World Ozone Day 2025: हर साल 16 सितंबर को पूरी दुनिया विश्व ओज़ोन दिवस (World Ozone Day) मनाती है। इसका उद्देश्य लोगों को ओज़ोन परत की अहमियत समझाना और उसे सुरक्षित रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों को उजागर करना है।
इस साल 2025 का थीम रही – “From Science to Global Action” यानी “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई तक”। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि वैज्ञानिक चेतावनियों से शुरू हुआ सफर आज वैश्विक समझौते और ठोस कदमों तक पहुँच चुका है।
World Ozone Day 2025: ओज़ोन दिवस का इतिहास
ओज़ोन परत को बचाने के लिए 1985 में वियना कन्वेंशन लागू किया गया था। इसके बाद 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल आया, जिसने ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों (जैसे CFCs और HCFCs) के इस्तेमाल पर रोक लगाने का वैश्विक संकल्प लिया।
1/2 World Ozone Day 2025
Today, the EPA joins the world in marking 40 years since nations united under the Vienna Convention to protect the ozone layer. pic.twitter.com/ntHzIMB6em
— Environmental Protection Authority (@EPA_Ghana) September 16, 2025
यही वजह है कि ओज़ोन परत अब धीरे-धीरे ठीक हो रही है। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दशकों में ओज़ोन परत पूरी तरह से सुरक्षित हो सकती है।
2025 का थीम और संदेश
इस साल का थीम “From Science to Global Action” बताता है कि वैज्ञानिकों की रिसर्च और चेतावनी के बाद दुनिया ने मिलकर कदम उठाए। यही वजह है कि आज मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को सबसे सफल पर्यावरणीय समझौतों में गिना जाता है।
On the occasion of World Ozone Day 2025, 24 Cadets and 1 instructor from 17 BN, Prayagraj were distributed plant saplings by BSI, CRC and Mission Life pledge was administered by Dr.O.N.Maurya, Scientist E under the guidance of Dr.Vinay Ranjan, Scientist E& Head of Office,BSI CRC. pic.twitter.com/TveFFAqJTR
— Central Regional Centre, BSI,Prayagraj (@BSI_CRCPRYJ) September 16, 2025
यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि अगर विज्ञान और नीति मिलकर काम करें, तो बड़े से बड़ा पर्यावरणीय संकट टाला जा सकता है।
World Ozone Day कैसे बचाता है धरती को
World Ozone Day हमें यह याद दिलाता है कि ओज़ोन परत धरती को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है। अगर यह परत न हो, तो मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है जैसे स्किन कैंसर, आँखों की बीमारियाँ और प्रतिरक्षा प्रणाली पर बुरा प्रभाव। पौधों और समुद्री जीवन पर भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
World Ozone Day को मनाकर दुनिया भर के लोग ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों के इस्तेमाल को कम करने और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक अपनाने का संकल्प लेते हैं। यही वैश्विक प्रयास धरती को सुरक्षित रखने और आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ वातावरण देने में मदद करते हैं।
भारत की पहल
भारत ने भी ओज़ोन परत की सुरक्षा में अहम योगदान दिया है।
On #WorldOzoneDay, we celebrate the incredible success of global cooperation through the Montreal Protocol, which has led to a 99% reduction in ozone-depleting substances. This collective action is a testament to what we can achieve when we unite for our planet. Let’s continue to… pic.twitter.com/XtlmgahC98
— DD News (@DDNewslive) September 16, 2025
भारत ने 1 जनवरी 2025 तक HCFCs (Hydrochlorofluorocarbons) के 67.5% उपयोग को खत्म करने का लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया है।
देश का India Cooling Action Plan इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा मिल रहा है।
पर्यावरण मंत्रालय ने बताया है कि भारत हर साल करोड़ों टन CO2 उत्सर्जन को रोकने में मदद कर रहा है।
विश्व स्तर पर स्थिति
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, अंटार्कटिका के ऊपर बनने वाला “ओज़ोन होल” अब पहले से छोटा होता जा रहा है। हालांकि, वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक गतिविधियाँ और कुछ प्राकृतिक घटनाएँ इस सुधार की गति को प्रभावित कर सकती हैं। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर सतर्कता और कार्रवाई जारी रखना बेहद जरूरी है।
चुनौतियाँ अभी बाकी
कई देशों में ओज़ोन-नाशक रसायनों (ODS) का पूर्णत: खात्मा अभी नहीं हुआ है।
HFCs जैसे रसायन, जो ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाते हैं, अभी भी उपयोग में हैं और उन्हें धीरे-धीरे कम करना होगा।
आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि छोटे-छोटे घरेलू उपकरण भी ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
World Ozone Day 2025 यह संदेश देता है कि अगर पूरी दुनिया एकजुट होकर वैज्ञानिक चेतावनियों को गंभीरता से ले, तो पर्यावरणीय संकट से निपटा जा सकता है। भारत समेत कई देशों ने बड़ी प्रगति दिखाई है, लेकिन आने वाले सालों में और भी ठोस कदम उठाना जरूरी होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित वातावरण मिल सके।
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