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Mahakumbh Maha Shivratri Snan 2025- महाकुंभ में महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब, जयकारों से गूंज रहा संगम क्षेत्र

Mahakumbh maha shivratri snan 2025

Mahakumbh Maha Shivratri Snan 2025- महाकुंभ का आज अंतिम पवित्र स्नान है। महाशिवरात्रि के अवसर पर होने वाले इस पवित्र स्नान के साथ ही प्रयागराज महाकुंभ का समापन हो जाएगा। इस समय प्रयागराज में महाशिवरात्रि के अवसर पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौजूद है। प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद है।

Mahakumbh Maha Shivratri Snan 2025- महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब, जयकारों से गूंज रहा संगम क्षेत्र

Mahakumbh maha shivratri snan 2025
संगम पर भारी भीड़

गूंज रही है जयकार

भक्तों की भारी भीड़ से भरे हुए संगम क्षेत्र में चारों ओर हर हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। लोग भक्ति से बहते हुए हैं और लगातार संगम सहित अन्य घाटों पर स्नान कर रहे हैं।

मेला क्षेत्र के अधिकारियों के अनुसार समाचार लिखे जाने तक 45 लाख से ज्यादा लोगों ने पवित्र स्नान कर लिया है। अनुमान जताया जा रहा है कि आज महाशिवरात्रि के अवसर पर लगभग 2 करोड़ लोग संगम में स्नान कर सकते हैं।

 

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सुरक्षा है बेहद कड़ी

प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन के साथ साथ पूरे प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है। मेला क्षेत्र को पिछले कई दिनों से नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है।

प्रयागराज शहर में सिर्फ जरूरी सामानों की आपूर्ति वाले वाहनों को जाने दिया जा रहा है। संगम क्षेत्र में इस समय हजारों की संख्या में पुलिस कर्मी के साथ SDRF, NDRF और आईटीबीपी के जवान तैनात हैं।

रास्तों में है खचाखच भीड़

आज महाशिवरात्रि का पवित्र त्योहार है और आज ही महाकुंभ का समापन भी है। इसको देखते हुए रात से ही भक्तों का आना लगा हुआ है। स्थिति यह है कि प्रयागराज की शायद ही कोई ऐसी गली हो, जहां श्रद्धालुओं की भीड़ ना हो। हर रास्ते पर भक्तों की भारी भीड़ पूरे जोश और उत्साह से संगम में स्नान करने के लिए लालायित दिख रही है।

 

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65 करोड़ से ज्यादा ने लगाई है डुबकी

मंगलवार को मेला प्रशासन ने यह घोषणा की कि अब तक कुल 65 करोड़ से ज्यादा लोगों ने प्रयागराज महाकुंभ में डुबकी लगाई है। महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के दिन 2 करोड़ से श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है। मेला प्रशासन के साथ साथ प्रयागराज और आस पास के जिलों के अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था पर पूरा ध्यान दे रहे हैं।

सीएम योगी भी कर रहे हैं मॉनिटरिंग

आधी रात से ही संगम पर स्नान कर रहे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की मॉनिटरिंग खुद सीएम योगी आदित्यनाथ भी कर रहे हैं। भोर में 4 बजे से ही गोरखपुर में बनाए गए कंट्रोल रूम से सीएम व्यवस्था को देखते हुए नजर आए। भीड़ को देखते हुए उन्होंने मेला क्षेत्र के अधिकारियों को कुछ जरूरी दिशा निर्देश भी दिए है।

Mahakumbh maha shivratri snan 2025
सीएम योगी कंट्रोल रूम से निगरानी करते हुए

प्रयागराज के लोग भी हैं हैरान

प्रयागराज महाकुंभ में वैसे तो ज्यादा भीड़ कल्पवासियों और अखाड़ों के रहने तक ही रहती है। लेकिन इस महाकुंभ में भीड़ कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। इसको लेकर प्रयागराज वासियों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया है।

यूजर्स ने लिखा है कि वैसे तो भीड़ को कम होना चाहिए, लेकिन कल्पवासियों के जाने के बाद भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है। भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।


इसके कारण प्रयागराज में रह रहे लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार और प्रशासन इस बात का ध्यान रख रहे हैं लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालना कोई आसान काम नहीं है।

महाशिवरात्रि के पवन पर्व के साथ ही प्रयागराज महाकुंभ का समापन हो जाएगा। इसके बाद धीरे धीरे प्रयागराज वासियों का जीवन सामान्य होने लगेगा।


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जाने क्यूँ मनाया जाता है महाशिवरात्रि, जाने महाशिवरात्रि व्रत की कथा

 

Kalpvasi Returned From Mahakumbh 2025- महाकुंभ से कल्पवासियों की विदाई शुरू, काशी में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

Kalpvasi returned from mahakumbh

Kalpvasi Returned From Mahakumbh 2025- प्रयागराज महाकुंभ अब अपने समापन की तरफ है। महाकुंभ से कई अखाड़ों के साथ साथ 1 महीने से कल्पवास कर रहे कल्पवासी भी वापस आने की तैयारियों में जुट गए हैं।

प्रशासन भी सभी को सुरक्षित वापस भेजने के लिए पूरी मुस्तैदी से लगा हुआ है। कल्पवासियों को धीरे धीरे करके महाकुंभ मेला से वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। समाचार लिखे जाने तक 10 लाख से ज्यादा कल्पवासी अपने शिविर को छोड़ कर वापस अपने घरों को लौट चुके हैं।

Kalpvasi Returned From Mahakumbh 2025- महाकुंभ से कल्पवासियों की विदाई शुरू

Kalpvasi returned from mahakumbh

कल्पवासी लौट रहे हैं घरों को

माघी पूर्णिमा के अमृत स्नान के बाद से ही महाकुंभ में एक महीने से रह रहे कल्पवासी अब अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। हालांकि प्रयागराज महाकुंभ में एक माह तक कठिन तप और साधना करते हुए जीवन बिताने वाले इन कल्पवासियों की आँखें भी नम हो रही हैं।

किसी को भी संगम क्षेत्र से वापस आने का मन नहीं कर रहा है। फिर भी कल्पवासी भावुक होकर शिविरों को छोड़ते हुए घरों की ओर वापस लौट रहे हैं। इनके सकुशल वापस होने की पूरी जिम्मेदारी प्रयागराज मेला प्रशासन ने ले रखी है।

अखाड़े भी लौटेंगे तपोभूमि में

प्राप्त जानकारी के मुताबिक महाकुंभ में एकत्र हुए विभिन्न अखाड़ों के साधु, संन्यासी भी माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद अपनी तपोभूमि की ओर प्रस्थान करने लगेंगे।

विभिन्न अखाड़ों के साधु महाशिवरात्रि के पर्व पर काशी में विश्वनाथ बाबा के दर्शन के बाद आम जनता से दूर गुफाओं में और अपनी तपोभूमि में वापस लौट जायेंगे। ये साधु महाशिवरात्रि के बाद से अपनी कठिन तपस्या में लीन हो जायेंगे।

Mahakumbh basant panchami amrit snan

नागा साधु पहुंचने लगे हैं काशी

अखाड़ों की वापसी की खबर के बीच श्रद्धालु अब बनारस पहुंच रहे हैं। बनारस के गोदौलिया में भक्तों की भारी भीड़ पहुंच रही है। काशी में नागा साधुओं के कई जत्थे भी पहुंच रहे हैं जो यहां महाशिवरात्रि तक रुकेंगे। उसके बाद सभी पहाड़ों और गुफाओं में तपस्या में लीन हो जायेंगे।

प्रयागराज में है लाखों की भीड़

महाकुंभ से जहां कल्पवासी वापस लौट रहे हैं तो अभी भी महाकुंभ के महाशिवरात्रि तक जारी रहने की वजह से लाखों लोग संगम में स्नान करने के लिए प्रयागराज आ रहे हैं।

Bollywood celebs at mahakumbh

ऐसे में प्रशासन सभी की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने की कोशिश कर रहा है। वहीं काशी में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इससे बनारस में हो रहे कई विकास कार्यों को रोकने का निर्देश दे दिया गया है।


लोगों की सुरक्षा के लिए जगह जगह पर बैरिकेटिंग लगाई गई है और रास्तों पर जाम की स्थिति से बचने के लिए रूट डाइवर्जन भी किया जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक समाचार लिखे जाने तक प्रयागराज महाकुंभ में 48 करोड़ लोगों ने स्नान कर लिया है।

कल्पवासियों के जाने के बाद से 15 हजार से ज्यादा सफाई कर्मियों के साथ पूरे संगम क्षेत्र की सफाई शुरू कर दी जाएगी। नदी की सफाई भी कर्मचारियों और आधुनिक मशीनों के माध्यम से की जाएगी।


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माघ पूर्णिमा पर त्रिवेणी संगम पर उमड़ा करोड़ों भक्तों का सैलाब

 

Mahakumbh Magh Purnima Sangam Snan-माघ पूर्णिमा पर त्रिवेणी संगम पर उमड़ा करोड़ों भक्तों का सैलाब, जानें माघ पूर्णिमा पर त्रिवेणी स्नान करने का महत्व।

Mahakumbh magh purnima sangam snan

Mahakumbh Magh Purnima Sangam Snan-माघ पूर्णिमा स्नान के अवसर पर आज बुधवार को प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई।

मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ घाटों पर उमड़ पड़ी। उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए थे।

Mahakumbh magh purnima sangam snan

सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए, जिसमें हजारों पुलिसकर्मी और एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहीं। संगम क्षेत्र में साफ-सफाई और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।

माघ मेला के तहत यह अंतिम प्रमुख स्नान था। इसके बाद श्रद्धालु कल्पवास समाप्त कर अपने घरों को लौटेंगे। साधु-संतों और कल्पवासियों ने भी इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की।

Mahakumbh Magh Purnima Sangam Snan- हेलिकॉप्टर से बरसाए गए श्रद्धालुओं पर फूल।

महाकुंभ में माघ पूर्णिमा के मौके पर संगम में स्नान का सिलसिला जारी है। श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा है कि संगम से लेकर करीब 15 किमी तक लोगों का जनसैलाब नजर आ रहा है।

प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहर 4 बजे तक लगभग दो करोड़ श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके हैं। अनुमान है कि शाम तक यह संख्या ढाई करोड़ को पार कर जाएगी।

श्रद्धालुओं के स्वागत में विशेष तैयारियां की गईं। हेलिकॉप्टर से कई क्विंटल फूलों की वर्षा की गई, जिससे माहौल और भी भक्ति-भाव से भर गया। भाईचारे की मिसाल तब देखने को मिली जब काटजू रोड स्थित मस्जिद के पास नमाजियों ने भी श्रद्धालुओं पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।

ट्रैफिक प्लान में बदलाव

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श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण प्रयागराज जाने वाले रास्तों पर भीषण जाम लग गया। इसे देखते हुए प्रशासन ने ट्रैफिक प्लान में बदलाव किया है। शहर में वाहनों की एंट्री बंद कर दी गई है। मेला क्षेत्र में किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं है।

श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए 8 से 10 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है। प्रशासन ने पार्किंग से संगम तक पहुंचाने के लिए शटल बसें चलाई हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी सीमित है, जिससे लोगों को पैदल सफर करना पड़ रहा है।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

माघ पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। यह माघ मास की अंतिम पूर्णिमा होती है, जिसे पुण्य अर्जित करने का विशेष अवसर कहा जाता है।

शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और तपस्या करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने की परंपरा है। श्रद्धालु सूर्योदय से पहले स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद दान-पुण्य किया जाता है।

अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, घी और कंबल का दान विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। कई लोग इस दिन गरीबों को भोजन कराकर पुण्य कमाते हैं।

माघ मास और कल्पवास की परंपरा

Mahakumbh magh purnima sangam snan
कल्पवासियों के शिविर

माघ माह में प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास करने की परंपरा भी है। कल्पवासी पूरे महीने संगम किनारे रहकर साधना, व्रत और भजन-कीर्तन करते हैं। वे साधारण जीवन जीते हैं और नियमों का सख्ती से पालन करते हैं। माना जाता है कि माघ में स्नान और तपस्या से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

माघ पूर्णिमा का संबंध केवल धार्मिक अनुष्ठानों से ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की आत्मिक शुद्धि से भी है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से मनुष्य के विचारों की शुद्धि होती है, और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यही कारण है कि इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं।

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राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का हुआ निधन!

 

President Murmu Takes Holy Dip At Sangam- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने किया संगम में पवित्र स्नान, अक्षयवट और श्री लेटे हनुमान मंदिर में की पूजा

President murmu takes holy dip at sangam

President Murmu Takes Holy Dip At Sangam- प्रयागराज संगम में आज एक साथ कई वीवीआईपी लोगों ने संगम के दर्शन किए। इनमें देश की प्रथम नागरिक और भारत की राष्ट्रपति भी शामिल रहीं।

आज 10 फरवरी को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू प्रयागराज पहुंची, जहां उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनका स्वागत किया।

President Murmu Takes Holy Dip At Sangam- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने किया संगम में पवित्र स्नान

President murmu takes holy dip at sangam

संगम में किया पवित्र स्नान

सनातन आस्था के इस महापर्व में आज 10 फरवरी सोमवार को संगम पर भारत की राष्ट्रपति पवित्र स्नान करने के लिए पहुंची। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने संगम में पवित्र स्नान किया।

इस अद्भुत क्षण के दर्शन हजारों लोगों ने किए। राष्ट्रपति के इस प्रयागराज दौरे के समय उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मौजूद रहीं।

अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर का दर्शन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पवित्र स्नान करने के दौरान पूजा अर्चना भी की। संगम स्नान के बाद राष्ट्रपति बेहद पवित्र अक्षयवट और श्री लेटे हनुमान मंदिर के दर्शन करने पहुंची। अक्षयवट पर दूध और फूलों से अभिषेक करने के साथ साथ हनुमान मंदिर में आरती करके सभी के कल्याण की प्रार्थना की।

सुरक्षा व्यवस्था रही हाइ अलर्ट पर

भारत की प्रथम नागरिक के प्रयागराज यात्रा के दौरान पूरे महाकुंभ में सुरक्षा एकदम हाइ अलर्ट पर थी। चारों ओर सेना और राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवान ही दिखाई दे रहे थे।

हनुमान मंदिर में दर्शन के बाद श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने महाकुंभ के डिजिटल अनुभूति केंद्र का भी दौरा किया।

President murmu takes holy dip at sangam

8 घंटे तक रहीं प्रयागराज में

प्राप्त जानकारी के मुताबिक अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महाकुंभ में 8 घंटे तक रहीं। संगम स्नान के अलावा अक्षयवट दर्शन के साथ उन्होंने हर व्यवस्था को देखा। संगम में जेटी से यात्रा के दौरान उन्होंने सीएम योगी, राज्यपाल सहित पक्षियों को दाना भी खिलाया।


पवित्र स्नान और मंदिर दर्शन के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बेहद अभिभूत दिखाई दी। हालांकि राष्ट्रपति की इस यात्रा के कारण आम नागरिकों को कई जगहों पर रोकना भी पड़ गया। वहीं प्रयागराज से बाहर के रास्तों पर अभी भी जाम की स्थिति बनी हुई है।


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प्रयागराज महाकुंभ के रास्तों पर भयंकर जाम, घंटों से फंसे हुए हैं श्रद्धालु

 

Prayagraj Mahakumbh 2025 Traffic Jam- प्रयागराज महाकुंभ के रास्तों पर भयंकर जाम, घंटों से फंसे हुए हैं श्रद्धालु

Prayagraj mahakumbh 2025 traffic jam

Prayagraj Mahakumbh 2025 Traffic Jam- प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ सड़कों पर उमड़ पड़ी है। प्रयागराज में 12 फरवरी को होने वाले माघी पूर्णिमा के अमृत स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।

इसका असर ये है कि प्रयागराज और संगम के नजदीक यातयात व्यवस्था को काबू में करना प्रशासन के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। अलग अलग सड़क रास्तों से प्रयागराज पहुंचने वाले मार्गों पर कई किलोमीटर का जाम लग गया है। इसमें हजारों गाड़ियां फंस गई हैं।

Prayagraj Mahakumbh 2025 Traffic Jam- महाकुंभ के रास्तों पर भयंकर जाम में फंसे श्रद्धालु, सड़क मार्ग हुए बंद

Prayagraj mahakumbh 2025 traffic jam

संगम रेलवे स्टेशन को किया गया बंद

मेला प्रशासन ने यात्रियों और नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए संगम रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया है। अलग अलग स्थानों से आने वाली ट्रेनों को संगम स्टेशन पर नहीं रोक जा रहा है। इसके बावजूद लोगों का जोश और उत्साह कम नहीं हुआ है और लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है।

लगा कई किलोमीटर लंबा जाम

महाकुंभ मेला के ट्रैफिक एडीजी ने बताया कि प्रयागराज संगम पर आने वाले वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है। इससे मेला क्षेत्र पर तो जाम लगा ही है। प्रयागराज से दूर 40 से 50 किलोमीटर पहले से ही गाड़ियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।

लोग जल्दी से जल्दी स्नान करने के लिए नजदीक की पार्किंग में गाड़ियों को खड़ा करने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। मेला प्रशासन के अनुसार जो पार्किंग संगम से थोड़ी दूर है, वो भी लगभग भर गई है।

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ऐसे में संगम स्नान के लिए आने वाले अधिकतर लोग अभी भी सड़कों पर वाहनों की कई किलोमीटर लंबी लाइनों में लगे हैं। मेला प्रशासन के अनुसार यह भीड़ मौनी अमावस्या के समय जितनी ही है। मौनी अमावस्या पर भी इसी तरह का भयंकर जनसैलाब प्रयागराज महाकुंभ के लिए उमड़ा था।

जोश में कोई कमी नहीं

वाहनों की लंबी भीड़, पैदल यात्रियों की धीमी रफ्तार के साथ कई किलोमीटर की पैदल यात्रा भी श्रद्धालुओं के जोश को कम नहीं कर पाई है। मौके पर मौजूद कई न्यूज चैनल्स जैसे कि द लल्लनटॉप, जी मीडिया और एबीपी लाइव के न्यूज रिपोर्टरों ने श्रद्धालुओं से इस बारे में बात की।

उनके अनुसार पवित्र महाकुंभ के अवसर पर श्रद्धालु कई किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा के बाद भी निराश नहीं है। उनके अंदर एक अलग ही जोश और हिम्मत देखने को मिल रही है।


अधिकतर श्रद्धालु तो यहां तक कह रहे हैं कि भले ही हमें कुछ किलोमीटर पैदल चलना पड़े, लेकिन हम बिना नहाएं वापस नहीं जायेंगे। सैकड़ों सालों के बाद लगने वाले इस महाकुंभ का योग फिर दोबारा नहीं मिलने वाला।

Bollywood celebs at mahakumbh

किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रयागराज मेला क्षेत्र में SDRF, आईटीबीपी, BSF के साथ साथ लोकल पुलिस भी भीड़ और ट्रैफिक को संभालने में जुटी हुई है। मेला प्रशासन के अनुसार अभी तक लगभग 43 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में स्नान कर चुके हैं।


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जाने दालचीनी के ज़बरदस्त फायदों के बारे में

 

Kalpavas Significance In Mahakumbh 2025- क्या होता है कल्पवास, कुंभ और महाकुंभ में क्या है इसकी महत्ता ?

Mahakumbh magh purnima sangam snan

Kalpavas Significance In Mahakumbh- प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। पौष पूर्णिमा पर होने वाला पहला अमृत स्नान भी सकुशल संपन्न हो चुका है। देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु और टूरिस्ट रोज ही प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

महाकुंभ और कुंभ के समय हजारों लोग कल्पवास करते हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी होता है कि आखिर यह कल्पवास क्या होता है और कुंभ और महाकुंभ के समय इसकी कितनी महत्ता होती है।

Kalpavas Significance In Mahakumbh 2025- क्या होता है महाकुंभ का कल्पवास, जानें नियम और अद्भुत लाभ !

Kalpavas significance in mahakumbh
नागा साधु

क्या होता है कल्पवास (What is Kalpavas)

कल्पवास हिन्दू धर्म का एक बेहद पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। इसमें प्रण लेकर एक संसारी व्यक्ति एक निश्चित समय के लिए भगवान की भक्ति, तप और ध्यान में लीन होता है। इससे व्यक्ति के अंदर आध्यात्म (स्पिरिचुअलिटी) का ज्ञान प्रकाशित होता है।

Kalpavas Significance In Mahakumbh- कल्पवास के समय बेहद ही साधारण जीवन बिताया जाता है। इसके अलावा जो भी इंसान कुंभ या महाकुंभ में कल्पवास करता है, वह जमीन पर सोता है और भगवान के तप और ध्यान में लगा रहता है। कल्पवास करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि व्यक्ति का मन संसार की मोह माया की ओर ना जाय।


इस दौरान पूरी तरह ब्रम्हचर्य का पालन किया जाता है। फिर चाहे कल्पवास करने वाला कितना ही अमीर व्यक्ति क्यों ना हो। साधारण लगने वाला कल्पवास एक कठिन तपस्या है। इससे ही पता चलता है कि एक संत या संन्यासी का जीवन कितना कठिन होता है।

पुराणों में है कल्पवास की विशेष महत्ता (Kalpavas Significance In Hindu Mythology)

हिंदू धर्म के अनेक धर्मग्रंथों में प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। पद्म पुराण और महाभारत में भी कल्पवास का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माघ महीने में कुंभ या महाकुंभ के समय कल्पवास करता है, उसे सौ सालों तक की तपस्या का फल कुछ ही दिनों में मिल जाता है।

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कल्पवासियों के शिविर

3 दिन से लेकर सालों तक हो सकता है कल्पवास

Kalpavas Significance In Mahakumbh- प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार कल्पवास करने के लिए श्रद्धालु तीन दिन, पांच दिन, 11 दिन या उससे अधिक समय का संकल्प लेकर कल्पवास कर सकते हैं। जो भी व्यक्ति कल्पवास का संकल्प करते हैं, उनको इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि कल्पवास की अवधि के समय वे झूठ ना बोलें, संयम से रहे, साधारण जीवन और ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें। यदि कोई कल्पवासी इस समय इन नियमों का पालन कर लेता है तो शास्त्रों के अनुसार उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

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हिंदू धर्म के प्राचीन पुराण पद्म पुराण में कल्पवास का समय 21 दिनों का बताया गया है। चूंकि कुंभ या महाकुंभ 40 दिनों से ज्यादा समय तक चलता है तो इस दौरान एक कल्पवासी 21 दिनों का नियम बड़ी ही सरलता से पवित्र नदियों के किनारे बीता सकते हैं।

कब से होती है शुरुआत

कुंभ या महाकुंभ में कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा के दिन से मानी जाती है। इस दिन से ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद भगवान शालिग्राम, तुलसी और केले का पूजन करने के बाद कल्पवास का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद 3 दिन, 5 दिन, 11 दिन या 21 दिन तक पूरी तरह सांसारिक बंधनों से दूर भगवान की साधना की जाती है।


प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भी पौष पूर्णिमा के बाद से हजारों की संख्या में लोगों ने कल्पवास का संकल्प लिया है और वे प्रयागराज में ही संगम तट के किनारे अत्यंत साधारण जीवन बीता रहे हैं। इस दौरान कल्पवासी सिर्फ भगवान के भजन में अपना पूरा दिन बिताते हैं। कुछ लोग तो प्रयागराज के संगम तट पर 45 दिनों का लंबा कल्पवास भी करते हैं।

बेहद कठोर होते हैं कल्पवास के नियम

कल्पवास के दौरान सभी को कल्पवास के कुछ कठोर नियमों को अपनाना बेहद जरूरी होता है। इन नियमों को सभी अपने जीवन में लगातार नहीं अपना पाते। इसीलिए कल्पवास करने को हिंदू धर्म ग्रंथों में विशेष महत्ता दी गई है।

क्या हैं नियम (Kalpavas Rule During Mahakumbh)

कल्पवास का संकल्प लेते हुए ही इन 21 कठोर नियमों का भी संकल्प लिया जाता है और पूरे कल्पवास के समय के दौरान इन नियमों का सख्ती के साथ पालन भी किया जाता है। ये प्रमुख नियम इस प्रकार हैं –

कल्पवास के समय प्रत्येक कल्पवासी को हमेशा सत्य बोलना, किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन, सभी के लिए दयालुता की भावना, मांस और शराब से दूर रहना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, डेली तीन बार नदी में नहाना, हिंदू धर्म में वर्णित त्रिकाल संध्या का ध्यान करना, दान करना, नाम कीर्तन करना, एक समय ही भोजन करना, जमीन पर सोना जैसे कुछ कठोर नियमों का पालन करना जरूरी होता है।

जो कल्पवासी 21 दिनों से लेकर 45 दिनों तक का कल्पवास करता है, उसके अंदर अपने आप ही भक्ति भाव जागृत होने लगता है। इस कल्पवास करने से कुछ फायदे भी होते हैं। आइए उन फायदों के बारे में जानते हैं।

कल्पवास के कुछ अद्भुत फायदे

  • कल्पवास के सभी नियमों का पालन करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे लोगों के जीवन में सुख–समृद्धि और अध्यात्म का विकास होने लगता है।
  • पुराणों के अनुसार नियमपूर्वक किए गए कल्पवास से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • महाभारत के अनुसार जो माघ महीने में कल्पवास करता है, उसे 100 सालों की कठोर तपस्य का फल मिलता है।

संगम के तट पर है पूरी व्यवस्था

प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर कल्पवासियों के लिए संगम तट पर मेला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। कल्पवासियों के लिए अलग से शिविर बनाए गए हैं, जिससे उन्हें भटकना ना पड़े। जो भी यहां कल्पवास करने आ रहा है वह अपने पुरोहितों या गुरुजनों के सानिध्य में ही रहकर कल्पवास कर रहा है।


कल्पवासियों के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जरूरत की सभी चीजों को उपलब्ध करवाया है। कल्पवासियों के साथ साथ श्रद्धालुओं के लिए भी टॉयलेट और पीने के पानी की विशेष सुविधा की गई है।


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गर्दन और हाथ-पैरों के कालेपन को दूर करने के जबरदस्त उपाय

 

Prayagraaj Mahakumbh 2025 Interesting Facts: प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ से जुड़े कुछ रोचक और अद्भुत तथ्य, जानकर हो जायेंगे हैरान

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Mahakumbh 2025 Interesting Facts: 12 सालों में एक बार लगने वाला अति पवित्र और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक महाकुंभ इस बार प्रयागराज में जनवरी से लग रहा है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में विभिन्न अखाड़ों के साधु और संन्यासियों के अलावा लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

Mahakumbh 2025 interesting facts

देश विदेश से टूरिस्टों के आने और लाखों हिंदुओं की आस्था और भक्ति के प्रतीक महाकुंभ का भव्य आयोजन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कोई भी कसर बाकी नहीं रखना चाहती। ऐसे में हम सभी को महाकुंभ से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को जरूर जानना चाहिए।

Prayagraaj Mahakumbh 2025 Interesting Facts: महाकुंभ से जुड़े अनोखे तथ्य जो आपको कर देंगे हैरान

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12 साल लंबा इंतजार

आपको बता दें कि महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधुओं के अलावा देश के कोने कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पवित्र स्नान करने आती है। सनातन संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में स्नान करने से कई प्रकार के पापों का नाश होता है।

 

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महाकुंभ में शामिल होने वाले साधुओं और संन्यासियों के लिए विशेष शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। इसमें अलग अलग अखाड़ों के साधू संगम में पवित्र स्नान करते हैं।

12 साल पर लगने वाले महाकुंभ के पवित्र स्नान के लिए कई अखाड़ों के साधु लंबा इंतजार भी करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नागा साधु सिर्फ कुंभ और महाकुंभ में ही स्नान करते हैं। अपनी साधना के दौरान वे नजर नहीं आते और गुफाओं में कठोर तप करते हैं।

पवित्र आयोजन स्थल

हिंदू धर्म में वर्णित समुद्र मंथन की कहानी के अनुसार जब देवता और असुर अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे तो अमृत कलश की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार पवित्र स्थानों पर गिरी थी। ये स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं। इन चारों ही पवित्र स्थानों पर हर 4 साल में कुंभ मेले का भव्य आयोजन किया जाता है।

 

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वहीं महाकुंभ की बात करें तो यह मान्यता है कि बृहस्पति ग्रह हर 12 वर्षों पर सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है, इसलिए महाकुंभ भी हर 12 वर्षों पर ही लगता है। एक मान्यता यह भी है कि जब देवता और असुर अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे तो लगातार 12 दिनों के बाद समुद्र से अमृत कलश निकला।

इसके बाद से ही महाकुंभ हर 12 साल पर मनाया जाने लगा। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तभी महाकुंभ का आयोजन होता है।

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शामिल होते है सभी अखाड़े

कुंभ और महाकुंभ दोनों में ही जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए बनाए गए 13 अखाड़ों के साधु और संन्यासी शामिल होते हैं। इन साधु – संन्यासियों को देखने लोग भारत के कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं।

आदि शंकराचार्य ने इन 13 अखाड़ों की स्थापना उस समय की थी, जब भारत में बौद्ध धर्म तेजी से फैल रहा था। अखाड़ों को सिर्फ धर्म की रक्षा के लिए ही नहीं बनाया गया बल्कि इसमें नागा साधुओं को भी शामिल किया गया।

 

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एक तरफ जहां अन्य अखाड़ों के साधुओं को शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी तो नागा साधुओं को शास्त्र के साथ साथ शस्त्र चलाने की भी शिक्षा दी गई। इसके कारण ही प्राचीन भारत में बौद्ध धर्म के अलावा धर्मांतरण फैल नहीं पाया। जिन 13 अखाड़ों की स्थापना की गई, उनके नाम निम्न हैं;

  • जूना अखाड़ा
  • निरंजनी अखाड़ा
  • महानिर्वाण अखाड़ा
  • अटल अखाड़ा
  • आह्वान अखाड़ा
  • आनंद अखाड़ा
  • पंचाग्नि अखाड़ा
  • नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा
  • वैष्णव अखाड़ा
  • उदासीन अखाड़ा
  • निर्मल अखाड़ा
  • निर्मोही अखाड़ा
  • उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा

अखाड़ों का अलग कार्य

जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने सभी अखाड़ों के साधुओं और संन्यासियों के लिए अलग अलग कार्य निर्धारित किए थे। ये सभी अखाड़े समाज में एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए अपने अपने कार्यों का निर्वाह करते आ रहे हैं। इन अखाड़ों में शामिल होने के लिए बहुत ही कठिन साधना से गुजरना पड़ता है। ये कोई आसान कार्य नहीं है।

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शाही स्नान का आयोजन

प्रयागराज महाकुंभ में ही नहीं बल्कि कुंभ में भी सभी अखाड़ों के संतों के लिए शाही स्नान का विशेष आयोजन किया जाता है। इस शाही स्नान में सभी अखाड़ों के साधु स्नान करते हैं। इस दौरान लाखों साधु और संतों को एक साथ संगम पर देखना बहुत ही दुर्लभ और सौभाग्य की बात होती है। इस बार प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान की निम्न तिथियां निर्धारित की गई हैं –

  1. पहला शाही स्नान – पौष पूर्णिमा – 13 जनवरी 2025
  2. दूसरा शाही स्नान – मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2025
  3. तीसरा शाही स्नान – मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
  4. चौथा शाही स्नान – बसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
  5. पांचवां शाही स्नान – माघ पूर्णिमा – 12 फरवरी 2025
  6. आखिरी शाही स्नान – महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025

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मोक्ष की प्राप्ति होना

प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अलावा अखाड़ों के साधुओं के अनुसार जो भी महाकुंभ में संगम में पवित्र स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष एक ऐसी अवस्था है जहां सभी प्रकार की मोह माया का त्याग होता है और सिर्फ परमार्थ मार्ग यानि ईश्वर की आराधना में ही तन और मन लग जाता है। इस अवस्था में आने के लिए वर्षों तक कठिन तप साधना करनी पड़ती है।

 

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सरकार कर रही है विशेष इंतजाम

करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ साथ लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विशेष इंतजाम कर रही है। लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ 2025 में लोगों के रहने, भोजन करने के लिए हजारों स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर पूरी व्यवस्था की जा रही है।

इसके अलावा रेलवे भी देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेन चलाने के साथ ही टिकट फ्री करने पर भी विचार कर रही है। ट्रेन टिकट फ्री होने से महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी आराम होगी।

डिजिटल होगा इस बार का महाकुंभ

प्रदेश की योगी सरकार के मुताबिक इस बार महाकुंभ के आयोजन को पूरी तरह से डिजिटल किया जा रहा है। इसमें सरकार के पोर्टल से यात्री निवास बुकिंग, IRCTC की वेबसाइट से होटल की बुकिंग की सुविधा देने की कोशिश की जा रही है।

वहीं विशाल प्रयागराज महाकुंभ के चप्पे चप्पे पर हजारों सीसीटीवी से निगरानी की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। महाकुंभ में किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रयागराज के अलावा आसपास के कई जिलों की पुलिस को तैनात किया जा रहा है।

 

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प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का आयोजन बहुत विशाल होता है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार के ऊपर इसके आयोजन का जिम्मा होता है। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं और अब धीरे धीरे प्रयागराज में अखाड़ों के साधु संतों का आना शुरू हो चुका है।


इमेज सोर्स: इंस्टाग्राम 

ऑफिसियल वेबसाइट: महाकुंभ

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