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Unknown Mysteries About Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर के अनसुलझे रहस्य, जिससे विज्ञान भी है हैरान।
Unknown Mysteries About Tirupati Balaji Temple: भारत अपनी प्राचीन परंपरा और संस्कृति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है खासकर अगर हमारे देश में मंदिरों की बात करें तो उत्तर से लेकर दक्षिण तक सैकड़ो आकर्षित करने वाले प्राचीन मंदिर है। और इन मंदिरों की बनावट कुछ इस प्रकार की है की जो भी उन्हें देखता है उनकी खूबसूरती में खो जाता है।
इतना ही नहीं भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने आप में कई रहस्य लिए हुए हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर। आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस मंदिर के विषय में कुछ ऐसे रहस्य को बताएंगे जिनके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
Unknown Mysteries About Tirupati Balaji Temple: जानिये तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्य?
1.भगवान विष्णु का रूप
तिरुपति बालाजी मंदिर दक्षिण भारत में स्थित आंध्र प्रदेश शहर के तिरुमाला पहाड़ियों पर स्थित है यह मंदिर पहाड़ियों के सातवीं चोटी पर स्थित है इसीलिए इसे “टेंपल ऑफ़ सेवेन हिल्स” भी कहा जाता है। तिरुपति बालाजी भगवान विष्णु का रूप है और ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन युग में हुई मुसीबत की वजह मानव जीवन को बचाने के लिए भगवान विष्णु अवतरित हुए थे।
आपको बता दे तिरुपति बालाजी को भगवान वेंकटेश्वर के नाम से भी जाना जाता है और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी के साथ तिरुमाला में निवास करते हैं।
2.सबसे अमीर मंदिरों में से एक
भारत के सबसे प्रसिद्ध इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है और अपने श्रद्धा और स्थिति के अनुसार सोने-चांदी, या फिर अपने सिर के बाल मुंडवा कर दान करते हैं।
इतना ही नहीं तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया की सबसे अमीर मंदिरों में से एक है इस मंदिर की हर महीने की कमाई लगभग 200 से 300 करोड रुपए है। इस पेज का इस्तेमाल दान पुण्य और समाज सेवा जैसे कार्यों में किया जाता है।
3.भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा
शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब भी कोई श्रद्धालु इस मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा गर्भ ग्रह के मध्य में स्थित है लेकिन जैसे ही श्रद्धालु पूजा करने के बाद गर्भ ग्रह से बाहर आता है तो हैरानी में पड़ जाता है।
क्योंकि हर बार ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा मध्य में नहीं बल्कि दाएं ओर स्थित है और ऐसा अनुभव हर एक श्रद्धालु के साथ होता है, जिसे महज एक भ्रम कहना शायद गलत होगा।
4.लहरों की आवाज
इतना ही नहीं तिरुपति बालाजी के गर्भगृह में दिया बिना किसी घी या तेल के दिन रात जलता रहता है और इसके पीछे का कारण आज तक वैज्ञानिक भी नहीं पता कर पाए हैं। इतना ही नहीं बल्कि यहां पर विराजमान भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति खुद वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक रहस्य बन चुका है और लाखों कोशिशें के बावजूद इस पर से कोई पर्दा नहीं उठा पाया।
दरअसल 32000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मूर्ति पर यदि कोई अपना कान लगाकर सुने तो इस प्रतिमा से विशाल सागर की लहरों की आवाज सुनाई देती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी वजह से भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है।
5.प्रतिमा पर लगे हुए बाल
कहा जाता है कि भगवान तिरुपति बालाजी तिरुपति बालाजी की प्रतिमा पर लगे हुए बाल असली है, और यह बाल कभी भी उलझते नहीं है और हमेशा ही मुलायम रहते हैं।
इतना ही नहीं तिरुपति बालाजी की प्रतिमा को किसी इंसान द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति खुद यहां पर प्रकट हुई थी। हालांकि यह मूर्ति कब कहां और किस प्रकार प्रकट हुई थी यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
6.प्रतिमा पर पसीना होना
आपको बता दे भगवान वेंकटेश्वर के लिए हर तरह की सुविधाएं की गई है, इस मंदिर में हमेशा कम टेंपरेचर रखा जाता है लेकिन इसके बावजूद प्रतिमा पर आपको पसीने की बूंदे देखने को मिलती है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस प्रतिमा में केवल भगवान विष्णु ही नहीं बल्कि माता लक्ष्मी भी विराजमान है। जिसके कारण भगवान वेंकटेश्वर को स्त्री और पुरुष दोनों की ही वेशभूषा धारण कराई जाती है।
7. दरवाजे के दाएं तरफ रखी छड़ी
तिरुपति बालाजी मंदिर में मुख्य दरवाजे के दाएं तरफ एक छड़ी देखने को मिलती है जिसके बारे में मान्यता है कि इसी छड़ी से भगवान बालाजी के बचपन में पिटाई की गई थी।
प्राचीन कथाओं के अनुसार छड़ी से पिटाई खाने के बाद भगवान वेंकटेश्वर की थोडी़ पर चोट लग गई थी इसी कारण आज भी भगवान की प्रतिमा की थोड़ी पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
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Image Credit: Wikipedia
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Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: क्या आपको पता है कि अंटार्कटिका जिसे आमतौर पर बर्फ की भूमि के नाम से जाना जाता है वह वास्तव में एक विशाल रेगिस्तान है।
जी हां, आपने सही सुना अंटार्कटिका दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जिसमें कई अद्भुत और अनोखे तथ्य छुपे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान, अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य
1.दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान
अंटार्कटिका रेगिस्तान को आमतौर पर बर्फ की वजह से केवल एक बर्फीला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन असल में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। रेगिस्तान की परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां बहुत कम बारिश होती है।
अंटार्कटिका में साल भर में केवल 200 मिमी से भी कम बारिश होती है, जिससे यह धरती का सबसे सूखा स्थान बन जाता है।
2.सबसे ठंडा स्थान
अंटार्कटिका रेगिस्तान धरती का सबसे ठंडा स्थान है। यहां अब तक का सबसे कम तापमान माइनस 128.6 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, जो 21 जुलाई 1983 को वॉस्टोक स्टेशन पर मापा गया था।
इतनी कड़कड़ाती ठंड में जीवन का अस्तित्व मुश्किल हो जाता है, फिर भी कुछ विशेष जीव-जंतु और वनस्पतियाँ यहां जीवित रह पाती हैं।
3.अनोखी झीलें
अंटार्कटिका में कई अनोखी झीलें हैं, जो बर्फ के नीचे छिपी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक वॉस्टोक झील है, जो लगभग 4 किलोमीटर बर्फ की परत के नीचे स्थित है।
यह झील हजारों सालों से अलग-थलग है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अनोखे और प्राचीन जीवों का अस्तित्व हो सकता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाए जाते।
4.सक्रिय ज्वालामुखी
अंटार्कटिका बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन यहां पर सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी माउंट एरेबस है, जो दुनिया का सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। माउंट एरेबस में एक लावा झील भी है, जो इसको और भी रोमांचक बनाती है।
5.अद्वितीय जीव-जंतु
अंटार्कटिका रेगिस्तान में कई अद्वितीय जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है अडेली पेंगुइन, जो ठंड और बर्फीली हवाओं में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, वाडेल सील और अंटार्कटिक क्रिल भी यहां के महत्वपूर्ण जीव हैं, जो समुद्री जीवन का हिस्सा हैं।
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Image: Unsplash
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7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: जानिए नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। आपको बता दे देवी कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप में पूजनीय है। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने यह रूप अपने परम भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था।
मां दुर्गा का छठा अवतार मानी जाने वाली माता कात्यायनी अत्यंत दिव्य और बलशाली मानी जाती है। आज हम आपको नवदुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी के बारे में सात रोचक तथ्य बताएंगे, जो आपको माता कात्यायनी के महिमा से परिचित कराएंगे।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1.माता कात्यायनी की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप में पूजी जाती हैं। कहां जाता है माता कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के तप से हुआ था।
ऋषि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था तब देवी ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। कहा जाता है की देवी का नाम ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने से उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
2.माता कात्यायनी का रूप
माता कात्यायनी चारभुजा वाली देवी है जिनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। उनकी चार भुजाएं हैं जो शक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती हैं। इन चारभुजा में माता कात्यायनी तलवार, कमल, अभयमुद्रा और वरमुद्रा को धारण करती हैं।
देवी कात्यायनी द्वारा उनके चारों भुजाओं में धारण किए गए वस्तुओं का महत्व कुछ इस प्रकार से है-
तलवार- मां कात्यायनी की एक भुजा में तलवार होती है जो बुराई और अधर्म को नाश करने वाली है। तलवार देवी कात्यायनी के शक्ति और साहस का प्रतीक है।
कमल- माता कात्यायनी अपनी दूसरी भुजा में कमल धारण करती है जो उनकी कोमलता और दिव्यता को दर्शाता है और यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
अभयमुद्रा- देवी कात्यायनी की तीसरी भुजा में अभय मुद्रा होती है जिससे मां कात्यानी अपने भक्तों को हर प्रकार के डर और संकट से मुक्त करती हैं। अभय मुद्रा सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना जाता है।
वरमुद्रा- चौथी भुजा में माता कात्यायनी वर मुद्रा को धारण करती हैं जिससे वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है और ये मां की दयालुता और करुणा का प्रतीक है।
3.महिषासुर मर्दिनी
देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी ने महिषासुर राक्षस का वध करके देवताओं को संकट से मुक्त किया था इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
4.नवदुर्गा का छठा अवतार।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का छठा अवतार माना जाता है और नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है जिसका नवरात्रि के दिनों में बहुत ही विशेष महत्व होता है।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का अत्यंत दिव्य और बलशाली रूप माना जाता है जो नवदुर्गा के नौ रूपों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5.ऋषि कन्या
देवी कात्यानी को ऋषि कन्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ऋषि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है की मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को योग्यवर मिलता है इसलिए नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
6.वेदों और शास्त्रों में उल्लेख।
माना जाता है की देवी कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे वेदों और पुराणों में किया गया है। मान्यताओं के अनुसार मार्कंडेय पुराण के देवी के महात्म्य खंड में देवी कात्यानी द्वारा दुष्ट राक्षसों का वध करने का वर्णन सामने आता है।
7.मंत्र और पूजा।
देवी कात्यायनी नवदुर्गा के साहस और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दिनों में बहुत विशेष महत्व रखता है।
भक्तगण यदि नवरात्रि के छठे दिन में माता कात्यायनी के बलशाली मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करते हैं तो उन्हें माता कात्यायनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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