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Mistakes To Avoid During Durga Saptashati 2025-दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियाँ

Mistakes to avoid during durga saptashati 2025

Mistakes To Avoid During Durga Saptashati 2025- दुर्गा सप्तशती हिंदू धर्म में एक अत्यंत शक्तिशाली ग्रंथ है, जिसे माँ दुर्गा की स्तुति और उपासना के लिए पढ़ा जाता है। यह ग्रंथ देवी महात्म्य के नाम से भी जाना जाता है।

इसमें देवी दुर्गा की महिमा, उनके अद्भुत लीलाओं और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, सुरक्षा और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

Mistakes to avoid during durga saptashati 2025

लेकिन यह भी कहा जाता है कि यदि इस ग्रंथ का पाठ विधिवत और शुद्धता से न किया जाए, तो इसके विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

इस ब्लॉग में हम उन बातों का जिक्र करेंगे, जिन्हें दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

Mistakes To Avoid During Durga Saptashati 2025- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियाँ!

Mistakes to avoid during durga saptashati 2025

1. अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें

दुर्गा सप्तशती एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, इसलिए इसका पाठ किसी भी अशुद्ध या अशांत स्थान पर नहीं करना चाहिए। गंदे स्थान, शौचालय या अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर इसका पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है और देवी की कृपा प्राप्त नहीं होती। इसे स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही पढ़ना चाहिए।

2. अपवित्र अवस्था में पाठ न करें

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शरीर और मन की पवित्रता बहुत आवश्यक होती है। अपवित्र अवस्था में, जैसे बिना स्नान किए, गंदे कपड़े पहनकर, या अपवित्र मन से इसका पाठ नहीं करना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मन को शांत रखें।

3. गलत उच्चारण से बचें

संस्कृत के मंत्रों का सही उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यदि दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का गलत उच्चारण किया जाए, तो इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है। इसलिए पाठ करने से पहले किसी योग्य गुरु या विद्वान ब्राह्मण से उच्चारण की सही विधि सीखें और पूरी श्रद्धा व शुद्धता से पाठ करें।

4. बीच में पाठ रोकना नहीं चाहिए

दुर्गा सप्तशती के पाठ को बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है। यदि आप एक बार पाठ शुरू कर चुके हैं, तो उसे पूरी श्रद्धा और नियम के अनुसार पूरा करना चाहिए। बीच में रुकने से आध्यात्मिक ऊर्जा बाधित हो सकती है और इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती।

5. गलत समय पर पाठ न करें

दुर्गा सप्तशती का पाठ दिन के शुभ समय में ही करना चाहिए। यह पाठ आमतौर पर ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे) किया जाता है। इसे रात में 12 बजे के बाद या अमावस्या जैसी अशुभ तिथियों पर करने से बचना चाहिए।

6. मांसाहार और नशे का सेवन न करें

जो व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहा हो, उसे नौ दिनों तक सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांसाहार, शराब, सिगरेट, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे साधना की शक्ति नष्ट होती है और पाठ का पूरा लाभ नहीं मिलता।

7. क्रोध, लोभ और वासना से बचें

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय मन को पूरी तरह से शांत और संयमित रखना चाहिए। क्रोध, लालच, ईर्ष्या और वासना जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना आवश्यक है। यदि मन अस्थिर और अशांत रहेगा, तो पाठ का पूरा फल नहीं मिलेगा।

8. बिना संकल्प के पाठ न करें

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले संकल्प लेना अत्यंत आवश्यक है। बिना संकल्प लिए पाठ करने से उसका संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। पाठ करने से पहले देवी दुर्गा का ध्यान करें, एक निश्चित उद्देश्य के लिए संकल्प लें और फिर पाठ शुरू करें।

9. पाठ समाप्ति के बाद कृतज्ञता अर्पित करना न भूलें

बहुत से लोग पाठ समाप्त करने के बाद सीधे उठ जाते हैं, लेकिन यह गलत है। जब भी दुर्गा सप्तशती का पाठ समाप्त हो, तो माँ दुर्गा को धन्यवाद देना चाहिए, आरती करनी चाहिए और प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इससे माँ की कृपा बनी रहती है और साधना का पूरा लाभ मिलता है।

10. अधूरी आस्था के साथ पाठ न करें

यदि आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं, तो पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। इसे केवल औपचारिकता या दिखावे के लिए न करें। माँ दुर्गा की आराधना के लिए हृदय की सच्ची भक्ति आवश्यक है। जब मन में सच्ची आस्था होती है, तभी साधना सफल होती है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली है, लेकिन इसे विधिपूर्वक और सही नियमों का पालन करते हुए ही करना चाहिए। यदि यह पाठ श्रद्धा, समर्पण और सही नियमों के साथ किया जाए, तो यह अद्भुत चमत्कार दिखा सकता है।

माँ दुर्गा की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति आती है। लेकिन यदि इसमें लापरवाही बरती जाए, तो इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए पाठ के दौरान इन गलतियों से बचें और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।

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