हमेशा कूटनीति और संवाद को इस संघर्ष को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता बताया है। इस बातचीत में, पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की इच्छा भी व्यक्त की।

ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन और भारत की भूमिका

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और रूस के बीच 15 अगस्त को अलास्का में एक शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। भारत ने इस शिखर सम्मेलन का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि यह बैठक यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने और शांति की संभावनाएँ खोलने का वादा करती है। Volodymyr Zelenskyy और मोदी के बीच हुई इस बातचीत को इस आगामी शिखर सम्मेलन से पहले यूक्रेन के लिए भारत का समर्थन हासिल करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है।


यूक्रेन चाहता है कि दुनिया के प्रभावशाली देश रूस पर दबाव डालें ताकि वह युद्ध विराम के लिए तैयार हो। इस संदर्भ में, भारत, जो एक प्रमुख वैश्विक शक्ति है और रूस के साथ मजबूत संबंध रखता है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

क्या है युद्ध की मौजूदा स्थिति

जेलेंस्की की बातचीत ऐसे समय में हुई है जब रूस ने यूक्रेन के ऊर्जा ढांचे पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू कर दिए हैं। सर्दियों के मौसम में बिजली और हीटिंग सिस्टम का नुकसान यूक्रेन के नागरिकों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर सकता है।

यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों से हथियार, सैन्य सहायता और वित्तीय मदद प्राप्त कर रहा है, लेकिन युद्ध का अंत अभी दूर दिखाई देता है। दूसरी ओर, रूस का कहना है कि वह अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए यह अभियान जारी रखेगा।

भारत कर सकता है मध्यस्थता

भारत का रूस और यूक्रेन दोनों से पुराने कूटनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। रूस के साथ भारत की रक्षा और ऊर्जा साझेदारी दशकों पुरानी है, वहीं यूक्रेन के साथ भी भारत ने कृषि, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग किया है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों को लगता है कि भारत इस युद्ध में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

हालांकि, भारत ने अब तक प्रत्यक्ष मध्यस्थता की पहल नहीं की है, लेकिन वह मानवीय सहायता और शांति प्रयासों में समर्थन देता रहा है। भारत ने यूक्रेन को दवाइयां, राहत सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुएं भेजी हैं।

द्विपक्षीय संबंध और भविष्य की योजनाएँ

दोनों नेताओं ने भारत-यूक्रेन द्विपक्षीय साझेदारी में हुई प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की और भविष्य में संपर्क में बने रहने पर सहमति व्यक्त की। इस बात की भी संभावना है कि दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं।

भारत ने हमेशा यूक्रेन के लोगों के प्रति अपना समर्थन बनाए रखा है। युद्ध की शुरुआत में, भारत ने ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत हजारों भारतीय छात्रों को यूक्रेन से सुरक्षित बाहर निकाला था। यह मानवीय पहलू भी दोनों देशों के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अहम है भारत की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में भारत ने युद्ध को लेकर ‘संवाद और कूटनीति’ का संदेश दोहराया है। भारत ने हमेशा कहा है कि हिंसा और सैन्य समाधान के बजाय वार्ता ही स्थायी शांति का रास्ता है।

भारत की यह स्थिति उसे पश्चिमी देशों और रूस—दोनों के साथ संवाद बनाए रखने में मदद करती है। यही कारण है कि Volodymyr Zelenskyy ने पीएम मोदी से संपर्क कर शांति प्रयासों में भारत के समर्थन की उम्मीद जताई।

भविष्य में बढ़ सकती हैं चुनौतियां

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रूस-यूक्रेन युद्ध जितना लंबा खिंचता है, उतनी ही जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं। शांति वार्ता की संभावना तभी मजबूत होगी जब दोनों पक्ष अपनी शर्तों में लचीलापन दिखाएं। भारत जैसे देशों की चुनौती यह होगी कि वे दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

जेलेंस्की और मोदी की यह बातचीत इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा सकती है, लेकिन वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब अंतर्राष्ट्रीय दबाव और मध्यस्थता प्रयासों से रूस और यूक्रेन किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेंगे।

कुल मिलाकर, पीएम मोदी और Volodymyr Zelenskyy के बीच यह फोन कॉल, यूक्रेन के युद्ध की स्थिति को समझने और शांति प्रयासों में भारत की भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है और वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखता है।

दोनों देशों के प्रमुखों के बीच की इस बातचीत ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत की विदेश नीति का मुख्य आधार ‘शांति, संवाद और संतुलन’ है। बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की यह भूमिका न केवल उसके वैश्विक प्रभाव को मजबूत करेगी, बल्कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में स्थिरता लाने में भी मददगार साबित हो सकती है।


इमेज सोर्स : X 

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