The Rapid Khabar

Surya Grahan 2025-साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण कब, कहां और जाने क्या है महत्व?

Surya Grahan 2025-साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण कब, कहां और जाने क्या है महत्व?

Surya Grahan 2025

Surya Grahan 2025-साल 2025 खगोलीय घटनाओं के लिहाज से बेहद खास रहा है। इस साल कई बार चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण जैसे अद्भुत नजारे बने, लेकिन अब साल का अंतिम सूर्य ग्रहण सामने है।

Surya grahan 2025

यह Surya Grahan 21 सितंबर 2025, रविवार को लगेगा। यह ग्रहण आंशिक होगा, यानी इसमें सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही चंद्रमा द्वारा ढक जाएगा। खगोल विज्ञान के लिहाज से यह घटना अद्वितीय होगी, हालांकि भारत के लोगों को इसे देखने का मौका नहीं मिलेगा। फिर भी इसकी खगोलीय, वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से चर्चा पूरे देश में हो रही है।

Surya Grahan 2025-ग्रहण का समय

Surya grahan 2025

भारतीय समयानुसार Surya Grahan 21 सितंबर की रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण का मध्य यानी चरम समय रात 1 बजकर 11 मिनट पर आएगा। इस समय सूर्य का बड़ा हिस्सा चंद्रमा की छाया में होगा। अंततः यह ग्रहण 3 बजकर 23 मिनट तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। यानी कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग चार घंटे से अधिक समय तक रहेगा।

 कहां दिखाई देगा ग्रहण?

भारत में यह Surya Grahan दिखाई नहीं देगा। इसका कारण यह है कि ग्रहण का समय भारत के लिए रात्रि है और सूर्य उस समय क्षितिज के पार रहेगा। खगोलविदों के अनुसार यह ग्रहण मुख्य रूप से न्यूजीलैंड, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में ही नजर आएगा। वहां के लोग इसे आंशिक रूप से देख पाएंगे। भारत समेत एशियाई देशों में इसके न दिखने के कारण यहां इसका प्रत्यक्ष असर नहीं होगा।

 धार्मिक महत्व और सूतक काल

इस ग्रहण की एक और खासियत यह है कि यह सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करते हैं। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। धार्मिक विद्वानों का मानना है कि जब ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर न हो, तो सूतक की बाध्यता भी नहीं रहती। इसके बावजूद श्रद्धालु इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ और दान करने का संकल्प ले सकते हैं।

 दान-पुण्य की परंपरा

धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दिन कुछ खास चीजों का दान करना शुभ फलदायी होता है। इसमें गेहूं, तिल, गुड़, चना, उड़द की दाल और चावल प्रमुख हैं। दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों की कृपा भी बनी रहती है। इसके अलावा ग्रहण के समय मंत्र जाप और ध्यान करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

विज्ञान की नज़र से ग्रहण

वैज्ञानिकों के अनुसार Surya Grahan तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य की रोशनी को रोक देता है। आंशिक ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ढकता है, जबकि पूर्ण ग्रहण में सूर्य पूरी तरह छिप जाता है। यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है और इसका किसी प्रकार का अशुभ प्रभाव नहीं माना जाता। वैज्ञानिक इसे पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की गति और स्थिति का अद्भुत संयोग बताते हैं।

21 सितंबर 2025 का यह Surya Grahan भारत में भले ही नजर न आए, लेकिन विश्व के कई हिस्सों में लोग इसे देख पाएंगे। धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पड़ रहा है। भारत में सूतक काल मान्य न होने के बावजूद लोग श्रद्धा और आस्था से पूजा-पाठ तथा दान-पुण्य कर सकते हैं। वहीं वैज्ञानिक नजरिए से यह ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो हमें अंतरिक्ष के रहस्यों और ग्रह-नक्षत्रों की गति को और गहराई से समझने का अवसर देती है।

Image: Twitter

पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन महालया अमावस्या, जानें महत्त्व

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Page Join Now

ऑटोमोबाइल

How To