What is MayDay Call in Hindi- गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हो गया है। इस विमान हादसे में क्रू मेंबर समेत 240 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर मिल रही है। मृतकों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी हैं।
एयरपोर्ट अथॉरिटी के अनुसार विमान टेक-ऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गया और किसी को बचने का मौका भी नहीं मिला। एयर इंडिया के इस प्लेन के क्रैश होने की असली वजह अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन प्लेन क्रैश से ठीक पहले पायलट ने ATC को रेडियो सिग्नल भेजा था, जिसमें उसने कई बार Mayday शब्द का इस्तेमाल किया था।
What is MayDay Call in Hindi- आखिर क्यों बोला जाता है MayDay
डीजीसीए की तरफ से बताया गया है कि एयर इंडिया के इस प्लेन ने दोपहर 1 बजकर 39 मिनट पर उड़ान भरी थी, लेकिन टेक-ऑफ के तुरंत बाद विमान ने अहमदाबाद के सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट पर एटीसी को MAYDAY कॉल दी थी।
India’s interior minister has said there is “no chance” of finding any more surviving passengers. There were 242 people on board. Among those who died was Gujarat state’s former chief minister Vijay Rupani.https://t.co/PHRCvbXOJ0
— DW News (@dwnews) June 12, 2025
पायलट के Mayday कॉल के बाद रेडियो पर कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ और कुछ ही देश में प्लेन क्रैश हो गया। आखिर क्या होती है यह MAYDAY कॉल और यह कब दी जाती है?
क्या होती है MAYDAY Call?
MAYDAY Call एक इमरजेंसी मैसेज होता है, जो ऐसे समय में दिया जाता है जब विमान आपातस्थिति में होता है। पायलट को केबिन से इसका पता चलता है। इस स्थिति में प्लेन का इंजन फेल हो जाना, विमान में आग लगना, हाईजैक की स्थिति, किसी खतरनाक तूफान में फंसे होने जैसी परिस्थितियां शामिल होती हैं।
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जब भी कोई प्लेन ऐसी खतरनाक स्थिति होता है तो पायलट रेडियो सिग्नल्स के जरिए MAYDAY MAYDAY MAYDAY तीन बार बोलता है। यह पास के ATC और फ्लाइट में मौजूद क्रू मेंबर्स के लिए इंमरजेंसी सिचुएशन को बताता है। तीन बार MAYDAY बोलने का सीधा मतलब होता है, किसी भी तरह सबसे पहले प्लेन की लैंडिंग कराई जाय और सभी यात्रियों को सुरक्षित बचाया जाय।
MAYDAY जैसी कंडीशन में क्रू मेंबर्स के साथ ही ATC के लोग भी अलर्ट हो जाते हैं क्योंकि यह इमरजेंसी का साइन माना जाता है। MAYDAY का मतलब ही होता है कि यह मजाक का समय नहीं है, विमान में कुछ गड़बड़ी है और तत्काल मदद की जरूरत है।
क्या होता है MAYDAY कॉल के बाद
जब भी किसी इमरजेंसी सिचुएशन में MAYDAY कॉल होता है तो इसके बाद पायलट प्लेन की पूरी जानकारी नजदीक के एटीसी के अलावा क्रू मेंबर्स और नजदीक उड़ रहे प्लेन के साथ शेयर करता है। इससे यात्रियों को बचाने में मदद मिलती है।
MAYDAY कॉल के बाद ATC तुरंत ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर देता है। इसमें इमरजेंसी लैंडिंग से लेकर, एम्बुलेंस ओर फायर ब्रिगेड को तैयार रखना होता है। इसके अलावा रनवे को प्लेन की लैंडिंग के लिए खाली कराया जाता है।
किस टाइम होता है प्लेन क्रैश का ज्यादा खतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1 लाख घंटे की उड़ान में से औसतन 7 घंटे एक्सिडेंट का खतरा बना रहता है। जबकि एक लाख उड़ानों में एवरेज 1 प्लेन क्रैश जानलेवा साबित होता है। चलिए जानते हैं कि प्लेन में टेकऑफ या लैंडिंग में से क्रैश की संभावना कब होती है।
जब भी प्लेन लैंडिंग या टेकऑफ करते हैं तो इसे मेनुवरिंग फेज कहते हैं। इस दौरान पायलट सबसे ज्यादा सतर्क रहता है। इस दौरान हल्की सी चूक यात्रियों के साथ पूरे क्रू मेंबर्स पर भारी पड़ सकती है। प्लेन के टेकऑफ करते समय कम समय लगता है। इसीलिए फ्यूल की खपत भी कम होती है।
वहीं किसी भी प्लेन की लैंडिंग में ज्यादा समय लगता है और यह टेक-ऑफ से ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होती है। प्लेन के लैंडिंग में पायलट का एक्सपीरियंस काफी काम आता है। दुनिया भर में अधिकतर विमान हादसे लैंडिंग के समय ही हुए हैं।
आंकड़े हैं मौजूद
विमान हादसों की लिस्ट को देखा जाय तो कुल हादसों में लगभग के 14 प्रतिशत हादसे टेकऑफ के समय होते हैं। इस दौरान इंजन फेल होने, लैंडिंग गियर जाम होने के कारण अधिकतर हादसे हुए हैं। इसका मुख्य कारण टेकऑफ़ के समय प्लेन की 100 mph से भी ज्यादा की तेज स्पीड पाई गई है।
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इस दौरान इंजन फेल होने या गियर के काम ना कर पाने पर पायलट के पास सोचने के लिए काफी कम वक्त होता है। प्लेन की लैंडिंग काफी खतरनाक मानी जाती है और लगभग 60 % से ज्यादा हादसे सिर्फ लैंडिंग के समय हुए हैं।
लैंडिंग के समय पायलट को हवा की गति, खाली रनवे, लैंडिंग गियर और इंजन को चेक करके प्लेन को लैंड कराना होता है। इनमें से एक छोटी सी भी गलती प्लेन क्रैश का कारण बन सकती है। कई बार पायलट की गलती से भी प्लेन क्रैश हो जाता है।
क्रैश के बाद भी सेफ है हवाई सफर
अक्सर प्लेन क्रैश की खबरें न्यूज चैनलों पर सुनाई देती हैं। इसके बावजूद भी हवाई यात्रा को काफी सुरक्षित माना जाता है। दरअसल, रेल या सड़क मार्ग से सफर के दौरान हादसे के कई कारण हो सकते हैं। इसमें सीधी टक्कर, रॉन्ग रूट, हाई स्पीड की वजह से जान जाने का खतरा रहता है।
वहीं प्लेन से सफर के दौरान इन चीजों की संभावना ही नहीं होती। अक्सर विमान हादसे तभी होते हैं, जब विमान में कोई टेक्निकल प्रॉब्लम हो या फिर पायलट ने जरूरी नियमों का पालन ना किया हो।
क्रैश के बाद कैसे लगती है आग
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हवाई जहाजों का प्रयोग एक देश से दूसरे देश की लंबी यात्राओं के लिए या हजारों किलोमीटर की यात्रा के लिए किया जाता है, ऐसे में उन्हें भारी मात्रा में फ्यूल की भी जरूरत होती है। दरअसल फ्यूल को किसी भी प्लेन की मेन बॉडी में स्टोर नहीं किया जाता है।
फ्यूल को प्लेन के विंग्स के पास ही स्टोर करते हैं। विंग्स में ही प्लेन के इंजन लगे होते हैं। ऐसे में यहीं पर फ्यूल स्टोर करने से उसे इंजन तक पहुंचाने में आसानी होती है। ऐसे में जब भी प्लेन क्रैश होता है या उसके विंग्स को नुकसान होता है तो इंजन में आग लग जाती है। पास में ही फ्यूल स्टोर होने से आग तेजी से फैलती है।
इन जगहों पर बैठने से बच सकते हैं आप
प्लेन क्रैश में कुछ ऐसी सीट होती हैं जहां प्लेन क्रैश के बाद भी आपके बचने की ज्यादा उम्मीद होती है। पिछले कई विमान हादसों की जांच के बाद यह पता चला है कि किसी भी प्लेन में जो व्यक्ति पीछे की सीटों पर बैठा होता है, उसके जीवित बचने की उम्मीद ज्यादा होती है।
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इसके कुछ पुख्ता सबूत अलग अलग तस्वीरों में भी मिले हैं। कई जिंदा बचे लोगों ने भी यह बताया है कि उनकी पीछे की सीट थी, जिसके कारण उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई और वे जीवित बच पाए।
दरअसल जब भी कोई प्लेन क्रैश होता है तो या तो उसका आगे का हिस्सा नष्ट होता है या उसके विंग्स हादसे का शिकार होते हैं। अधिकतर हादसों में विमान के पिछले हिस्से पर हादसे का उतना असर नहीं दिखाई दिया है।
कुछ मामलों में ही पूरा प्लेन क्रैश हुआ है। इनमें किसी के भी बचने की संभावना काफी कम पाई गई है। प्लेन क्रैश के समय में बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली इन सीटों पर अधिकतर लोग सफर नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए क्योंकि पीछे की सीट के तुरंत बाद वॉशरूम और इमरजेंसी एक्जिट होता है।
वहीं क्रू मेंबर्स भी पीछे की सीट के बाद ही मौजूद रहते हैं। रिसर्चर के मुताबिक किसी भी प्लेन की सबसे खतरनाक सीट बीच की होती है। अक्सर प्लेन क्रैश के समय प्लेन बीच से ही टूटता है और ऐसे में यहां बैठे लोगों का बचना बहुत मुश्किल होता है।
हालांकि लाखों हवाई यात्रा के बीच कुछ के ही क्रैश होने की संभावना होती है। इसमें भी कोई ना कोई तकनीकी गड़बड़ी होती है। इधर कुछ वर्षों के दौरान प्लेन क्रैश के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
ऐसे में सरकार के साथ साथ एयरलाइन कंपनियों को भी अपने पायलट और केबिन क्रू के पर्याप्त आराम और नींद पूरी करने जैसी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा करने से अहमदाबाद जैसा भीषण हादसा होने से बच सकता है।
इमेज सोर्स: Unsplash
एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171 हादसे में 200 से ज़्यादा लोगों की मौत
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।