केंद्र सरकार ने CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। CAA जिसे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट कहते हैं इस पर 5 साल पहले ही मोहर लग गई थी। आपको बता दे पहली बार CAA 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था।
जिसका मुद्दा यह था कि भारत में आकर बसने वाले गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता दी जाए और अब केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसमें हिंदू सिख बौद्ध जैन पारसी और ईसाई समुदाय के लोग शामिल है।
Citizen Amendment Act: आइए जानते है क्या है CAA जिसे लेकर नरेंद्र मोदी ने जारी किए हैं नोटिफिकेशन।
आखिरकार 4 साल के लंबे इंतजार के बाद देश में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लागू कर दिया गया है। गृह मंत्रालय के द्वारा यह नोटिफिकेशन जारी हुआ है कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लागू कर दिया गया है। आपको बता दे अमित शाह ने कुछ दिन पहले ही बयान दिया था कि देश के अंदर लोकसभा चुनाव आने से पहले जो सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट है इसे लागू कर दिया जाएगा।
मूल रूप से Citizen Amendment Act को 2019 में ही पेश किया गया था लेकिन इससे जुड़े नियमों को नोटिफाई नहीं किया गया था जिसके कारण अभी तक ये लागू नहीं हो पाया था।
जाने क्या है CAA कानून ?
मूल रूप से 2019 के बाद जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा सत्ता में आई थी तब उन्होंने यह कहा था कि तीन देशों के अंदर, जो हमारे देश के आसपास के पड़ोसी देश हैं जैसे पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश, जहां नॉन मुस्लिम प्रवासी हैं , वह 2014 के पहले भारत में आए हुए हैं और उनको जो प्रताड़ना सहनी पड़ी है।
उनका लंबे समय से डिमांड रहा है कि उन्हें भी भारत में नागरिकता मिलनी चाहिए। मूल रूप से जो नॉन मुस्लिम लोग हैं जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध,पारसी और ईसाई जो बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 2014 से पहले भारत आए हैं तो उन्हें भी भारत सरकार भारत की नागरिकता देगी।
जाने क्या कहता है CAA 1955?
बता दे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 1955 यह कहता है यदि कोई सरकार 11 साल से देश में अपनी सरकार बनाए हुए हैं तभी देश में इस कानून को लागू कर सकते हैं।
जानिए क्यों इस कानून को लेकर 2019 में किया गया था प्रदर्शन ?
भारत में जैसे ही यह कानून आया था तो देश के कई हिस्सों में काफी सारे हंगामे देखने को मिले थे। खासकर जिसमें दिल्ली का शहीन बाग प्रोटेस्ट सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वही असम के गुवाहाटी में भी जमकर प्रोटेस्ट किया गया था। आपको यह भी बता दे कि भले ही यह कानून अभी तक भारत में लागू नहीं हो पाया था लेकिन इसके बावजूद भी सरकार ने कहीं ना कहीं बहुत से प्रवासियों को नागरिकता दी है।
देश के नौ राज्यों के करीब 30 डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और होम सेक्रेटरी को यह पावर दिया गया कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 1955 के तहत अगर वे किसी प्रवासी को सिटीजनशिप देना चाहते हैं तो वह अपनी तरफ से दे सकते हैं। नौ राज्यों में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र आदि राज्य शामिल थे।
जाने इस कानून को लागू करने में इतना वक्त क्यूं लगा?
तो आखिरकार 2019 में यह नियम लाने के बावजूद भी इसे लागू करने में कितने साल का वक्त क्यों लगा। इसके पीछे बहुत से कारण है जब साल 2019 में यह कानून आया था तब देश के कई सारे हिस्सों खासकर त्रिपुरा और असम में प्रोटेस्ट करने वाले लोगों का कहना था कि वहां की डेमोग्राफी चेंज हो सकती है इस वजह से इस नियम के खिलाफ थे।
बहुत सारे लोगों का यह भी कहना था कि सरकार इस नियम को लाकर डिस्क्रिमिनेशन भी कर रही है क्योंकि यह नियम केवल नॉन मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए ही बनाया गया था। जिसमें सरकार का यह कहना था कि इन तीनों देशों, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम की संख्या अधिक है और जो गैर मुस्लिम है उन पर अत्याचार होने के कारण ही यह कानून बनाया गया था।
जाने कैसे कर सकते है नागरिकता के लिए आवेदन?
अब देश में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के नियम जारी कर दिए गए हैं जो प्रवासी 2014 के अंदर भारत में आए थे वह नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते है। आपको बता दे आवेदन पत्र वेब-पोर्टल पर पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में ही किया जा सकता है।
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