फैक्ट्स
Top 10 Mysterious Places On Earth: पृथ्वी के ऐसे 10 रहस्यमयी स्थान जो की कल्पना से भी परे हैं।
Top 10 Mysterious Places On Earth: हमारी पृथ्वी बहुत से खूबसूरत रहस्य से भरी हुई है ऐसे रहस्य जिन्हें आज तक कोई भी पाया है।आज हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ जगहों के बारे में जो बहुत ही अद्भुत है और और देखने में सच नहीं बल्कि सपना लगते हैं।
अगर आप भी इन अनोखी और रहस्यमयी स्थानों के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।
Top 10 Mysterious Places On Earth: पृथ्वी के ऐसे 10 रहस्यमयी स्थान जो की कल्पना से भी परे हैं।
1.Dragon Blood Tree
कहते हैं कि पेड़ों में भी जान होती है पर कुछ लोग इसे एक झूठ मानते हैं लेकिन अगर यह सच हो तो आप क्या करेंगे बेशक आप डर जाएंगे। ऐसा ही एक रहस्यमई पेड़ है जिसे काटो तो खून निकलता है इसका नाम है ड्रैगन ब्लड जो कि यमन देश में पाया जाता है। इन पेड़ों को जब भी काटा जाता है तो इनमें से खून निकलने लगता है।
इस नजारे को देखने के लिए हर साल टूरिस्ट पहुंचते हैं। इस पेड़ की उम्र 650 साल मानी जाती है और इसकी लंबाई लगभग 10 से 12 मीटर तक होती है। इस पेड़ की लंबाई हर 10 साल में सिर्फ 1 मीटर ही बढ़ती है इसे एक जादुई पेड़ माना जाता है क्योंकि इंसान के खून में होने वाली बीमारियां इस पेड़ के खून से ठीक हो जाती है। इसके लाल रंग के रस का प्रयोग ‘लोबान’ नामक पदार्थ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
2. Lake Hillier, Australia
कहते हैं कि पानी का कोई रंग नहीं होता पर आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी झील के बारे में जिसका रंग गुलाबी है। यह झील पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में मौजूद है। लेकिन क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि ऐसा होने का क्या कारण है यह झील बहुत ही छोटी है। इसका क्षेत्रफल केवल 600 मीटर का है।
Hillier Lake में मौजूद Dunaliella Salina माइक्रोऑर्गेनाइज्म की वजह से इसका रंग गुलाबी है क्योंकि Dunaliella Salina और झील में मौजूद नमक, रेड हेलोफिलिक बैक्टीरिया मिलकर लाल रंग बनाते हैं जिसकी वजह से हिलीयर झील में मौजूद पानी का रंग गुलाबी देखा है।
आपको बता दे नमक में मौजूद लाल हेलोफीलिक मे एक carotenoid होता हैं, जो की एक विशेष लाल रंग छोड़ता है। इस झील में भारी मात्रा में नमक होने के बावजूद इसमें तैरना सुरक्षित है। आप यहां आराम से स्विमिंग के मजे ले सकते हैं। इस लेक को पिंक लेक या सेलाइन लेक भी नाम से जाना जाता है।
3. Ice Cave, Iceland
क्या आपने कभी बर्फ की गुफा देखा है? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बर्फ की गुफा की सैर कराते हैं। एक ऐसी गुफा है जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो। यह गुफा यूरोप के एक द्वीप आइसलैंड में मौजूद है।
इस गुफा की लंबाई 320 फुट से भी ज्यादा है। यह ऊपर से नीचे तक सिर्फ और सिर्फ बर्फ से बने हुए हैं। यह वास्तव में कुदरत का एक नायाब अजूबा है। ऐसा कहा जाता है कि यहां इतनी ठंडक है कि कोई भी मनुष्य ज्यादा देर तक यहां खड़ा नहीं रह सकता।
इस गुफा का रंग कभी सफेद तो कभी नीला नजर आता है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। इसकी खूबसूरती लाजवाब है। हर साल हजारों सैलानी आइसलैंड पहुंचते हैं सिर्फ इस बर्फ की गुफा को देखने के लिए।
4. Fly Geyser
फ्लाई गीजर पूरी तरह से एक प्राकृतिक घटना है जिसका निर्माण एक किसान द्वारा अनजाने में हुआ। यह अमेरिका के एक जगह नेवाड़ा का है, जहां एक किसान बंजर भूमि पर खेती करना चाहता था। जब उसने वहां खोदना शुरू किया तो काफी खोजने के बाद उसे थोड़ी सफलता मिली पर वहां पानी 200 डिग्री की टेंपरेचर पर खौल रहा था।
यह देखकर किसान पूरी तरह घबरा गया और वहां से भाग गया। उसके बाद जो हुआ वह और भी ज्यादा हैरान करने वाला है। धीरे-धीरे उसे गर्म पानी के गड्ढे ने एक खूबसूरत रंग रूप ले लिया जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है।
इसके पानी में बहुत ही दुर्लभ मिनरल्स पाए जाते हैं। यह आकाश के नीचे 5 फुट की ऊंचाई तक जाता है। यह 74 एकड़ में फैला है।
5. Turquoise ice lake
टर्कवॉइस आईस लेक दुनिया की सबसे पुरानी मीठे पानी के झीलों में से एक है। यह रूस के सबसे ठंडा और दुर्लभ क्षेत्र साइबेरिया में स्थित है इसके अनोखे पान की वजह है इसे पर्ल ऑफ रसिया का टाइटल भी दिया गया है। यह झील की जितनी गहरी है उतना ही गहरा इसका रहस्य है। इस झील का निर्माण लगभग 25 मिलियन साल पहले जमीन के नीचे हुई हलचल और Tectonic plates के खिसकने के कारण हुआ।
इस झील की गहराई लगभग 642 मीटर है और इसकी सतह का क्षेत्रफल 31722 वर्ग किलोमीटर है और इस झील में बहुत से दुर्लभ जीव भी पाए जाते हैं। यह सर्दियों में जम जाती है लेकिन पानी इतना साफ होता है कि बर्फ के अंदर 130 फीट तक आप देख सकते हैं सर्दियों में हजारों लोग यहां आईस स्केटिंग करने और इसकी खूबसूरती को निहारने के लिए आते हैं।
6. Lake Natron, Tanzania
अपने राजा मिडास की कहानी तो जरूर सुनी होगी जो जिस भी चीज को छूता है वह सोने की बन जाती है। लेकिन क्या आपने ऐसी झील के बारे में सुना है जिसका पानी को जो भी छूता है वह पत्थर बन जाता है। आज हम आपको एक ऐसे झील के बारे में बता रहे हैं यह उत्तरी तंजानिया की न्यूट्रॉन लेख यह झील देखने में जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है।
इसके पानी को जो भी छूता है वह पत्थर का बन जाता है फिर चाहे वह इंसान हो या पशु पक्षी। वैज्ञानिकों का कहना है कि हाइड्रोजन, अल्कलाइन साल्ट और लाइमस्टोन मौजूद होने के कारण ऐसा होता है। लेक का तापमान भी 60 डिग्री तक पहुंच जाता है और पानी में वह तत्व भी पाया गया है जो ज्वालामुखी चिराग में होता है। इस तत्व का प्रयोग मिश्र वासी ममी को सुरक्षित रखने के लिए करते थे।
7. Glowworms Cave, New Zealand
क्या हो अगर एक अंधेरी लंबी सुरंग में अंदर किसी छोर से हल्के नीले रंग की चमकदार रोशनी आ रही है सोचकर ही कितना रोमांचक लग रहा है ना? असल में ऐसा नजारा आपको न्यूजीलैंड में समुद्र के किनारे देखने को मिल सकता है यह न्यूजीलैंड के नॉर्थ आयलैंड में स्थित है। यहां बहुत बड़ी तादाद में Glow worm देखने को मिलता है जो Bioluminescent स्पीशीज के होते हैं और केवल यही पाए जाते हैं।
यह जीव एक रासायनिक प्रक्रिया करते हैं जिससे रोशनी पैदा होती है यह रोशनी अपने शिकार को आकर्षित करने के लिए होती है। इस दौरान यह सिल्क जैसे लंबे लंबे जाल बुनते हैं ताकि इसमें फंसने वाले जीवों का शिकार कर सके। यह जीव जितनी ज्यादा भूखे होते हैं उतनी ही ज्यादा राष्ट्रीय पैदा करते हैं इसे देखने के लिए यहां पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
8. Abraham Lake
खूबसूरत झीलों में एक और झील का नाम आता है वह अब्राहम लेक। यह झील कनाडा के रॉकी माउंटेंस के बीच अल्बर्टा में स्थित है। इस झील में मीथेन और बर्फ के जमे हुए बुलबुले दिखाई पड़ते हैं जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। यह बुलबुले झील के अंदर मौजूद बैक्टीरिया द्वारा तब छोड़े जाते हैं। जब वह झील में मौजूद किसी जीव जंतु को अपना भोजन बना लेते हैं।
सर्दियों में वह गैस बुलबुलों के रूप में जम जाती है और बर्फ के बुलबुले झील के पानी में सतह से लेकर झील की गहराई तक दिखते हैं।इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि यह बुलबुले किसी मीनार की तरह झीलों की गहराइयों से उठकर ऊपर तक आ गए हैं। झील पूरी तरह से जमीं हुई होती है इसलिए इस पर लोग इस पर बैठते,चलते, और स्केटिंग करते हैं और पिकनिक भी मानते हैं।
9. Tianzi Mountains
भारत के पड़ोसी देश चीन के पास भी एक अद्भुत प्राकृतिक धरोहर है जिसे पूरी दुनिया ‘सन ऑफ हेवन’ या फिर Tianzi Mountains के नाम से जानती है। इन पर्वतों को देखकर आप कुछ देर के लिए ही सही, किसी और दुनिया में चले जाएंगे। इस पूरे इलाके में मार्बल की अनगिनत ऊंची ऊंची पहाड़ियां है जिनमें से सबसे ऊंची चोटी की समुद्र तल से ऊंचाई 1262.5 मीटर है।
एक अन्य विशेषता यहां का मौसम है जो पल-पल बदलता रहता है। कभी एकदम साफ आकाश हो जाता है तो कभी पूरा इलाका बादलों से भर जाता है। यदि इसे कोई ऊंचाई से देखे तो उसे साइंस फिक्शन मूवी के जैसा नजारा दिखता है जहां बादलों के ऊपर अनगिनत चोटिया दिखाई पड़ते हैं। चीन की सरकार ने इस पूरे इलाके की खूबसूरती को देखने के लिए केबल कार की व्यवस्था कर रखी है तथा पहाड़ियों के सहारे पाथवे में भी बना रखा है।
10. Door to hell
नरक का दरवाजा एक ऐसा अजूबा जो की तुर्कमेनिस्तान के दरवेस गांव में स्थित है। ‘डोर टू हेल’ यानी कि नर्क का दरवाजा यह 230 फुट का गड्ढा है जिसमें 1971 में अब तक लगातार प्राकृतिक आज चल रही है। इस गड्ढे की निर्माण की कहानी भी अनोखी है।
आपको बता दे यह गांव डेजर्ट एरिया में स्थित है जहां तुर्कमेनिस्तान की तरफ 14% आबादी की जाती है 1971 में पूर्व सोवियत संघ के वैज्ञानिक इस एरिया में तेल और गैस की खोज करने के लिए आए थे। दरवेश गांव के पास स्थित इस जगह को ड्रिलिंग के लिए चुना उन्होंने यहां ड्रिलिंग शुरू किया और ड्रिलिंग शुरू करने के कुछ देर बाद यह जगह ढह गई और यहां पर 230 फीट चौड़ा और 65 फीट गहरा गड्ढा बन गया।
इस दुर्घटना में कोई जनहानि तो नहीं हुई पर इससे बहुत ज्यादा मात्रा में मीथेन गैस निकलने लगी। इसको रोकने के लिए उनके पास दो विकल्प थे या तो इस गड्ढे को बंद कर दे या फिर इसमें आग लगा दी जाए वैज्ञानिकों ने दूसरा विकल्प चुना और आग लगा दी तब से लेकर यह आग अब तक जल रही है।
Latest Post: उत्तराखंड में स्थित चार धाम और कुछ तथ्य
इसे भी पढ़ें: सबसे ठंडे महाद्वीप अंटार्टिका के बारे में हैरान कर देने वाले रहस्य
संस्कृति एक ब्लॉगर हैं। संस्कृति को ऑटोमोबाइल, फैक्ट्स, लाइफस्टाइल और ट्रेवल से जुडी पोस्ट लिखना पसंद है।
फैक्ट्स
Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्य।
Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है पौराणिक ग्रंथों में इस मंदिर का वर्णन काफी सुंदर तरीके से मिलता है।
यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों का सैलाब होता है लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर के कुछ अनजाने रहस्य हैं जिनके बारे में कोई भी नहीं जानता होगा। चलिए आज हम आपको महाकालेश्वर मंदिर के अनसुने रहस्यों के बारे में बताएंगे।
Unknown Facts About Mahakaleshwar Temple: महाकालेश्वर मंदिर के अनसुने रहस्य।
महाकाल नाम का रहस्य
आमतौर पर माना जाता है कि महाकाल का संबंध केवल मृत्यु से है परंतु यह पूरी तरह से सच नहीं है काल के दो अर्थ होते हैं एक “समय” और दूसरा “मृत्यु”। काल को महाकाल इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय में यही से पूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित हुआ था। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर रखा गया।
दूसरा कारण भी काल सही जुड़ा हुआ है दरअसल, माना जाता है कि महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ जब महादेव को एक राक्षस दूषण का अंत करना था भगवान शिव उस राक्षस का काल बनकर आये. इसके बाद अवंती नगरी जिसे अब उज्जैन के नाम से जाना जाता है वहां के वासियों के आग्रह पर महाकाल वहीं उपस्थित हो गए वे समय यानी काल के अंत तक यही रहेंगे इसलिए भी इन्हें महाकाल कहा जाता है।
मंदिर में रात बिताने पर पाबंद।
आपको जानकर हैरानी होगी कि उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में रात बिताना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कहा जाता है उज्जैन का केवल एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा। विक्रमादित्य के शासन के बाद यहां कोई भी राजा या मंत्री रात में नहीं रुक सकता। मान्यताओं के अनुसार जिसने भी महाकालेश्वर मंदिर पर रात बिताने का प्रयास किया वह आज तक जिंदा नहीं लौट पाया है।
भस्म आरती का रहस्य।
जितना प्राचीन भगवान महाकाल का मंदिर है उतना ही रहस्यमई यहां होने वाली भस्म आरती भी है। प्राचीन काल में राजा चंद्रसेन शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे। जब राजा रिपुदमन ने उज्जैन पर आक्रमण किया और राक्षस दूषण के जरिए वहां प्रजा को प्रताड़ित किया।
#WATCH | Bhasma Aarti being performed at Shri Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple in Ujjain on the first day of the year 2025.#ViralVideo #MahakaleshwarTemple #Ujjain pic.twitter.com/uF5sueLqAA
— TIMES NOW (@TimesNow) January 1, 2025
तब प्रजा ने मदद के लिए भगवान शिव से गुहार लगाई थी। प्रजा की गुहार भगवान शिव ने सुनी और स्वयं राक्षस भूषण का वध किया. सिर्फ इतना ही नहीं भगवान शिव ने दूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और वह हमेशा के लिए यहां बस गए तो इस तरह से भस्म आरती की शुरुआत हुई।
चिता भस्म से की जाती थी आरती।
यहां पर भगवान शिव के शिवलिंग पर चिता की ताजी भस्म से आरती की जाती थी और इसी से उनका श्रृंगार भी होता था। एक कथित कथा के अनुसार प्राचीन काल में प्रतिदिन एक मुर्दे की राख से भस्म आरती की जाती थी।
परंतु एक बार उज्जैन के शमशान में कोई भी शव नहीं मिलने के कारण उस समय पुजारी ने अपने ही पुत्र की बलि देकर उसकी राख से भस्म आरती की जिससे भगवान महाकालेश्वर अत्यधिक प्रसन्न हुए।
और उस पुजारी के पुत्र को जीवन दान देते हुए कहा “आज से उनकी आरती कपिला गाय के गोबर से बने कंडो से की जाए”। तब से लेकर आज तक यहां कपिला गाय के गोबर के कंडे, शमी, पीपल इत्यादि की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म से आरती की जाती है।
श्री नाग चंदेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन आपमें से शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो श्रीनाथ चंदेश्वर मंदिर के बारे में जानता होगा वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडो में विभाजित है।
निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओम कालेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्रीनाथ चंदेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में नागराज तक्षक के प्रतिमा के ऊपर भगवान शिव पूरे परिवार समेत विराजमान है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर के द्वार साल में केवल एक बार ही नाग पंचमी के दिन खोले जाते हैं।
दक्षिण मुखी शिवलिंग का रहस्य
इस समय पूरे संसार के सभी शिव मंदिरों में स्थापित शिव लिंग और अन्य ज्योतिर्लिंग की जलाधारी उत्तर दिशा की ओर है। किंतु महाकालेश्वर ही ऐसा ज्योतिर्लिंग है। जिसकी जलाधारी दक्षिण दिशा की ओर है इसलिए यह दक्षिण मुख्य महाकाल नाम से भी जाना जाता है।
स्वयंभू है ये ज्योतिर्लिंग।
बारह ज्योतिर्लिंगों में महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है अर्थात् आकाश में तारक शिवलिंग, पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग और पृथ्वी पर महाकाल शिवलिंग है स्वयंभू शिवलिंग है। विश्व भर में काल की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में मान्यता है कि महाकाल ही समय को लगातार चलाते हैं और काल भैरव काल का नाश करते हैं।
महाकाल और मदिरा का रहस्य।
मंदिर के गर्भ ग्रह में एक गुफा है जो महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है जहां भैरव बाबा का मंदिर स्थित है काल भैरव का मंदिर पूरे देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान को मदिरा पिलाया जाता है। जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आसपास से शराब की दुकान हटा दी जाती हैं।
वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिषर से लेकर रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकान लगाई गई है। यहां प्रसाद बेचने वाले भी शराब अपने पास रखते हैं। आज तक भगवान शिव को जितने भी मदिरा पिलाई जाती है वह कहां गायब हो जाती है ये आज भी रहस्य बना हुआ है।
Image: Wikipedia
चीन में फ़ैल रहा नया वायरस HMPV!!
संस्कृति एक ब्लॉगर हैं। संस्कृति को ऑटोमोबाइल, फैक्ट्स, लाइफस्टाइल और ट्रेवल से जुडी पोस्ट लिखना पसंद है।
फैक्ट्स
Meenakshi Amman Temple Facts: मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर से जुड़े अनोखे फैक्ट्स।
Meenakshi Amman Temple Facts: भारत देश में कई प्राचीन शहर है जिनमें से एक है मदुरई ऐसी मान्यता है कि इस शहर की रक्षा यहां की योद्धा रक्षा कुमारी मीनाक्षी देवी करते हैं। इस शहर के बीचो-बीच स्थित है मीनाक्षी अम्मा को समर्पित किया गया मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर।
यहां के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस शहर को भगवान शिव के उपदेश अनुसार बनाया गया है।ऐसा माना जाता है कि मदुरई शहर की रचना कुंडली मारे हुए हलस्य नामक सर्प के आकार के रूप में की गई थी। सर्प का शरीर शहर की सीमाओं को दर्शाता है और उसका मुंह और पूछ केंद्र की ओर इशारा करते हैं जहां मीनाक्षी मंदिर बांधा गया है।
Meenakshi Amman Temple Facts: मीनाक्षी अम्मा और सुंदरेश्वर को समर्पित।
कुछ कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में मदुरै शहर के जगह पर कदंब वन हुआ करता था। एक दिन एक व्यापारी ने उस वन में भगवान इंद्र को शिवलिंग की पूजा करते हुए देखा। जब ये खबर वहां के राजा तक पहुंची तब उन्होंने उस वन को हटाकर शिवलिंग के चारों ओर मंदिर बनवाया। वही मंदिर आज मीनाक्षी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
यह मंदिर मीनाक्षी और सुंदरेश्वर यानी मां पार्वती और भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि तमिलनाडु में जितने भी शिव मंदिर हैं उनमें से यह एक ही मंदिर है जो भगवान शिव के साथ देवी पार्वती को भी समर्पित किया गया है।
कौन है मीनाक्षी अम्मा और ये मंदिर उन्हें क्यों समर्पित किया गया?
थिरुविलैयादल पुराण में दी गई कथा के अनुसार तमिलनाडु के मदुरै शहर पर मलयध्वज नमक पंड्या राजा राज करते थे उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी नहीं था उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए एक यज्ञ किया। उस यज्ञ के प्रसाद के रूप में उन्हें एक 3 साल की कन्या मिली जिसके तीन वक्ष थे।
उस बच्ची का राजा मलयध्वज और उनकी पत्नी रानी कांचमलई ने भरण पोषण किया और उसे युद्ध सहित अनेक विद्याओं की शिक्षा दी। राजा और रानी ने उसका नाम ताडातगई रखा था लेकिन उस कन्या की आंखें मछली के आकार की थी इसलिए मदुरई की प्रजा उसे मीनाक्षी कह कर पुकारती थी। यही मीनाक्षी आगे चलकर बनी मीनाक्षी अम्मा, जिसे माता पार्वती का रूप माना जाता है।
तीसरा वक्ष गायब होने की भविष्यवाणी।
ऐसी भविष्यवाणी की गई थी कि जब मीनाक्षी अपने होने वाले पति से मिलेगी तब उसका तीसरा वक्ष गायब हो जाएगा। बड़ी होकर मीनाक्षी एक महान योद्धा बनी और दिग्विजय होने के लिए वह अपनी सेना के साथ आठों दिशाओं के राज्यों को जीतने के लिए निकली।
सारे विश्व पर जीत पाने के बाद वह भगवान शिव से युद्ध करने कैलाश जा पहुंची तब तक नंदी ने यह वार्ता शिवजी को दी थी और शिवजी युद्ध के लिए तैयार हो रहे थे।
भगवान शिव से सामना होने पर मीनाक्षी शर्मा गई और उसका तीसरा वक्ष लुप्त हो गया और उसने भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार किया।
जब मीनाक्षी और सुंदरेश्वर को मदुरई का शासक घोषित किया।
मदुरई लौटने पर मीनाक्षी को उसके पिता ने मदुरई का शासक घोषित किया और भगवान शिव से उसका विवाह धूमधाम से करवा दिया। मीनाक्षी और सुंदरेश्वर यानि भगवान शिव के विवाह महोत्सव पर आज भी मदुरई में चैत्र महीने में नाट्यों का आयोजन किया जाता है।
इस महोत्सव को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं मीनाक्षी और सुंदरेश्वर की कांस्य प्रतिमाओं को पालकी में सजाया जाता है और संपूर्ण शहर को दर्शन कराया जाता है। ऐसा माना जाता है की मीनाक्षी और सुंदरेश्वर मदुरई के सच्चे शासक हैं और अनेक पंड्या और नायक राजाओं ने उनकी ओर से शासन किया है।
Image: Wikipedia
बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्रियां !!
संस्कृति एक ब्लॉगर हैं। संस्कृति को ऑटोमोबाइल, फैक्ट्स, लाइफस्टाइल और ट्रेवल से जुडी पोस्ट लिखना पसंद है।
फैक्ट्स
Unknown Mystery Of Mehrangarh Fort: राजस्थान के जोधपुर में स्थित, मेहरानगढ़ किले के कुछ अनसुने रहस्य।
Unknown Mystery Of Mehrangarh Fort: भारत अपने इतिहास के लिए पूरी दुनिया भर में जाना जाता है जब इतिहास के बात होती है तो राजस्थान और राजस्थान के किलो का अपना एक अलग ही महत्व दिखाई देता है। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जहां से पूरे पाकिस्तान को देखा जा सकता है।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जोधपुर में स्थित मेहरानगढ़ किले के बारे में। मेहरानगढ़ किले से जुड़े रहस्य अपने आप में अनोखे हैं, आज हम आपको मेहरानगढ़ किले से जुड़े पांच ऐसे रहस्य के बारे में बताएंगे जो आपने पहले नहीं सुना होगा।
Unknown Mystery Of Mehrangarh Fort: मेहरानगढ़ किले से जुड़े रहस्य।
1.किले का निर्माण
मेहरानगढ़ किला एक बुलंद पहाड़ी पर एक 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ी के बिल्कुल ऊपर बसे होने के कारण ये किला राजस्थान राज्य के सबसे खूबसूरत किलो में से एक है।
माना जाता है की इस किले की नींव 15 वीं शताब्दी में राव जोधा ने रखी थी। लेकिन इसका निर्माण कार्य महाराजा जसवंत सिंह ने पूरा करवाया था। यह किला भारत के प्राचीनतम और विशाल किलो में से एक है।
मेहरानगढ़ किले को भारत के समृद्धिशाली अतीत का प्रतीक माना जाता है इस किले की दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर फैली है इनकी ऊंचाई 20-120 फीट तथा चौड़ाई 12-70 फीट तक है।
2.साधु का श्राप
जब राव जोधा ने मेहरानगढ़ किला बनाने का फैसला किया, तो उन्हें पहाड़ी पर रहने वाले साधु चीरिया नाथजी को स्थानांतरित करना पड़ा। नाथजी ने राव जोधा को श्राप दिया कि किले को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा।
इस श्राप को कम करने के लिए, राव जोधा ने किले के पास एक घर और मंदिर बनवाया और नए शहर का नाम “जोधपुर” रखा।
3.किले के 8 द्वार
इसके परकोटा में दुर्गम रास्तों वाले 7 संरक्षित दुर्ग बने हुए हैं, आठ द्वारों और अनगिनत बुर्जों से युक्त यह जिला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा है वैसे तो इस किले के सात ही द्वार हैं लेकिन कहते हैं कि इसका आठवां द्वार भी है जो रहस्यमई है।
किले के प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली किले लगवाए गए थे. इस किले के अंदर भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दीवारें और जालीदार खिड़कियां हैं जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सुरेश खान और दौलत खाना बेहद खास है।
4.चामुंडा माता का मंदिर
किले के पास चामुंडा माता का मंदिर भी है जिसे राव जोधा ने 1460 ई में बनवाया था राव जोधा को चामुंडा माता पर अथाह श्रद्धा थी। चामुंडा माता जोधपुर के शासको की कुलदेवी रही हैं। राव जोधा ने 1460 ई में मेहरानगढ़ किले के पास चामुंडा माता का मंदिर बनवाया था और मूर्ति की स्थापना भी की थी।
इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सबसे पहले जोधपुर को निशाना बनाया गया था लेकिन माता चामुंडा की कृपा से यहां के लोगों का बाल भी बाका नहीं हुआ था। माता चामुंडा के मंदिर नवरात्रि के दिनों में विशेष पूजा भी की जाती है।
5.हाथों के निशान
कहा जाता है कि किले के दूसरे दरवाजे पर युद्ध के दौरान तोपों के गोले के निशान आज भी मौजूद है। इस किले के दीवारों पर रखे भीमकाय तोपों से आसपास के भूभाग को सुरक्षित रखा जाता था। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि मेहरानगढ़ किले का मुख्य द्वार जिसे लोहे का पोल कहा जाता है, पर आज भी छोटे-छोटे हाथों के निशान हैं।
मान्यता है कि ये हाथों के निशान महाराजा मानसिंह के रानियों की है जो 1843 में महाराजा मानसिंह की चिता पर सती हो गई थी। ये हाथों के निशान पुराने रीति रिवाज और राजसी महिलाओं के बलिदानों की याद दिलाते हैं।
Image: Wikipedia
इमरजेंसी लैंडिंग कर रहा प्लेन कजाकिस्तान में हुआ क्रैश!
संस्कृति एक ब्लॉगर हैं। संस्कृति को ऑटोमोबाइल, फैक्ट्स, लाइफस्टाइल और ट्रेवल से जुडी पोस्ट लिखना पसंद है।
फैक्ट्स
Top 5 Ancient Cities Of India: भारत के पांच सबसे प्राचीन शहर, जिनका इतिहास सदियों पुराना है !
Top 5 Ancient Cities Of India: भारत प्राचीन सभ्यता का घर है भारत की जमीन जितनी पुरानी है उतना ही पुराना है यहां का सनातन धर्म। हालांकि आज भारत विभिन्न संस्कृतियों का घर है जो देश के अलग-अलग राज्यों और उनमें बसे अलग-अलग शहरों में बसती है।
इनमें से कुछ शहर थोड़े समय पहले ही बसाए गए हैं. तो कुछ इतने पुराने हैं कि जिसे हम अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे। आज हम ऐसे ही पांच ऐसे प्राचीन शहरों की बात करने जा रहे हैं जिनका इतिहास जितना पुराना है जितना इंसानी सभ्यता।
Top 5 Ancient Cities Of India: भारत के पांच सबसे प्राचीन शहरों के नाम
1. वाराणसी
वाराणसी भारत का सबसे प्राचीन शहर है, यह काशी और बनारस के नाम से भी विख्यात है। वाराणसी भारत के प्रमुख तीर्थ नगरों में से एक है जहां हर पल सुकून से भरा होता है। इसे भारत का ही नहीं बल्कि एशिया और दुनिया का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है।
कांस्य युग के अंत के बाद एकमात्र वाराणसी ही है जिसे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता वाले शहर के तौर पर गिना जाता है। माना जाता है कि वाराणसी का इतिहास 3000 वर्ष पुराना है।
2. मदुरै
भारत का दूसरा सबसे प्राचीन शहर है मदुरै जो तमिलनाडु का एक अहम हिस्सा है और पूरी दुनिया में मीनाक्षी मंदिर के लिए जाना जाता है। लगभग 65000 वर्ग मीटर में फैला यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। साथ ही भगवान गणेश, मुरूगन, लक्ष्मी, रुक्मणी, सरस्वती सहित सुंदरेश्वर और मीनाक्षी देवी का मंदिर भी है।
मदुरै का इतिहास 2500 से 3000 वर्ष पुराना है। लोक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव के हाथों से यहां शहद गिरा था जिसे मधु कहते हैं और मधु शब्द से जुड़कर मदुरै शहर का नाम पड़ा। वैगई नदी के किनारे बसा ये शहर तमिलनाडु का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और और व्यावसायिक केंद्र है।
3.अयोध्या
सरयू नदी के तट पर बस अयोध्या भी भारत के पुराने शहरों में से एक है जिसका जिक्र महाकाव्य रामायण से लेकर महाभारत में भी मिलता है। इसे भगवान श्री राम की जन्मस्थली माना जाता है। प्राचीन समय में अयोध्या कौशल राज्य की राजधानी भी हुआ करता था।
हिंदुओं का पवित्र शहर होने के साथ-साथ ये सप्तपुरीयों यानी की सात नगरों में भी शुमार किया जाता है जिनमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, वाराणसी, कांचीपुरम, उज्जैन, द्वारका शामिल है। अयोध्या को हिंदू धर्म में प्राचीन के साथ-साथ पौराणिक नगरी भी कहा जाता है।
अथर्ववेद के अनुसार अयोध्या का अर्थ है ईश्वर का नगर जिसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अयोध्या की स्थापना सूर्य देव के बेटे वैवस्वत मनु महाराज द्वारा बताई जाती है जो आज से लगभग 6473 ईसा पूर्व हुआ।
4.उज्जैन
भारत में हर 12 वर्ष के बाद कुंभ मेले का आयोजन उज्जैन के शिप्रा नदी पर किया जाता है। शिप्रा नदी के किनारे बसा है उज्जैन शहर जिसे धार्मिक आकर्षण का केंद्र भी माना जाता है। बता दे उज्जैन को भी भारत के सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है जिसका पौराणिक इतिहास परंपराओं में डूबा हुआ है।
यह प्राचीन शहर कभी मध्य भारत के प्राथमिक शहरों में से एक हुआ करता था और 600 ईसा पूर्व के लगभग सांस्कृतिक, राजनैतिक और साहित्यिक केंद्र के रूप में काम करता है।
5.पटना
भारत का पांचवा सबसे प्राचीन शहर है पटना, जो बिहार राज्य के राजधानी होने के साथ-साथ एक खुशहाल विकास की ओर भागता एक खूबसूरत और आकर्षक शहर भी है। पटना आज से करीब 2500 वर्ष पुराना माना जाता है।
प्राचीन काल में इसे पाटलिपुत्र के नाम से भी जाना जाता था यह शहर हिंदू धर्म से ज्यादा बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है। पटना बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र नगरी के रूप में काम करता है। गौतम बुद्ध ने बोधगया में बोधी पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
Image: Wikipedia
पीएम मोदी कुवैत के दौरे पर!!
संस्कृति एक ब्लॉगर हैं। संस्कृति को ऑटोमोबाइल, फैक्ट्स, लाइफस्टाइल और ट्रेवल से जुडी पोस्ट लिखना पसंद है।
-
ट्रेंडिंग3 weeks ago
OpenAI Whistleblower Suchir Balaji Dead: एआई रिसर्चर सुचिर बालाजी की सैन फ्रांसिस्को में हुई मौत, OpenAI के खोले थे कई राज
-
ऑटोमोबाइल3 weeks ago
Bharat Mobility Global Expo 2025: भारत मोबिलिटी एक्सपो में इस बार इन इलेक्ट्रिक कारों को किया जाएगा लॉन्च।
-
ट्रेंडिंग3 weeks ago
PV Sindhu Engagement News: पी वी सिंधु ने वेंकट दत्ता के साथ की सगाई, उदयपुर में होगी शादी
-
ट्रेंडिंग3 weeks ago
Mumbai Ferry Accident News: मुंबई में बोट पलटने से 80 से ज्यादा लोग समंदर में डूबे, कई हुए लापता, जानें पूरी खबर