Gopeshwar Mahadev Temple: गोपेश्वर महादेव मंदिर वृन्दावन में स्थित एक अद्भुत और प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव को एक गोपी के रूप में पूजा जाता है। इस पोस्ट में हम इस प्रसिद्ध मंदिर के कुछ तथ्यों को जानेंगें।
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Gopeshwar Mahadev Temple के कुछ अनोखे फैक्ट्स
शिव को गोपेश्वर क्यों कहा जाता है?
जब भगवान शिव एक गोपी का रूप बदल कर कृष्ण के साथ रास के लिए आए तो भगवान कृष्ण ने उनके भेष बदले हुए स्त्री रूप को पहचान लिया और उन्हें ‘महाराज गोपेश्वर’ कहकर उनका स्वागत किया। तभी से महादेव का एक नाम गोपेश्वर पड़ गया।
अत्यंत प्राचीन मंदिर
गोपेश्वर महादेव मंदिर वृन्दावन के सबसे पुराने और अनोखे मंदिरों में से एक है, जो यमुना नदी के निकट वंशी वट के पास स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में गोहद के राजा द्वारा किया गया था, जो भगवान शिव के भक्त थे।
अपने आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के अलावा, गोपेश्वर महादेव मंदिर अपनी उत्कृष्ट डिजाइन और वास्तु के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में सुंदर शिखर, संगमरमर से निर्मित कृतियों के कारण यह मंदिर वास्तुकला की अद्भुत छवि दिखाता है।
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गोपेश्वर महादेव मंदिर, वृन्दावन का इतिहास/पौराणिक कथा
लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण और श्री राधा रानी गोपियों के साथ शरद पूर्णिमा की रात को रास लीला कर रहे थे। उसी समय भगवान शिव ने रास लीलाके आनंद का अनुभव करने के लिए रास-लीला में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। हालाँकि, पुरुष होने के कारण भगवान शिव को ऐसा करने की अनुमति नहीं थी और वृंदा देवी ने उन्हें रोक दिया था।
परन्तु रास में शामिल होने के लिए दृढ़ संकल्पित, भगवान शिव ने देवी राधा से प्रार्थना की और ध्यान करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने सखी भाव में प्रेरित होने के बाद उन्हें रास लीला में शामिल होने की अनुमति दी। इसके बाद भगवान शिव ने पवित्र यमुना नदी में डुबकी लगाई और एक सुंदर युवती का रूप धारण कर लिया। जिसके बाद उन्हें रास मंडल में जाने की अनुमति दी गई।
श्रीमद्भागवत में महादेव शंकर या भगवान शिव को सबसे प्रमुख वैष्णव कहा गया है। वह और देवी पार्वती सदैव भगवान कृष्ण की लीलाओं का ध्यान करते रहते हैं। इस मंदिर में सुबह शिवलिंग की और शाम को महादेव की गोपेश्वर रूप में पूजा की जाती है। शाम के समय शिवलिंग को एक गोपी के रूप में सजाया जाता है और विधिपूर्वक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
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मंदिर के बारे में कुछ अन्य तथ्य –
वृंदावन में आकर दर्शनार्थी कल-कल बहती यमुना नदी में स्नान करके मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। नदी के किनारे एकांत में कुछ समय बिताने पर खुद के अंदर एक नयी ऊर्जा का अनुभव होता है।
गोपेश्वर महादेव मंदिर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित वंशी वट या महारास स्थली के दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने श्री राधा रानी और गोपियों के साथ रास लीला की थी।
वृंदावन में गोपेश्वर महादेव जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सोमवार का दिन आमतौर पर सबसे व्यस्त दिन होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव से जुड़ा है। सोनवार के दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है।
मंदिर के गर्भगृह में एक बड़ा शिव लिंग है, जिसे शाम के समय गोपी के रूप में सजाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
यह मंदिर यमुना नदी और मदन मोहन मंदिर के पास स्थित है, जो वृन्दावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
मंदिर परिसर में आपको एक हनुमान मंदिर, एक सूर्य मंदिर और राधा और कृष्ण के मंदिर के भी दर्शन होते हैं।
मंदिर परिसर में महा शिवरात्रि, होली, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, दिवाली, अन्नकूट महोत्सव, गोपाष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा, गीता जयंती और एकादशी जैसे त्योहार पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाए जाते हैं।
यह मंदिर वृन्दावन की भक्ति, विरासत और परंपरा का प्रतीक है, जो भगवान कृष्ण और गोपियों के प्रेम को दर्शाता है।
गोपेश्वर महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है। अत्यंत प्राचीन होने के कारण इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। श्रद्धालुओं की भीड़ यहाँ लगी रहती है।
मंदिर में सुबह और शाम, विशेषकर शिवरात्रि और सोमवार को दैनिक पूजा की की जाती है। पूजा के दौरान, भगवान शिव की मुख्य मूर्ति को सफेद वस्त्र पहनाए जाते हैं और फूलों, अक्षत, फूलों और मालाओं से सजाया जाता है।
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Gopeshwar Mahadev Temple, Vrindavan
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