Symptoms and Causes of Hernia: आज के समय में लोगों के बीच Hernia एक आम समस्या बन चुकी है। ये ज्यादातर पुरुषों में होता है और आज के समय में महिलाओं में भी हर्निया (Hernia) पाया जाता है। ये एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज ऑपरेशन से ही मुमकिन है। हालांकि कुछ सावधानियां बरतने पर इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है।
आपको बता दे हमारे पेट और आंतों के बीच एक दीवार होती है। जब यह दीवार कमजोर हो जाती है तो पेट या आंतों का कोई अंग उस दीवार के छेद से बाहर आ जाता है । तो आज हम जानेंगे हर्निया क्या होता है, इसके लक्षण के बारे में और इसके समाधान के बारे में।
Symptoms and Causes of Hernia: जानिए क्या होता हैं हर्निया?
शरीर का कोई अंग जब अपने कंटेनिंग कैपेसिटी यानी अपने खोल या झिल्ली से बाहर निकल आता है तो उसे Hernia कहते हैं ।इसमें मरीज को तेज दर्द होता है चलने फिरने में दिक्कत होती है और उल्टी भी हो सकती है।
ये आमतौर पर शरीर के किसी हिस्से की मसल्स की कमजोरी और वहां लगातार प्रेशर पढ़ने की वजह से होता है। पेट के ऑपरेशन के बाद हर्निया होना काफी कॉमन है।हर्निया महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा होता है।
Hernia कई प्रकार का होता है- जैसे की inguinal हर्निया ,femoral हर्निया, अम्बिलिकल हर्निया और epigastric हर्निया।
जानिए हर्निया के लक्षण के बारे में।
- एक हिस्से में उभार हो जाता है।
- अचानक तेज दर्द महसूस होना।
- खांसने के दौरान दर्द या खींचाव महसूस होना।
- बढ़े हुए हिस्सों पर जलन या खुजली महसूस होना।
- झुकने खांसने या कुछ उठाने के दौरान जांघ में परेशानी महसूस होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- मितली या उल्टी करना।
- बुखार आना।
- हर्निया का बढ़ा हुआ हिस्सा रेड पर्पल या डार्क हो जाना।
जानिए हर्निया होने के क्या कारण हो सकते हैं।
- मोटापा बढ़ना -ज्यादा मोटापा बढ़ाने पर मसल्स के बीच में फैट जमा हो जाता है। इस से मसल्स पर प्रेशर पड़ता है और वो दो हिस्से में बट जाती है।
- सर्जरी- अगर किसी हिस्से में सर्जरी हुई है तो वहां पर प्रेशर पड़ता है तो हर्निया होने की आशंका होती है।
- खांसी- अगर लंबे समय तक खांसी रहे तो हर्निया हो सकता है क्योंकि खांसी से पेट पर प्रेशर पड़ता है।
- कब्ज- लगातार कब्ज की शिकायत रहने पर भी हर्निया हो सकता है।
- पेशाब करने में दिक्कत- पेशाब करने में दिक्कत या रूकावट होने पर भी हर्निया के आशंका बढ़ जाती है।
- मसल्स की कमजोरी- अगर प्रेगनेंसी में प्रोटीन कम ले या पूरा पोषण नहीं हो तो तो मसल्स कमजोर हो जाते हैं। जिस से की हर्निया के आसंका का बढ़ जाते हैं।
- बढ़ती उम्र- 60 साल के ज्यादा उम्र में इसके आशंका ज्यादा होती है हालांकि हर्निया किसी भी उम्र में हो सकता है।
- ब्लड रिलेशन- ब्लड रिलेशन में किसी को इंग्वाइनल हर्निया होना।
- नवजात का जन्म-समय से पहले नवजात का जन्म या जन्म के दौरान नवजात का वजन कम होना।
हर्निया से कैसे करें बचाव।
- वजन संतुलित रखें ।
- आहार में फाइबर की मात्रा ज्यादा ले।
- वजन वाले सामान को ध्यान पूर्वक उठाएं।
- धूम्रपान न करें।
- आरामदायक कपड़े पहने।
हर्निया के बचाव के लिए क्या खाएं।
- फाइबर डायट जैसे कि अनाज ,चोकर और दलिया ,रोटी, चावल का सेवन करें।
- फल का सेवन करें जैसे कि संतरा, नींबू, अनानास, सेव।
- हरी बीन्स मटर गाजर का सेवन करें।
- कम वसा वाला दूध और दही का सेवन करें।
- चिकन और मछली खाए।
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