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Private Lander Blue Ghost Lands on Moon- अमेरिकी प्राइवेट कंपनी Firefly Aerospace ने चंद्रमा पर उतारा लैंडर ‘ब्लू घोस्ट’, जानें क्यों है ख़ास यह मिशन

Private lander blue ghost lands on moon

Private Lander Blue Ghost Lands on Moon- एक अमेरिकी कंपनी ने चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारा है। इस उपलब्धि को हासिल करने वाला यह दूसरा प्राइवेट मिशन है, वहीं सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला पहला मिशन है।

Private Lander Blue Ghost Lands on Moon- प्राइवेट कंपनी Firefly Aerospace ने चंद्रमा पर उतारा लैंडर ‘ब्लू घोस्ट’

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कौन सी है प्राइवेट कंपनी

आपको बता दें कि लैंडर ब्लू घोस्ट ( Lander Blue Ghost ) 15 जनवरी को पृथ्वी से रवाना हुआ था, जिसे अमेरिकी प्राइवेट कंपनी Firefly Aerospace ने पृथ्वी से दिखाई देने वाले विशाल क्रेटर, सी ऑफ क्राइसिस, के बारे में जानकारी जुटाने के उद्देश्य से चंद्रमा पर उतारा है।

Lander Blue Ghost जानकारी इकठ्ठा करने के लिए अपने साथ दस लेटेस्ट उपकरण ले गया है, जिससे चंद्रमा की सतह के बारे में और भी ज्यादा जानकारी जुटाई जायेगी। इसमें मिट्टी के नमूने लेने वाले उपकरण के साथ साथ एक कंप्यूटर और नेविगेशन के लिये आधुनिक सैटेलाइट टेक्निक शामिल हैं।

पहले भी जा चुकी है अमेरिकी प्राइवेट कंपनी

Private lander blue ghost lands on moon

Firefly Aerospace से पहले भी एक प्राइवेट कंपनी ने चंद्रमा पर सैटेलाइट भेजने में सफलता पायी है। इंट्यूटिव चंद्रमा पर उपग्रह उतारने वाली पहली प्राइवेट कंपनी थी।

इसका अंतरिक्ष यान ओडीसियस पिछले साल चंद्रमा पर पहुँचा था। हालाँकि, यह मिशन कुछ देर में ही फेल हो गया था क्योंकि अंतरिक्ष यान एक गड्ढे की ढलान पर उतरा जिसकी वजह से उसके कुछ लैंडिंग गियर टूट गए और यान पलट गया था।

अमेरिका का ख़ास मिशन है ब्लू घोस्ट


नासा और अमेरिकी कंपनी Firefly Aerospace का यह बहुत ही ख़ास मिशन है। टेक्सास में मौजूद कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने इस अंतरिक्ष यान को विकसित किया है।

Lander Blue Ghost में कोई रोवर नहीं है। ब्लू घोस्ट नामक रोबोटिक लैंडर लगभग दो सप्ताह से चांद की कक्षा में घूम रहा था और अब वह चंद्रमा पर उतर चुका है।

चंद्रमा पर कहां उतरा है ब्लू घोस्ट ?

ब्लू घोस्ट को पृथ्वी के तरफ वाले 350 मील चौड़े बेसिन में उतारने की तैयारी की गयी थी और वह इसमें सफल भी हो चुका है। नासा के अनुसार, इस क्षेत्र को पुराने एस्टेरॉयड का एरिया माना जाता है।

क्या पता लगाएगा ब्लू घोस्ट ?

रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष यान में नासा के 10 वैज्ञानिक उपकरण मौजूद हैं। इनमें से एक चंद्रमा के अंदरूनी हिस्से की 700 मील की गहराई तक जांच करेगा। कैमरे पृथ्वी की ओर देखते हुए एक्स-रे तस्वीरें खींचेंगे।

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अन्य उपकरण अंतरिक्ष के मौसम के साथ साथ चंद्रमा और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की एक्टिविटी को चेक करने का काम करेंगे। एक कैमरा चंद्रमा की सतह पर उतरते समय लैंडर की डिटेल में कई तस्वीरें लेगा जिससे फ्यूचर में चंद्रमा के मिशनों में सहायता मिल सके।

Lander Blue Ghost पर लगे उपकरण चंद्रमा की मिट्टी के नमूनों की भी जांच करने के साथ नमूने भी इकठ्ठा करेंगे। माना जा रहा है कि ब्लू घोस्ट चांद की सतह पर डेटा इकट्ठा करने में करीब दो हफ्ते बिताएगा।

नासा भी है शामिल मिशन में

यह मिशन नासा की कमर्शियल लुनार पेलोड सर्विसेज पहल का हिस्सा है। इसे नासा के साइंस, टेक्नोलॉजी और कार्गो को चंद्रमा पर पहुंचाने के लिए एजेंसी और एक दर्जन से ज्यादा अमेरिकी कंपनियों के बीच पार्टनरशिप के रूप में स्थापित किया गया था।


एजेंसी ने ब्लू घोस्ट मिशन को अंजाम देने के लिए फायरफ्लाई एयरोस्पेस को करीब 101.5 मिलियन डॉलर दिए थे। नासा ने कहा है कि इन मिशनों पर वैज्ञानिक प्रयोग और टेक्नोलॉजी की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी, जहां भविष्य के मानवयुक्त मिशनों को उतारने का प्रयास किया जा रहा है।

चंद्रयान की बराबरी नहीं कर पाया अमेरिका का ब्लू घोस्ट लैंडर

आसमान में दिखने वाला चमकदार चांद हमेशा इंसानों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों को यहां पहुंचने की चाहत रही है और दुनिया में पांच देश भारत, अमेरिका, रूस, चीन और जापान ही चांद पर जा सके हैं।

अमेरिकी प्राइवेट कंपनी Firefly Aerospace ने Lander Blue Ghost के जरिये चंद्रमा पर सफल लैंडिंग तो कर ली, लेकिन यह भारत के चंद्रयान-3 से काफी अलग है।


भारत के चंद्रयान 3 मिशन से अगर इसकी तुलना करें तो सबसे बड़ा फर्क यही है कि चंद्रयान को भारत सरकार की फंडिंग से लॉन्च किया गया था।

चंद्रयान ने विक्रम लैंडर के साथ में प्रज्ञान नाम का रोवर भी भेजा था, जो चंद्रमा की सतह पर चला था लेकिन गोल्डेन लैंडर में कोई भी रोवर नहीं है। इसके अलावा भारत ने वह कारनामा कर दिखाया था जो उससे पहले कोई नहीं कर पाया।

भारत ने किया था बड़ा कारनामा

भारत का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था जहाँ लैंडिंग करवाना बेहद मुश्किल होता है। इसके अलावा यह वह क्षेत्र है, जहां पानी की मौजूदगी होने की काफी संभावना है। 14 मार्च को एक पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने वाला है और इस दौरान उम्मीद है कि Lander Blue Ghost शानदार तस्वीरें कैप्चर करके पृथ्वी पर भेजेगा।


इमेज सोर्स: Twitter 

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