Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health: आज कल हम सभी किसी ना किसी डिजिटल गैजेट का यूज़ कर रहे हैं। डिजिटल डिवाइस से घिरे होने के कारण ही वर्तमान समय को डिजिटल युग कहा जा रहा है।
इस डिजिटल युग में बच्चों, बड़ों और युवा पीढ़ी का अधिकतर समय डिजिटल डिवाइस पर बीत रहा है। ऐसे में हम सभी टेक्निक का इस्तेमाल डेली लाइफ में ज्यादा से ज्यादा कर रहे हैं। हम सभी स्मार्टफोन में सोशल मीडिया के अलावा कई ऑनलाइन एक्टिविटी में अपना ज्यादा समय बिताते हैं।
इतना ज्यादा समय डिजिटल डिवाइस पर बिताने से हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। हममें से अधिकतर लोग शरीर की देखभाल तो कर लेते हैं, परन्तु मेंटल हेल्थ के बारे में सही जानकारी ना होने से हम इसके खतरे से अनजान रहते हैं जो आगे चलकर टेंशन और डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म देती है।
Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health: मेन्टल हेल्थ पर कैसे पड़ता है टेक्नोलॉजी का प्रभाव
हो रहा है जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल
लेटेस्ट टेक्निक ने हमारे काम करने, बातचीत करने और जानकारी प्राप्त करने के तरीके को बिलकुल बदल दिया है। आज डेली अरबों लोग सोशल मीडिया और इंटरनेट का इस्तेमाल अलग अलग एक्टिविटी के लिए करते हैं। एक रिसर्च के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति अपने स्मार्टफोन पर दिन में औसतन चार घंटे से ज़्यादा समय बिताता है। इसके कारण हमारे दिमाग पर तकनीक का गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health: कई रिसर्च में यह पता चला है कि स्मार्टफ़ोन का अधिक इस्तेमाल चिंता, निराशा और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। इस पोस्ट में हम मेंटल हेल्थ पर तकनीक के कारण पड़ने वाले कुछ नकारात्मक प्रभावों को जानेंगे। तकनीक के कुछ बुरे तो तो कुछ अच्छे प्रभाव भी हैं। तकनीक के अच्छे प्रभावों को भी बताने का प्रयास करेंगे, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य ठीक रह सकें।
टेक्नोलॉजी से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव
वर्तमान में जब टेक्नोलॉजी दिनोंदिन डेवलप हो रही है तो इसके कई लाभ मिल रहे हैं। वहीं इसी टेक्नोलॉजी के कुछ ऐसे नेगेटिव प्रभाव भी हैं जो हमारी मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। आइये जानते हैं ये नकारात्मक प्रभाव कौन से हैं।
स्क्रीन टाइम का ज्यादा इस्तेमाल करना
हम सभी अपने डेली रूटीन में फ़ोन, कंप्यूटर या टीवी पर बहुत अधिक समय बीता रहे हैं।अधिक स्क्रीन टाइम हमारे स्वास्थ्य को तो नुकसान पहुँचा ही रहा है। यह हमारी मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही कम उम्र में ही आज के युवा स्मार्टफोन और डिजिटल गैजेट के आदी बन रहे हैं।
हम डिजिटल गैजेट के इस्तेमाल को बंद तो नहीं कर सकते लेकिन एक समय फिक्स कर सकते हैं। स्क्रीन टाइम से हमारी नींद खराब हो जाती है और शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है। इसके अलावा हम समाज और लोगों के साथ कम समय बिताने को मजबूर होते है।
इसकी वजह से आज कल अकेलेपन की बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। अगर हम सभी स्मार्टफोन और डिजिटल गैजेट का एक फिक्स समय के लिए उपयोग करें तो हमारी मेंटल हेल्थ में सुधार होता है और हम खुद को फ्रेश महसूस करते हैं।
समाज से हो रही है दूरी
लगातार और अधिक समय तक डिजिटल गैजेट के इस्तेमाल से लोग समाज से दूर होते जा रहे हैं। इससे लोगों में अकेलापन की बीमारी बढ़ रही है। पहले के समय में लोग एक बड़े परिवार में रहते थे जिसमें कम से कम 15 से 20 लोग एक साथ रहते थे, वहीं आज लोगों में अकेले रहने की आदत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण कई लोगों के तो अच्छे दोस्त भी नहीं हैं।
Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health: ऐसे में अकेले रहने वाला इंसान खुद को समाज से अलग महसूस करने लगता है। ऐसे अकेले रहने वाले इंसान केअंदर एक समय के बाद कई बीमारियां होने लगती है। इन बीमारियों में दिल की समस्याएँ, डिप्रेशन, हाई बीपी आदि मुख्य हैं। हम सभी को इस डिजिटल युग में 1 से 2 ऐसे दोस्त जरूर बनाने चाहिए जिनसे बात करके अकेलेपन को दूर किया जा सके।
ऑनलाइन ट्रोल करना (साइबरबुलिंग)
आज कल जब भी कोई युवा सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट या फोटो शेयर करता है तो लोग उनकी फोटो या पोस्ट पर बुरे कमेंट करते रहते हैं। इसे ट्रोल करना या साइबरबुलिंग भी कहा जाता है। इसमें लोग पोस्ट को या अफवाहों को फ़ैलाने का भी काम करते हैं जिससे लोग दुखी और डरा हुआ महसूस करते हैं। इसी साइबरबुलिंग या ट्रोलिंग की वजह से ही कई लोगों ने खुदखुशी भी कर ली है।
चूंकि हम लोग अपना ज्यादा समय ऑनलाइन एक्टिविटी में बिताते हैं। इसलिए जब भी कोई साइबरबुलिंग का शिकार मिले तो ऐसे लोगों की मदद जरूर करनी चाहिए। साइबरबुलिंग के शिकार लोग कभी भी डिप्रेशन में जा सकते हैं और आपकी छोटी सी मदद किसी की जान बचा सकती है।
फोमो फोबिया (Fear of Missing Out)
टेक्नोलॉजी का एक निगेटिव इफ़ेक्ट FOMO भी है। फोमो में लोगों को एक कमी बताई या दिखाई जाती है कि लोग तो बहुत हैप्पी हैं, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। आपको ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जायेंगे जिसमें लोग ऐसी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं जिसमें वे बेहद खुश दिखाई देते हैं लेकिन असली जिंदगी में वे बहुत दुःखी होते हैं। बस वे ऐसी बातों को पब्लिक के बीच बताते नहीं हैं।
अकेले रहने वाला इंसान जब भी ऐसी पोस्ट या फोटो को सोशल मीडिया पर देखता है तो उसे लगता है कि इस पूरी दुनिया में उससे अकेला कोई दूसरा नहीं है। इसी FOMO के कारण ही अकेले रहने वाले व्यक्तियों का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होने लगता है। इससे टेंशन, डिप्रेशन के अलावा इंसान चिंता करने लगता है। ऐसी स्थिति में स्मार्टफोन का इस्तेमाल कम से कम करना ही सही रहता है। (Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health)
एकाग्रता में लगातार कमी होना
लगातार स्मार्टफोन या डिजिटल गैजेट के इस्तेमाल से लोगों की एकाग्रता में कमी हो रही है। बच्चे और युवा पढ़ाई पर ज्यादा फोकस नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण वे एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं ला पा रहे हैं। स्क्रीन पर बहुत ज़्यादा समय बिताने से किसी भी काम को सही से करने में प्रॉब्लम हो रही है।
Top 10 Negative Effects of Technology on Mental Health: इसके अलावा टेंशन होने पर जब भी ध्यान और योग करने की कोशिश की जाती है तो फोकस की कमी से ध्यान या प्राणायाम लम्बे टाइम तक नहीं कर पाते। जिससे टेंशन की प्रॉब्लम बनी रहती है। इसे ठीक करने के लिए सभी को स्क्रीन पर कम से कम समय बिताने और अपने समय को मैनेज करने की जरुरत है। इसके लिए टाइम मैनेजमेंट से जुड़ी कई किताबों को पढ़ सकते हैं।
नींद पूरी ना होना
जरुरत से ज्यादा टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हमारी नींद पूरी नहीं हो पाती है। इसकी वजह से हमारा डेली रूटीन डिस्टर्ब हो जाता है। जब भी आप किसी रात देर तक जागते हैं तो अगले दिन आपको सिर में दर्द या शरीर में थकान महसूस हो सकती है। वहीं जब आप जल्दी सोते हैं और सुबह जल्दी उठते हैं तो आपके अंदर एक अलग एनर्जी महसूस होती है।
अच्छी नींद ना लेने से आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए हम सभी को समय पर सोना चाहिए और 7 से 8 घंटे की नींद जरूर पूरी करनी चाहिए।
एक दूसरे से तुलना करना
बहुत ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से अधिकतर लोग अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं जोकि बहुत गलत बात है। कभी भी एक इंसान की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए। सभी के अंदर अलग खूबी होती है। जब भी हम टेक्नोलॉजी यूज़ करते हैं तो सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल जरूर करते हैं।
इसी सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे की तुलना करने लगते हैं, जिसका असर हमारी जिंदगी में भी पड़ने लगता है और हम टेंशन और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। कभी कभी एक दूसरे से तुलना करने पर युवा गलत आदतों के शिकार भी हो जाते हैं और गलत संगत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं।
शारीरिक एक्टिविटी कम करना
जब भी हम टेक्नोलॉजी का यूज़ करते हैं तो हमें स्क्रीन पर बहुत ज्यादा टाइम बिताना पड़ता है। इसके कारण हमें लम्बे समय तक बैठना पड़ता है। इस बीच हम ज़्यादा हिलते-डुलते नहीं हैं। बहुत ज़्यादा देर तक बैठे रहने और न हिलने-डुलने से हमारा वज़न बढ़ सकता है।
वजन बढ़ने के कारण दिल की बीमारी हो सकती है और हमारी हड्डियों में दर्द हो सकता है। इसीलिए जब भी ज्यादा देर तक बैठ कर काम करना हो तो यह जरूर ध्यान देना चाहिए कि हमारा शरीर कुछ देर के इंटरवल पर कोई ना कोई एक्सरसाइज जरूर करे। इसमें आप 5 मिनट कमरे में टहल भी सकते हैं या छत पर भी घूम सकते हैं।
हमेशा पढ़ते रहना और काम कम करना
आज के समय में टेक्नोलॉजी ने अधिकतर चीजों को बहुत आसान बना दिया है। पहले जहां लोगों को घर से दूर पढ़ने जाना पड़ता था, वहीं अब अधिक से अधिक जानकारी कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मौजूद है। इसकी वजह से हम कभी भी और कहीं से भी पढ़ाई कर सकते हैं।
हालाँकि एक तरह से यह अच्छी बात है लेकिन जब हमारे सामने बहुत ज्यादा इनफार्मेशन होती है तो हम जरुरत की चीजों को पढ़ने या सिखने की बजाय फालतू की चीजों को भी समझने लगते हैं। इससे हमारे दिमाग पर पड़ता है और एक साथ कई चीजों को सोचने से हम मानसिक रूप से थक जाते हैं। इसलिए हमें एक बार में एक ही चीज को सीखना चाहिए और उस जानकारी का सही इस्तेमाल भी करना चाहिए।
जब भी आपको किसी चीज की नॉलेज हो तो उसका उपयोग जरूर कीजिये। इससे आपका दिमाग एक्टिव रहेगा और आपको मानसिक थकान की अनुभूति नहीं होगी।
टेक्नोलॉजी पर ही डिपेंड होना
आज जिसे देखो वही स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा है। देखा जाय तो आज लगभग 95% से 98% लोगों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट मौजूद है। ऐसे में लोग हर बात को या तो सोशल मीडिया पर शेयर करने में लगे हैं या हर चीज को इंटरनेट खोजने लगे हैं। वे अपने दिमाग और मेंटल एबिलिटी का बहुत ही कम उपयोग कर रहे हैं। जिससे आज की युवा पीढ़ी और बच्चों में इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।
इससे लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है और मेंटल हेल्थ पर इफ़ेक्ट पढ़ रहा है। ऐसे में अगर इंटरनेट से कुछ समय भी दूर रहना पड़ता है तो ऐसे लोगों को लगता है कि उनकी जिंदगी में और कुछ भी करने को नहीं है। ऐसे लोगों के अंदर तनाव, डिप्रेशन, हाई बीपी जैसी बीमारियाँ सामान्य हो गयी हैं।
यदि हम देखें तो टेक्नोलॉजी ने जहाँ हमारे जीवन को आसान बनाया है वहीं इसके खतरे कम नहीं हैं। यदि हम समय रहते हुए टेक्नोलॉजी के नकारात्मक प्रभाव को नहीं पहचान पाए तो आने वाले समय में हमारे दिमाग पर इसके बुरे प्रभाव पड़ेंगे। इसलिए हम सभी को अपनी डिजिटल आदतों को मैनेज करके जीवन जीना होगा। ऐसा करके ही हम टेक्नोलॉजी के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं और होने मानसिक स्वास्थ्य को सही रख सकते हैं।
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