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Top 7 Highest Mountain Peaks in India: जानिये भारत की 7 सबसे ऊँची पर्वत की चोटियां जो विश्व भर में जानी जाती है।
Top 7 Highest Mountain Peaks in India: भारत एक ऐसा देश है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और विभिन्न पर्वतों के लिए प्रसिद्ध है यहां कई ऐसी ऊंची ऊंची चोटियाँ है जो पर्वतारोहण के शौकीनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। वही भारत में कुछ ऐसी भी चोटिया हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती हैं। आज हम ऐसे ही 7 सबसे ऊंची चोटियों के बारे में आपको बताने वाले हैं जो की धरती के सर्वोच्च चोटियों में शामिल है।
Top 7 Highest Mountain Peaks in India: भारत की 7 सबसे ऊँची पर्वत की चोटियां कौन-कौन सी हैं?
1. कंचनजंगा चोटी
कंचनजंगा भारत की सबसे ऊंची चोटी है यह भारत के राज्य सिक्किम में मौजूद है भारत की सबसे ऊंची चोटी होने के साथ-साथ यह विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। यह छोटी भारत और नेपाल की सीमा पर हिमालय में मौजूद है। यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर है इसकी ऊंचाई 8586 मीटर है यानी कि लगभग 28,169 फिट है। यह दार्जिलिंग से 74 किलोमीटर उत्तर पश्चिमोत्तर में मौजूद है।
इस विशालकाय पर्वत की भुजाएं उत्तर दक्षिण पूरब और पश्चिम में मौजूद है। आपको बता दे कंचनजंगा चोटियों की समूह में 12 चोटियां हैं। कंचनजंगा पहाड़ के नाम की उत्पत्ति तिब्बत मूल के शब्दों से हुई है और सिक्किम में इसको पांच विशाल हिम की नीधियां कहा जाता है वही नेपाल में कुंभकरण लंगूर कहलाता है।
2. नंदा देवी चोटी
नंदा देवी चोटी भी दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत की चोटियों में से एक है इस चोटी की ऊंचाई 7816 मीटर यानी की 25646 फीट है। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी तो वहीं दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है। नंदा देवी चोटी हिमालय पर्वत श्रृंखला में भारत के उत्तराखंड में पूर्व में गौरी गंगा और पश्चिम में ऋषि गंगा घाटियों के बीच गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित है।
इस छोटी को उत्तराखंड राज्य में देवी के रूप में पूजा जाता है इसलिए इस चोटी को नंदा देवी कहते हैं। यह पूरी तरह से भारत में मौजूद सबसे ऊंची चोटी है क्योंकि कंचनजंगा भारत और नेपाल के बॉर्डर क्षेत्र में मौजूद है।
3. कामेत चोटी
यह चोटी उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है जो चमोली जिले के जास्कर पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची पर्वत चोटी में से एक है यह गढ़वाल हिमालय की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
इस छोटी की ऊंचाई 7816 मी यानी की 26446 फिट है यह पर्वत चोटी अन्य तीन पर्वत चोटियों से गिरी हुई है जो कि तिब्बत के पास स्थित है जिनके नाम अबी गमिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत है। इस पर्वत चोटी का नाम तिब्बती भाषा में एक शब्द का कांग्मेद से लिया गया है।
4. साल्टोरो कांगड़ी पहाड़ी
यह पहाड़ी भारत की चौथी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है और यह चोटी दुनिया की 31वीं सबसे ऊंची चोटी है यह पर्वत चोटी जम्मू कश्मीर में मौजूद है यह साल्टोरो पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। यह काराकोरम की एक श्रृंखला है जो ग्रेट काराकोरम के केंद्र में मौजूद है और यह दुनिया के सबसे लंबे ग्लेशियर सियाचिन ग्लेशियर के पास मौजूद है।
साल्टोरो कांगड़ी पहाड़ी चट्टान बर्फ का एक उबड़ खाबड़ पहाड़ है। और इस छोटी की ऊंचाई 7742 मीटर यानी की 25400 फीट है। ये चोटी अंदर पहाड़ की गहराइयों में मौजूद है अगर आप भी इस चोटी की खूबसूरती को देखना चाहते हैं तो वहां घूमने जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई अगस्त और सितंबर है।
5. सासेर कांगड़ी चोटी
सासेर कांगड़ी चोटी अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है। यह चोटी जम्मू और कश्मीर के सासेर श्रृंखला में मौजूद है। यह 5 पर्वतीय चोटियों का समूह है। यह भारत की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी और दुनिया भर में 35वीं सबसे बड़ी चोटी है।
समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 7672 मीटर है यानी की 25171 फिट। सासेर कांगड़ी पहाड़ काराकोरम रेंज का सासेर मुगताघ सब-रेंज की एक मैसीव का नाम है इस सीरीज में कई पर्वत आते हैं लेकिन सासेर कांगड़ी इसमें सबसे ऊंची है यह सब भारत के लद्दाख में मौजूद है।
6. मैमोस्टोंग कांगड़ी
यह चोटी अपनी ऊंचाई के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ में खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है। यह भारत की छठवीं सबसे ऊंची चोटी है इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 7516 मीटर यानी की 24659 फिट है जो सियाचिन ग्लेशियर से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व-दक्षिणपूर्व में मौजूद है। यह द ग्रेट काराकोरम रेंज की सीरीज है जो की रिमो मुज़ताग का सबसे ऊंचा पर्वत मैमोस्टोंग कांगड़ी है जो जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित है यह दुनिया के 48वीं सबसे ऊंची चोटी है यह चोटी भारत के उत्तर के लद्दाख में स्थित है।
7. रीमो चोटी
यह चोटी रीमो मुज़ताग श्रृंखला में मौजूद है जो काराकोरम पर्वत से सीरीज के उत्तरी भाग में मौजूद है पर्वत की श्रृंखला में कुल चार पर्वत चोटियां है जिसमें रीमो पर्वत चोटी ऊंची है। यह चोटी जम्मू और कश्मीर राज्य में मौजूद है इस चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से 7385 मीटर तकरीबन 24229 फीट है।
भारत की यह पर्वत चोटी अपने आप में सबसे खास है यह चोटी जितनी भारत में टूरिज्म के लिए महत्व रखता है उतनी यह व्यापार की दृष्टि से भी महत्व रखता है। व्यापार की दृष्टि से सेंट्रल एशिया का सबसे महत्वपूर्ण रास्ता है।
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Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: क्या आपको पता है कि अंटार्कटिका जिसे आमतौर पर बर्फ की भूमि के नाम से जाना जाता है वह वास्तव में एक विशाल रेगिस्तान है।
जी हां, आपने सही सुना अंटार्कटिका दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जिसमें कई अद्भुत और अनोखे तथ्य छुपे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान, अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य
1.दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान
अंटार्कटिका रेगिस्तान को आमतौर पर बर्फ की वजह से केवल एक बर्फीला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन असल में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। रेगिस्तान की परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां बहुत कम बारिश होती है।
अंटार्कटिका में साल भर में केवल 200 मिमी से भी कम बारिश होती है, जिससे यह धरती का सबसे सूखा स्थान बन जाता है।
2.सबसे ठंडा स्थान
अंटार्कटिका रेगिस्तान धरती का सबसे ठंडा स्थान है। यहां अब तक का सबसे कम तापमान माइनस 128.6 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, जो 21 जुलाई 1983 को वॉस्टोक स्टेशन पर मापा गया था।
इतनी कड़कड़ाती ठंड में जीवन का अस्तित्व मुश्किल हो जाता है, फिर भी कुछ विशेष जीव-जंतु और वनस्पतियाँ यहां जीवित रह पाती हैं।
3.अनोखी झीलें
अंटार्कटिका में कई अनोखी झीलें हैं, जो बर्फ के नीचे छिपी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक वॉस्टोक झील है, जो लगभग 4 किलोमीटर बर्फ की परत के नीचे स्थित है।
यह झील हजारों सालों से अलग-थलग है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अनोखे और प्राचीन जीवों का अस्तित्व हो सकता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाए जाते।
4.सक्रिय ज्वालामुखी
अंटार्कटिका बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन यहां पर सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी माउंट एरेबस है, जो दुनिया का सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। माउंट एरेबस में एक लावा झील भी है, जो इसको और भी रोमांचक बनाती है।
5.अद्वितीय जीव-जंतु
अंटार्कटिका रेगिस्तान में कई अद्वितीय जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है अडेली पेंगुइन, जो ठंड और बर्फीली हवाओं में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, वाडेल सील और अंटार्कटिक क्रिल भी यहां के महत्वपूर्ण जीव हैं, जो समुद्री जीवन का हिस्सा हैं।
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7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: जानिए नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। आपको बता दे देवी कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप में पूजनीय है। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने यह रूप अपने परम भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था।
मां दुर्गा का छठा अवतार मानी जाने वाली माता कात्यायनी अत्यंत दिव्य और बलशाली मानी जाती है। आज हम आपको नवदुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी के बारे में सात रोचक तथ्य बताएंगे, जो आपको माता कात्यायनी के महिमा से परिचित कराएंगे।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1.माता कात्यायनी की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप में पूजी जाती हैं। कहां जाता है माता कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के तप से हुआ था।
ऋषि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था तब देवी ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। कहा जाता है की देवी का नाम ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने से उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
2.माता कात्यायनी का रूप
माता कात्यायनी चारभुजा वाली देवी है जिनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। उनकी चार भुजाएं हैं जो शक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती हैं। इन चारभुजा में माता कात्यायनी तलवार, कमल, अभयमुद्रा और वरमुद्रा को धारण करती हैं।
देवी कात्यायनी द्वारा उनके चारों भुजाओं में धारण किए गए वस्तुओं का महत्व कुछ इस प्रकार से है-
तलवार- मां कात्यायनी की एक भुजा में तलवार होती है जो बुराई और अधर्म को नाश करने वाली है। तलवार देवी कात्यायनी के शक्ति और साहस का प्रतीक है।
कमल- माता कात्यायनी अपनी दूसरी भुजा में कमल धारण करती है जो उनकी कोमलता और दिव्यता को दर्शाता है और यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
अभयमुद्रा- देवी कात्यायनी की तीसरी भुजा में अभय मुद्रा होती है जिससे मां कात्यानी अपने भक्तों को हर प्रकार के डर और संकट से मुक्त करती हैं। अभय मुद्रा सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना जाता है।
वरमुद्रा- चौथी भुजा में माता कात्यायनी वर मुद्रा को धारण करती हैं जिससे वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है और ये मां की दयालुता और करुणा का प्रतीक है।
3.महिषासुर मर्दिनी
देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी ने महिषासुर राक्षस का वध करके देवताओं को संकट से मुक्त किया था इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
4.नवदुर्गा का छठा अवतार।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का छठा अवतार माना जाता है और नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है जिसका नवरात्रि के दिनों में बहुत ही विशेष महत्व होता है।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का अत्यंत दिव्य और बलशाली रूप माना जाता है जो नवदुर्गा के नौ रूपों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5.ऋषि कन्या
देवी कात्यानी को ऋषि कन्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ऋषि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है की मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को योग्यवर मिलता है इसलिए नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
6.वेदों और शास्त्रों में उल्लेख।
माना जाता है की देवी कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे वेदों और पुराणों में किया गया है। मान्यताओं के अनुसार मार्कंडेय पुराण के देवी के महात्म्य खंड में देवी कात्यानी द्वारा दुष्ट राक्षसों का वध करने का वर्णन सामने आता है।
7.मंत्र और पूजा।
देवी कात्यायनी नवदुर्गा के साहस और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दिनों में बहुत विशेष महत्व रखता है।
भक्तगण यदि नवरात्रि के छठे दिन में माता कात्यायनी के बलशाली मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करते हैं तो उन्हें माता कात्यायनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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Image: Wallpaer Cave
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