Kalpavas Significance In Mahakumbh- प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। पौष पूर्णिमा पर होने वाला पहला अमृत स्नान भी सकुशल संपन्न हो चुका है। देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु और टूरिस्ट रोज ही प्रयागराज पहुंच रहे हैं।
महाकुंभ और कुंभ के समय हजारों लोग कल्पवास करते हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी होता है कि आखिर यह कल्पवास क्या होता है और कुंभ और महाकुंभ के समय इसकी कितनी महत्ता होती है।
Kalpavas Significance In Mahakumbh 2025- क्या होता है महाकुंभ का कल्पवास, जानें नियम और अद्भुत लाभ !
क्या होता है कल्पवास (What is Kalpavas)
कल्पवास हिन्दू धर्म का एक बेहद पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। इसमें प्रण लेकर एक संसारी व्यक्ति एक निश्चित समय के लिए भगवान की भक्ति, तप और ध्यान में लीन होता है। इससे व्यक्ति के अंदर आध्यात्म (स्पिरिचुअलिटी) का ज्ञान प्रकाशित होता है।
Kalpavas Significance In Mahakumbh- कल्पवास के समय बेहद ही साधारण जीवन बिताया जाता है। इसके अलावा जो भी इंसान कुंभ या महाकुंभ में कल्पवास करता है, वह जमीन पर सोता है और भगवान के तप और ध्यान में लगा रहता है। कल्पवास करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि व्यक्ति का मन संसार की मोह माया की ओर ना जाय।
View this post on Instagram
इस दौरान पूरी तरह ब्रम्हचर्य का पालन किया जाता है। फिर चाहे कल्पवास करने वाला कितना ही अमीर व्यक्ति क्यों ना हो। साधारण लगने वाला कल्पवास एक कठिन तपस्या है। इससे ही पता चलता है कि एक संत या संन्यासी का जीवन कितना कठिन होता है।
पुराणों में है कल्पवास की विशेष महत्ता (Kalpavas Significance In Hindu Mythology)
हिंदू धर्म के अनेक धर्मग्रंथों में प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। पद्म पुराण और महाभारत में भी कल्पवास का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माघ महीने में कुंभ या महाकुंभ के समय कल्पवास करता है, उसे सौ सालों तक की तपस्या का फल कुछ ही दिनों में मिल जाता है।
3 दिन से लेकर सालों तक हो सकता है कल्पवास
Kalpavas Significance In Mahakumbh- प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार कल्पवास करने के लिए श्रद्धालु तीन दिन, पांच दिन, 11 दिन या उससे अधिक समय का संकल्प लेकर कल्पवास कर सकते हैं। जो भी व्यक्ति कल्पवास का संकल्प करते हैं, उनको इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि कल्पवास की अवधि के समय वे झूठ ना बोलें, संयम से रहे, साधारण जीवन और ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें। यदि कोई कल्पवासी इस समय इन नियमों का पालन कर लेता है तो शास्त्रों के अनुसार उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
हिंदू धर्म के प्राचीन पुराण पद्म पुराण में कल्पवास का समय 21 दिनों का बताया गया है। चूंकि कुंभ या महाकुंभ 40 दिनों से ज्यादा समय तक चलता है तो इस दौरान एक कल्पवासी 21 दिनों का नियम बड़ी ही सरलता से पवित्र नदियों के किनारे बीता सकते हैं।
कब से होती है शुरुआत
कुंभ या महाकुंभ में कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा के दिन से मानी जाती है। इस दिन से ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद भगवान शालिग्राम, तुलसी और केले का पूजन करने के बाद कल्पवास का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद 3 दिन, 5 दिन, 11 दिन या 21 दिन तक पूरी तरह सांसारिक बंधनों से दूर भगवान की साधना की जाती है।
View this post on Instagram
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भी पौष पूर्णिमा के बाद से हजारों की संख्या में लोगों ने कल्पवास का संकल्प लिया है और वे प्रयागराज में ही संगम तट के किनारे अत्यंत साधारण जीवन बीता रहे हैं। इस दौरान कल्पवासी सिर्फ भगवान के भजन में अपना पूरा दिन बिताते हैं। कुछ लोग तो प्रयागराज के संगम तट पर 45 दिनों का लंबा कल्पवास भी करते हैं।
बेहद कठोर होते हैं कल्पवास के नियम
कल्पवास के दौरान सभी को कल्पवास के कुछ कठोर नियमों को अपनाना बेहद जरूरी होता है। इन नियमों को सभी अपने जीवन में लगातार नहीं अपना पाते। इसीलिए कल्पवास करने को हिंदू धर्म ग्रंथों में विशेष महत्ता दी गई है।
क्या हैं नियम (Kalpavas Rule During Mahakumbh)
कल्पवास का संकल्प लेते हुए ही इन 21 कठोर नियमों का भी संकल्प लिया जाता है और पूरे कल्पवास के समय के दौरान इन नियमों का सख्ती के साथ पालन भी किया जाता है। ये प्रमुख नियम इस प्रकार हैं –
कल्पवास के समय प्रत्येक कल्पवासी को हमेशा सत्य बोलना, किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन, सभी के लिए दयालुता की भावना, मांस और शराब से दूर रहना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, डेली तीन बार नदी में नहाना, हिंदू धर्म में वर्णित त्रिकाल संध्या का ध्यान करना, दान करना, नाम कीर्तन करना, एक समय ही भोजन करना, जमीन पर सोना जैसे कुछ कठोर नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
जो कल्पवासी 21 दिनों से लेकर 45 दिनों तक का कल्पवास करता है, उसके अंदर अपने आप ही भक्ति भाव जागृत होने लगता है। इस कल्पवास करने से कुछ फायदे भी होते हैं। आइए उन फायदों के बारे में जानते हैं।
कल्पवास के कुछ अद्भुत फायदे
- कल्पवास के सभी नियमों का पालन करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे लोगों के जीवन में सुख–समृद्धि और अध्यात्म का विकास होने लगता है।
- पुराणों के अनुसार नियमपूर्वक किए गए कल्पवास से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- महाभारत के अनुसार जो माघ महीने में कल्पवास करता है, उसे 100 सालों की कठोर तपस्य का फल मिलता है।
संगम के तट पर है पूरी व्यवस्था
प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर कल्पवासियों के लिए संगम तट पर मेला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। कल्पवासियों के लिए अलग से शिविर बनाए गए हैं, जिससे उन्हें भटकना ना पड़े। जो भी यहां कल्पवास करने आ रहा है वह अपने पुरोहितों या गुरुजनों के सानिध्य में ही रहकर कल्पवास कर रहा है।
View this post on Instagram
कल्पवासियों के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जरूरत की सभी चीजों को उपलब्ध करवाया है। कल्पवासियों के साथ साथ श्रद्धालुओं के लिए भी टॉयलेट और पीने के पानी की विशेष सुविधा की गई है।
इमेज सोर्स: Instagram
गर्दन और हाथ-पैरों के कालेपन को दूर करने के जबरदस्त उपाय
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।