The Rapid Khabar

Silent Divorce in India- साइलेंट डाइवोर्स: वो तलाक जिसमें कोई कागज़ नहीं होता, बढ़ रहे हैं मामले

Silent Divorce in India- साइलेंट डाइवोर्स: वो तलाक जिसमें कोई कागज़ नहीं होता, बढ़ रहे हैं मामले

Silent Divorce in India

Silent Divorce in India- शादी दो लोगों का मिलन होती है, जिसमें वे एक-दूसरे के साथ जीवन भर का साथ निभाने का वादा करते हैं। लेकिन, कभी-कभी रिश्ते में ऐसी दरार आ जाती है कि लोग साथ रहते हुए भी अजनबी बन जाते हैं। इसे ही साइलेंट डाइवोर्स कहते हैं, जहाँ कोई कानूनी कागज़ात नहीं होते, फिर भी रिश्ता पूरी तरह से खत्म हो चुका होता है।

मौन, एक ऐसा शब्द जिसे अक्सर शांति और सुकून से जोड़ा जाता है, किसी रिश्ते, खासकर शादी में, जब यह प्रवेश करता है, तो एक कठोर और विनाशकारी शक्ति बन सकता है। इस मौन, अघोषित अलगाव को ही साइलेंट डाइवोर्स (Silent Divorce) कहा जाता है।

Silent divorce in india

यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ जोड़े एक ही छत के नीचे रहते हैं, लेकिन भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से कटे हुए होते हैं। उनके रिश्ते में आत्मीयता, संवाद और आपसी समझ का अभाव होता है। हमारे देश के समाज में डाइवोर्स से ज्यादा Silent Divorce हो रहे हैं। ये पहले भी होता आया है लेकिन आजकल कुछ ज्यादा ही हो रहा है।

इसमें होता क्या है कि कोई कोर्ट कचहरी नहीं होती, कोई लिखा पढ़ी नहीं होती, कपल एक ही घर में रहते हैं पति पत्नी की तरह बस रोल निभाते हैं, एक मां का, एक बहु का, एक बेटे का, एक पिता का। इनके बीच कोई मौज मस्ती नहीं होती ,कोई बातचीत नहीं होती, कोई ताल्लुकात नहीं होता, कोई physical intimacy नहीं होती। बस अपने में व्यस्त रहते हैं।

Silent Divorce in India- आखिर क्यों बढ़ रहे हैं भारत में साइलेंट डाइवोर्स के मामले, जानें पूरी जानकारी

Silent divorce in india

साइलेंट डाइवोर्स में पति पत्नी अलग इसलिए नहीं होते क्योंकि सामाजिक बदनामी हो सकती है, या घर की अन्य जिम्मेदारी भी बड़ी वजह होती है। कई बार बच्चों की वजह से भी एक साथ रहना पड़ता है। ये परिस्थिति बहुत सारे घरों में है, लेकिन खुल कर लोग कहते नहीं।

अब सवाल ये आता है कि क्या इसका कोई इलाज है क्योंकि ऐसा जीवन बिताने वाले कपल घुट घुट कर जी रहे होते हैं। डाइवोर्स लेने के बाद तो खुल कर जी सकते हैं, खुल कर रह सकते हैं लेकिन इस (silent divorce) के मामलों में पूरी उम्र घुट घुट कर जीना पड़ता है।

सटीक शब्दों में कहे तो साइलेंट डाइवोर्स का मतलब है कि – पति-पत्नी एक ही छत के नीचे रहते हैं, लेकिन उनके बीच कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता। वे सिर्फ नाम के लिए एक-दूसरे के जीवन में होते हैं, लेकिन उनका दिल और दिमाग अलग-अलग दुनिया में होते हैं।

यह स्थिति अक्सर तब आती है जब संवाद (communication) पूरी तरह से खत्म हो जाता है। लोग एक-दूसरे से बात करना, अपनी भावनाएं साझा करना या यहाँ तक कि छोटी-मोटी बातें भी करना छोड़ देते हैं।

साइलेंट डाइवोर्स के लक्षण (Signs of a Silent Divorce)


साइलेंट डाइवोर्स के कई लक्षण होते हैं जिन्हें पहचानना ज़रूरी है:

  • बातचीत की कमी: यह सबसे बड़ा लक्षण है। पति-पत्नी के बीच बातचीत या तो होती ही नहीं, या फिर सिर्फ ज़रूरी बातों तक सीमित रह जाती है, जैसे; क्या खाना बना है? या आज ऑफिस से कब आओगे?। उनके बीच कोई दिल की बात नहीं होती, कोई आपसी सलाह-मशविरा नहीं होता।
  • भावनात्मक दूरी: वे शारीरिक रूप से भले ही पास हों, लेकिन भावनात्मक रूप से बहुत दूर होते हैं। वे एक-दूसरे के सुख-दुःख में शामिल नहीं होते। एक-दूसरे की सफलता से खुश नहीं होते और न ही असफलता पर सहानुभूति दिखाते हैं।
  • रूटीन जीवन: उनका जीवन एक रूटीन की तरह बन जाता है, जिसमें वे सुबह उठते हैं, अपने काम पर जाते हैं और रात में घर आकर सो जाते हैं। इसमें कोई प्रेम, कोई उत्साह या कोई नयापन नहीं होता।
  • अलग-अलग प्राथमिकताएं: पति और पत्नी की प्राथमिकताएं अलग-अलग हो जाती हैं। वे अपने-अपने दोस्तों, शौक या काम में व्यस्त रहते हैं और एक-दूसरे को समय देना ज़रूरी नहीं समझते।
  • अंतरंगता की कमी: शारीरिक और मानसिक अंतरंगता दोनों ही खत्म हो जाती हैं। प्यार-भरा स्पर्श, एक-दूसरे के प्रति आकर्षण और संबंध भी पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं।

बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव

साइलेंट डाइवोर्स का सबसे ज़्यादा बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। वे ऐसे माहौल में बड़े होते हैं जहाँ उनके माता-पिता आपस में बात नहीं करते और हमेशा तनाव में रहते हैं। इससे उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर बुरा असर पड़ता है।

  • एक-दूसरे से बातचीत का कम हो जाना या सिर्फ औपचारिक बातों तक सीमित रह जाना।
  • शारीरिक और मानसिक निकटता का समाप्त हो जाना।
  • छोटे-छोटे मतभेदों पर चुप्पी साध लेना, बजाय उन्हें सुलझाने के।
  • रिश्ते में उत्साह और ताजगी का अभाव होना।

साइलेंट डाइवोर्स के कारण (Reasons for Silent Divorce)

साइलेंट डाइवोर्स के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • गलतफहमी और झगड़े: समय पर झगड़ों को न सुलझाना और गलतफहमियों को दिल में दबाए रखना।
  • विश्वास की कमी: बेवफाई या किसी और कारण से एक-दूसरे पर विश्वास खो देना।
  • व्यक्तिगत विकास में अंतर: समय के साथ पति और पत्नी के विचार और लक्ष्य अलग-अलग हो जाना।
  • काम का दबाव और तनाव: काम के दबाव और तनाव के कारण रिश्ते पर ध्यान न दे पाना।
  • अपेक्षाओं का पूरा न होना: जब एक-दूसरे से की गई अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो निराशा बढ़ती जाती है।
  • व्यस्त जीवनशैली: काम, करियर, और सामाजिक दायित्वों में उलझकर रिश्तों के लिए समय न निकालना।
  • सम्मान की कमी: जब साथी को बराबरी और सम्मान नहीं मिलता, तो वह भीतर से टूटने लगता है।
  • डिजिटल दूरी: सोशल मीडिया और मोबाइल पर समय बिताना, लेकिन असली जीवन में साथ को नज़रअंदाज़ करना।

Silent Divorce के परिणाम

साइलेंट डाइवोर्स का असर केवल पति-पत्नी पर ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है।

  • मानसिक स्वास्थ्य – अवसाद, तनाव और अकेलापन बढ़ सकता है।
  • बच्चों पर प्रभाव – बच्चे माता-पिता के ठंडे रिश्ते को देखकर असुरक्षा और भ्रम की स्थिति में आ जाते हैं।
  • परिवारिक वातावरण – घर का माहौल भारी और नकारात्मक हो जाता है।
  • आत्मसम्मान पर असर – व्यक्ति खुद को अप्रासंगिक और उपेक्षित महसूस करता है।

साइलेंट डाइवोर्स से कैसे बचें (How to Avoid a Silent Divorce)

साइलेंट डाइवोर्स से बचना मुश्किल नहीं है, अगर दोनों साथी मिलकर कोशिश करें। हाँ,इसके लिए पति-पत्नी दोनों को साथ मिलकर ये उपाय अपनाने होंगे।

  • खुले संवाद की शुरुआत करें: अपने साथी से बात करें। अपनी भावनाएं, विचार और परेशानियां साझा करें। अगर सीधे बात करना मुश्किल है, तो लिखकर या किसी तीसरे व्यक्ति की मदद से बात करें।
  • एक-दूसरे को समय दें: अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालें और एक-दूसरे के साथ बिताएं। साथ में खाना खाएं, घूमने जाएं या कोई मनपसंद फिल्म देखें।
  • पेशेवर मदद लें: अगर आप दोनों मिलकर समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे हैं, तो किसी मैरिज काउंसलर से सलाह लें। वे आपकी समस्याओं को समझने और उन्हें सुलझाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
  • माफ करना सीखें: पिछली बातों को माफ करें और उन्हें भूल जाएं। किसी भी रिश्ते में आगे बढ़ने के लिए माफ करना बहुत ज़रूरी होता है।
  • प्यार और सम्मान वापस लाएं: छोटे-छोटे तरीकों से एक-दूसरे को बताएं कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। यह एक छोटे से उपहार या प्यार-भरे स्पर्श से भी हो सकता है।

आधुनिक जीवन में रिश्तों की परिभाषा बदल रही है। पहले जहाँ पति-पत्नी के बीच तालमेल, भावनात्मक जुड़ाव और खुली बातचीत को विवाह की नींव माना जाता था, वहीं आज के समय में कई रिश्ते दिखने में साथ होते हुए भी भीतर से बिखर चुके होते हैं।

Silent Divorce एक खतरनाक स्थिति है, क्योंकि इसमें रिश्ता बाहर से ठीक दिखता है लेकिन भीतर से टूट चुका होता है। यह स्थिति धीरे-धीरे थकान, टेंशन, डिप्रेशन और असुरक्षा की भावना पैदा करती है। Silent Divorce एक ऐसी स्थिति है जहाँ रिश्ता खत्म तो हो जाता है, लेकिन उसका अंत नहीं होता।

यह दोनों साथियों और उनके बच्चों के लिए बहुत दर्दनाक और हानिकारक हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि रिश्तों में चुप्पी के बजाय संवाद को प्राथमिकता दी जाए। पति-पत्नी अगर एक-दूसरे की भावनाओं को समझें, सम्मान दें और समय पर बातचीत करें, तो Silent Divorce से बचा जा सकता है।

अंततः याद रखना चाहिए कि रिश्ते बातचीत से जीवित रहते हैं, चुप्पी से नहीं।


इमेज क्रेडिट: iStock

कांतारा चैप्टर 1,रहस्यमय ट्रेलर ने बढ़ाई उत्सुकता, कब रिलीज होगी फिल्म ?

 

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Page Join Now

ऑटोमोबाइल

How To