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Unknown Mysteries Of Kamakhya Devi Temple- कामाख्या मंदिर के 7 रहस्य, जो आपको हैरान कर देंगे!

Unknown mysteries of kamakhya devi temple

Unknown Mysteries Of Kamakhya Devi Temple- कामाख्या देवी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और रहस्यमयी शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर असम के गुवाहाटी शहर के नीलांचल पर्वत पर स्थित है।

इसे माँ कामाख्या को समर्पित किया गया है, जो शक्ति (दिव्य स्त्री ऊर्जा) की प्रतीक मानी जाती हैं। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती, बल्कि माँ भगवती के योनि रूपी पिंड की पूजा की जाती है।

Unknown mysteries of kamakhya devi temple

यहाँ हर साल अंबुबाची मेले का आयोजन होता है, जब यह माना जाता है कि माँ कामाख्या मासिक धर्म (Periods) में होती हैं। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों तक बंद रहते हैं और फिर विशेष अनुष्ठानों के बाद भक्तों के लिए खोले जाते हैं।

यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक बल्कि कई रहस्यों और चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध है। इस ब्लॉग में हम कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Temple) के गूढ़ रहस्यों, इतिहास और मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास

Unknown mysteries of kamakhya devi temple

कामाख्या मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। माना जाता है कि यह मंदिर उन 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ माँ सती के शरीर के अंग गिरे थे।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, तो माँ सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इस घटना से भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने सती के शरीर को उठाकर तांडव नृत्य शुरू कर दिया। इससे पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई।

तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माँ सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित कर दिया, और ये टुकड़े धरती पर विभिन्न स्थानों पर गिरे, जो आज शक्ति पीठों के रूप में पूजे जाते हैं।

कामाख्या मंदिर वही स्थान है, जहाँ माँ सती की योनि गिरी थी। इसलिए यहाँ माँ के रजस्वला रूप की पूजा की जाती है, जो नारी शक्ति और सृजन का प्रतीक है।

कामाख्या मंदिर के अद्भुत रहस्य

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1. माँ की मूर्ति नहीं, पिंड की पूजा होती है

कामाख्या मंदिर में किसी प्रतिमा की पूजा नहीं होती, बल्कि एक स्वयंभू योनि रूपी पिंड की पूजा की जाती है। यह पिंड एक गुफा के अंदर मौजूद है, जहाँ एक प्राकृतिक जल स्रोत भी है। इस जल स्रोत का पानी स्वतः ही लाल रंग का हो जाता है, जिसे माँ के मासिक धर्म का प्रतीक माना जाता है।

2. पानी का लाल होना – विज्ञान या चमत्कार?

हर साल अंबुबाची मेले के दौरान गुफा के जल का रंग तीन दिनों के लिए लाल हो जाता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यह किसी खास प्रकार की मिट्टी के कारण हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं। श्रद्धालु इसे माँ की दिव्य शक्ति और रहस्यमय चमत्कार मानते हैं।

3. अंबुबाची मेला: जब माँ “रजस्वला” होती हैं

Unknown mysteries of kamakhya devi temple

हर साल अंबुबाची मेला आयोजित होता है, जो यह दर्शाता है कि माँ कामाख्या (Kamakhya Devi Temple Guwahati) इन दिनों मासिक धर्म में होती हैं।

इस दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और किसी भी पूजा-अर्चना की अनुमति नहीं होती। चौथे दिन मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और भक्तों को माँ का विशेष प्रसाद “रक्तवस्त्र” दिया जाता है, जो एक लाल कपड़ा होता है।

4. यहाँ तंत्र साधना का गुप्त केंद्र है

कामाख्या देवी मंदिर को तंत्र साधना का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। यहाँ कई साधक और तांत्रिक अपनी सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं। कहा जाता है कि यहाँ किए गए अनुष्ठान और तांत्रिक क्रियाएँ बहुत प्रभावशाली होती हैं।

5. माँ कामाख्या को बलि चढ़ाने की परंपरा

मंदिर (Kamakhya Devi Temple) में पशु बलि की प्रथा आज भी जारी है। यहाँ बकरों और भैंसों की बलि दी जाती है, लेकिन कोई भी महिला बलि का हिस्सा नहीं होती। यह माना जाता है कि इस बलि से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।

6. रहस्यमयी गुप्त द्वार

मंदिर के अंदर एक गुप्त द्वार होने की मान्यता है, जिसे आज तक कोई नहीं खोल सका। कहा जाता है कि इस दरवाजे के पीछे अद्भुत शक्तियाँ और रहस्य छिपे हुए हैं।

Images- Twitter

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