Uterine Fibroids: गर्भाशय के फाइब्रॉयड को हम रसौली भी कहते हैं जो महिलाओं में अधिकतर 25 से 40 की आयु के बीच में होती है। फाइब्रॉयड एक या एक से ज्यादा ट्यूमर के तौर पर विकसित होता है। हार्मोनल असंतुलन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के अधिक उत्पादन के कारण फाइब्रॉएड विकसित होते हैं। आनुवंशिकता: फाइब्रॉएड का विकास परिवार में चलने वाली आनुवंशिक प्रवृत्ति से भी संबंधित है।
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Uterine Fibroids: जानिए क्या हैं गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉएड।
फाइब्रॉएड, गर्भाशय या गर्भाशय में होने वाला सबसे आम नॉन-कैंसर वाला ट्यूमर है और इसका पता अक्सर महिलाओं को तब चलता है जब उन्हें अत्यधिक रक्तस्राव होने लगता है, रक्तस्राव कई दिनों तक बहुत भारी रक्तस्राव होता है, बार-बार मासिक धर्म होता है, और ये मासिक धर्म के दौरान गंभीर पेट दर्द होता है। लेकिन जरूरी नहीं कि हर महिला को इसके कारण दर्द हो।
जाने क्या है गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉयड के लक्षण?
1.मासिक धर्म के दौरान या उसके बीच भारी रक्तस्राव, जिसमें थक्के भी शामिल हैं।
2.नाभि के नीचे स्थित पेट में दर्द या कमर के निचले हिस्से में दर्द।
3.पेट में सूजन।
4.खून की कमी।
5. कमजोरी का अनुभव।
6. कब्ज बनना।
7. पैरो में दर्द।
8. निजी अंग से ब्लीडिंग।
9. अक्सर पेशाब आने की समस्या।
10.मासिक धर्म का सामान्य से लंबा समय तक चलना।
11.नाभि के नीचे पेट में दबाव या वजन महसूस करना।
12.मासिक धर्म के दौरान दर्द की लहरें होना।
गर्भाशय के फाइब्रॉयड के कारण।
फाइब्रॉएड हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। कुछ हद तक यह आनुवंशिक लक्षणों के कारण भी होता है।
गर्भाशय के फाइब्रॉयड के प्रकार।
गर्भाशय फाइब्रॉयड ( रसौली) मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
1. इंटराम्यूरल फाइब्रॉयड- फाइब्रॉयड जो गर्भाशय के मांसपेशियों में बनते हैं।
2. सबसेरोसल फाइब्रॉयड- ऐसे फाइब्रॉयड जो गर्भाशय के बाहरी दीवारों पर बनता है।
3. सबम्यूकोसल फाइब्रॉयड- यह फाइब्रॉयड गर्भाशय की अंदरूनी भाग में होते हैं।
Uterine Fibroids: फाइब्रॉयड का इलाज-
यदि फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है तो इसे डॉक्टर के इलाज से,दवाइयों से या टेलीस्कोपिक सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। फाइब्रॉएड का उपचार निम्नलिखित तरीकों से उपलब्ध है।
1. मेडिसिन का उपयोग: गर्भाशय की रसौली का उपचार करने के लिए कई बार आपको दवाइयां दी जाती है। ये दवाइयां मुख्य रूप से गर्भाशय के अंदर खून के बहाव को कम करने में मदद करता है। जिसके कारण रसौली का आकार कम हो जाता है।
2. सर्जरी: गर्भाशय की रसौली के उपचार करने का एक विकल्प सर्जरी भी है जिसमें वाइब्रेट के आकार को देखते हुए सर्जरी द्वारा फाइब्रॉयड को निकाला जा सकता है। गर्भाशय की रसौली की सर्जरी दो प्रकार से हो सकती है। पहला (myomectomy) मायोमेक्टोमी द्वारा जिसमें केवल फाइब्रॉयड को दूरबीन द्वारा निकाल दिया जाता है। और दूसरा हिस्टोरेक्टोमी (Hysterectomy) जिसमें फाइब्रॉयड की संख्या और बड़े आकार को देखते हुए पूरे गर्भाशय को ही सर्जरी द्वारा निकाल दिया जाता है।
3. गर्भाशय फाइब्रॉयड एंबोलाइजेशन: इस प्रक्रिया में सामान्यतः रेडियोलॉजिस्ट द्वारा आर्टिरीज में ऐसे केमिकल को इंजेक्ट किया जाता है जो गर्भाशय में ब्लड सप्लाई को रोक देते हैं जिससे फाइब्रॉयड को पोषण नहीं मिल पाने की वजह से उसका आकार छोटा होने लगता है।
4. योग: ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि जिन महिलाओं में फाइब्रॉयड पाया गया है उन्होंने फाइब्रॉयड को ठीक करने के लिए दवा के साथ योग पर ध्यान दिया है। योगासन जैसे कि प्राणायाम, कपालभाति, भुजंगासन, धनुरासन, बालासन, योग कर सकते हैं।
Uterine Fibroids: क्या खाएं और क्या ना खाएं।
गर्भाशय की रसौली को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भोजन जैसे की- लाल मीट, बीफ, अधिक मीठे व्यंजन, जंक फ़ूड, ऑयली फ़ूड, एल्कोहोल, सिगरेट और ब्रेड से बनी चीजें इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हमे फायब्रॉयड्स को ठीक करने के लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन जैसे कि ताज फल, हरी सब्जियां, मिक्स दालें, प्रोटीन से भरपूर सलाद, दूध, मेवे और विटामिन और मिनरल से युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
निष्कर्ष:
गर्भाशय फायब्रॉयड्स या रसौली आज कल की महिलाओं में पाया जाने वाला एक आम समस्या है। कई मायनों में कोई लक्षण नहीं दिखने के कारण इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है जो आगे चलकर एक बेहद बड़ा आकार बना लेता है। लेकिन सही समय पर यदि इसका जांच करा लिया जाए तो इसका इलाज हो सकता है।
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