Top Mountain Railways of India: भारत के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में जिन रेलमार्गों का निर्माण किया गया है, उन्हें देश के फेमस “माउंटेन रेलवे” के नाम से जाना जाता है। इन पहाड़ी क्षेत्रों में रेलवे की नैरो-गेज और मीटर-गेज दोनों प्रकार की रेल लाइन्स मौजूद हैं। भारत के पर्वतीय रेलवे में तीन रेलवे लाइनें हैं जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों के रूप में शामिल किया है। इनमे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे शामिल हैं।
भारत की प्रसिद्ध माउंटेन रेलवे की ट्रेनें देश के सबसे दुर्गम और कठिन इलाकों से गुजरती है। ये प्राचीन ट्रेनें हमारी प्राचीन और उन्नत इंजीनियरिंग का एक अद्भुत दर्शन कराती हैं। ये ट्रेनें अलग-अलग हिल स्टेशनों और घाटियों को जोड़ते हुए हमें मनमोहक और सुन्दर दृश्यों का दर्शन कराती हैं। भारत के पहाड़ी और घुमावदार रास्तों पर ये रेलगाड़ियों एक अलग ही रोमांच का अनुभव कराती हैं।
माथेरान हिल रेलवे और कांगड़ा घाटी रेलवे अन्य दो पर्वतीय रेलवे हैं जिन्हें अभी अस्थायी रूप से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में शामिल किया गया है। इसके अलावा अभी भारत में एकमात्र रैक और पिनियन रेलवे नीलगिरि माउंटेन रेलवे है। कुछ अन्य रेलवे लाइन्स में छोटा चार धाम रेलवे और जम्मू-बारामूला लाइन प्रमुख हैं जिन्हें वर्तमान में बनाया जा रहा हैं, जबकि श्रीनगर-लेह और भानुपली-लेह लाइन जैसी रेलवे की परियोजनाएँ, इंडियन रेलवे की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक हैं।
इमेज क्रेडिट: https://en.wikipedia.org/
इस लेख में आज हम सभी माउंटेन रेलवे के बारे में जानेंगें। इससे हमें भारत के प्रमुख पहाड़ी रेल लाइन्स के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
Top Mountain Railways of India
कुछ प्रमुख पर्वतीय रेलवे निम्न हैं –
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (Darjeeling Himalayan Railway)
- नीलगिरि माउंटेन रेलवे (Nilgiri Mountain Railway)
- कालका-शिमला रेलवे (Kalka–Shimla Railway)
- माथेरान हिल रेलवे (Matheran Hill Railway)
- कांगड़ा घाटी रेलवे (Kangra Valley Railway)
- जम्मू-बारामूला लाइन (Jammu–Baramulla line)
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
पहाड़ी ट्रेनों की बात हो और दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन का नाम ना लिया जाए,ऐसा मुमकिन नहीं है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, जिसका दूसरा नाम “टॉय ट्रेन” भी है, एक 2.00 फीट नैरो-गेज रेलवे लाइन है। यह सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलती है। सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच की दुरी 88 किमी है।
दार्जिलिंग गर्मियों का मुख्य हिल स्टेशन है। यह रेलवे मार्ग भारतीय रेलवे द्वारा संचालित है। वर्तमान में भी इस रेल लाइन पर भाप इंजन का ही उपयोग किया जाता है। दार्जिलिंग की अनोखी “टॉय ट्रेन” में में बैठें और एक मनोरंजक सफर की शुरुआत करें। Top Mountain Railways of India की लिस्ट में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे भारत की पहली रेल लाइन है।
जैसे ही इस ट्रेन का विंटेज स्टीम इंजन नैरो गेज ट्रैक पर अपने सफर की शुरुआत करता है, आपको चाय के बागानों, धुंध से ढकी पहाड़ियों और आकर्षक रास्तों के दर्शन होते हैं। इन दृश्यों को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। इस टॉय ट्रेन की यात्रा करने पर आपको एक रोमांच की सुखद अनुभूति होती है।
इमेज क्रेडिट: All Images by https://en.wikipedia.org/
नीलगिरि माउंटेन रेलवे
यह तमिलनाडु में स्थित नीलगिरि पहाड़ियों के बीच से गुजरता है। नीलगिरि पहाड़ियों को दक्षिण भारत का नीला पर्वत भी कहा जाता है। नीलगिरि माउंटेन रेलवे 46 किलोमीटर लम्बा रेलवे लाइन है। आप जब इस ट्रेन से नीलगिरि पहाड़ी की यात्रा शुरू करते हैं तो आपको चाय के घने बागानों, गहरे जंगलों और छोटे-छोटे हिल स्टेशनों के मनमोहक नज़ारे देखने को मिलते हैं।
नीलगिरि माउंटेन रेलवे को जुलाई 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। यह Top Mountain Railways of India की लिस्ट में भारत की दूसरी रेल लाइन है।इस यात्रा में आप नीलगिरि की अद्भुत सुंदरता को देखते के साथ प्रकृति के मनमोहक दृश्यों की खूबसूरती भी देख सकते हैं।
इमेज क्रेडिट: https://en.wikipedia.org/
कालका-शिमला रेलवे
कालका-शिमला रेलवे की यात्रा हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों के बीच में से शुरू होती है। चीड़ के पेड़ों से ढकी हुई पहाड़ियों को देखने, तेज़ बहते झरनों और प्रकृति के मनोरम दृश्यों की भव्यता का अद्भुत आनंद आपको बेहद सुकून देता है।
कालका-शिमला रेलवे को, नीलगिरि और दार्जिलिंग रेल लाइनों के साथ, 2008 में विश्व धरोहर स्थल में नाम दिया गया। कालका-शिमला रेलवे में लगभग 100 से ज्यादा सुरंगें और 800 से ज्यादा पुल हैं, जो इसकी यात्रा को और भी रोमांचकारी बनाते हैं।
कालका-शिमला रेलवे कालका और शिमला को जोड़ता है। रेलवे की स्थापना होने के पहले तक, शिमला तक सिर्फ स्थानीय कार्टवे के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता था। परन्तु कालका-शिमला रेलवे के बीच रेल यातायात शुरू होने से आवागमन में बहुत सुविधा हो गयी है।
इमेज क्रेडिट: All Images by https://en.wikipedia.org/
माथेरान हिल रेलवे
माथेरान हिल रेलवे एक नैरो-गेज रेलमार्ग है जो माथेरान और नेरल के बीच चलता है। भूस्खलन के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए इस रेलमार्ग को 1980 के दशक तक मानसून के मौसम के दौरान रेलवे द्वारा बंद कर दिया जाता था, लेकिन अब आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के बाद यह साल भर चालू रहता है।
मध्य रेलवे इस रेल मार्ग की देखरेख करता है। इस टॉय ट्रेन से आप सह्याद्रि पर्वत के चट्टानी इलाकों की यात्रा कर सकते हैं और सह्याद्रि पर्वत के अद्भुत नज़ारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं। इस टॉय ट्रेन में पुराने भाप इंजन लगे होने के कारण आज के इलेक्ट्रिक युग में हमको एक अद्भुत फीलिंग होती है और हमारा मन रोमांच से भर जाता है।
माथेरान हिल रेलवे की यात्रा अपनी हरी-भरी घाटियों, अद्भुत वास्तुकला और कल-कल बहते झरनों की मनोरम ध्वनि को समेटे हुए है। इस मनोरम यात्रा पर अवश्य जायें और एक रोमांच का अनुभव करें।
इमेज क्रेडिट: All Images by https://en.wikipedia.org/
कांगड़ा घाटी रेलवे
Top Mountain Railways of India की लिस्ट में कांगड़ा वैली रेलवे भारत की पाँचवीं रेल लाइन है। यह ट्रेन आपको हिमालय में ग्रामीण जीवन के मनोरम दृश्यों के अद्भुत दर्शन करायेगी। यह धौलाधार पर्वतमाला के बीच की खूबसूरत घाटियों, सीढ़ीदार फसलों और बहुत ही सुन्दर गांवों से होकर गुजरती है। इन मनोरम दृश्यों को देखकर आपका मन मंत्रमुग्ध हो जायेगा।
कांगड़ा वैली रेलवे लाइन के किनारे बसने वाली ग्रामीण परंपराओं और रीति-रिवाजों को देखने से आप इस क्षेत्र के और इसके लोगों के साथ एक अलग जुड़ाव महसूस करेंगें। कांगड़ा वैली रेलवे एक नैरो-गेज रेलवेमार्ग है जो हिमालयी क्षेत्र में पठानकोट और जोगिंदर नगर के बीच फैली हुई है। यह रेलवे लाइन अपनी प्रकृति और प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।
इमेज क्रेडिट: All Images by https://en.wikipedia.org/
जम्मू-बारामूला लाइन
जम्मू-बारामूला रेलवे लाइन जम्मू से शुरू होती है और बारामूला तक जाती है। यह मार्ग अत्यधिक गर्म और ठंडे तापमान में होने के साथ-साथ बहुत ही दुर्गम इलाकों से घिरा है, जिससे यहाँ पर निर्माण करना एक बहुत ही कठिन और मुश्किल भरा काम है। जैसे ही आप इस यात्रा पर निकलते हैं, आप पहाड़ों के सुन्दर और मनोरम दृश्यों को देखते है, जिससे आपको एक अलग प्रकार की अनुभूति होती है।
इस यात्रा पर आपके दिल की धड़कन तेज हो सकती है क्यूकि आप दुर्गम पहाड़ो के बीच से सफर कर रहे होते हैं। जम्मू के व्यस्त बाज़ारों से लेकर बारामूला की शांत घास के मैदानों तक, हर पल, हर दृश्य आपको एक सुकून का अहसास कराता है।
जम्मू-बारामूला लाइन एकता और जुड़ाव के प्रतीक के रूप में कार्य करती है, जो उस क्षेत्र में भौगोलिक और सांस्कृतिक मतभेदों को मिटाने का भी काम करती है।
जब भी आप भारत के पहाड़ों के लुभावने दृश्यों का आनंद लेने के लिए निकलें तो इन अद्भुत ट्रेनों का आनंद जरूर लें।
यह लेख लेखक के खुद के विचार हैं। किसी भी प्रकार की आपत्ति होने पर हमें contact us पेज से संपर्क करें।
इमेज क्रेडिट: All Images by https://www.freepik.com & https://en.wikipedia.org/
और पढ़ें: Top 10 Largest Cricket Stadium in The World: दुनिया के 10 सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।