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Jitiya Vrat 2024 Muhurat And Vidhi: जाने जितिया व्रत कब है, इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में।

Jitiya vrat 2024 muhurat and vidhi

Jitiya Vrat 2024 Muhurat And Vidhi: हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखती है।बिहार और उत्तर भारत में इस व्रत को लगभग हर घर में रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया के नाम से भी जाना जाता है। जितिया व्रत बेहद कठिन व्रतों में से एक है क्योंकि इस व्रत में महिलाएं निर्जला रहती हैं।

Jitiya vrat 2024 muhurat and vidhi

माताएं इस दिन पुत्र प्राप्ति, संतान के दीर्घायु होने एवं उनके सुख समृद्धि में वृद्धि के लिए करती हैं। हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत करने का विधान है ।आज हम जानेंगे जितिया किस दिन है।और इसके पूजा के शुभ मुहूर्त ,पूजा विधि और महत्व के बारे में।

Jitiya Vrat 2024 Muhurat And Vidhi: जितिया व्रत के महत्व।

हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका का व्रत किया जाता है। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत, जितिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जितिया व्रत को महिलाओं के सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत को 24 घंटे तक निर्जला रखा जाता हैं।

इस व्रत को करने से संतान को आरोग्य जीवन का भी वरदान मिलता है। माना जाता है कि इस व्रत को जो भी महिला करती है। उनकी संतान को लंबी उम्र और जीवन भर हर दुख और तकलीफ से सुरक्षा मिलती है। इस व्रत को स्त्रियां पुरातन समय से करती आ रही है। इस व्रत को करने से संतान की रक्षा स्वयं भगवान श्री कृष्णा करते हैं।

इस व्रत को करने से जिनकी संतान नहीं होती उनको संतान की भी प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनकी संतान बहुत गुणी और तेजस्वी होते हैं। जो कोई भी महिला इस व्रत की कथा सुनती हैं उसे कभी भी अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं पड़ता हैं।

जीवित्पुत्रिका व्रत कब रखा जाएगा और शुभ मुहूर्त।

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर को दोपहर 12:38 पर होगी और 25 सितंबर को दोपहर 12:10 पर अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, जितिया का व्रत 25 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और इसका पारण 26 सितंबर 2024 को सूर्योदय के बाद किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि।

जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव की उपासना करें। घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर सूर्य नारायण और कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित करें। अब प्रतिमा को दूध से स्नान कराएं। भगवान को धूप, दीप अर्पित कर भोग लगाए और आरती करें।

मिट्टी या गाय के गोबर से सियार, चील की प्रतिमा बनाकर पूजा करें।उन्हें धूप ,दीप ,फूल और चावल अर्पित करें इसके बाद जितिया व्रत कथा सुने। अगले दिन व्रत का पारण कर जरूरतमंद लोगों को दान दें।

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