Significance Of Nine forms of Goddess Durga- हिंदू धर्म में नवरात्रि एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो शक्ति की देवी माँ दुर्गा को समर्पित है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
नौ दिनों तक भक्तगण उपवास रखते हैं, माँ दुर्गा की आराधना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हवन, पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं।
इस पर्व में माँ के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। हर स्वरूप का अपना अलग रहस्य, महत्व और आध्यात्मिक संदेश होता है। माँ दुर्गा के ये स्वरूप भक्तों को शक्ति, साहस, ज्ञान और आत्मविश्वास प्रदान करते हैं।
यह पर्व आत्मशुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शक्ति को जाग्रत करने का अवसर होता है। नवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इन दिनों में की गई साधना और ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और आत्मबल बढ़ता है। माँ दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करने से जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति आती है। आइए, अब जानते हैं कि माँ दुर्गा के इन नौ दिव्य स्वरूपों का रहस्य और उनका महत्व क्या है।
Significance Of Nine forms of Goddess Durga- माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों का रहस्य और आध्यात्मिक महत्व!
आइए जानते हैं माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके महत्व के बारे में
1. शैलपुत्री
यह नवदुर्गा का पहला स्वरूप है। इन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है। देवी सती ने जब अपने पति भगवान शिव के अपमान से आहत होकर आत्मदाह कर लिया था, तब वे अगले जन्म में शैलपुत्री के रूप में जन्मी थीं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल सुशोभित होता है। इनकी पूजा से व्यक्ति को मनोबल और आत्मशक्ति प्राप्त होती है।
2. ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचारिणी देवी तपस्या की प्रतीक हैं। इस रूप में उन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनका स्वरूप शांत, सौम्य और ज्ञान से परिपूर्ण है। इनके हाथों में जपमाला और कमंडल रहता है। इनकी पूजा करने से जीवन में संयम, धैर्य और आत्मसंयम की वृद्धि होती है।
3. चंद्रघंटा
तीसरे दिन माँ दुर्गा चंद्रघंटा के रूप में पूजी जाती हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है, जो घंटे के समान दिखाई देता है। इस कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दस हाथ हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र होते हैं, और वे सिंह पर सवार होती हैं। इनकी पूजा से साधक को शत्रु भय, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
4. कूष्मांडा
यह माँ दुर्गा का चौथा स्वरूप है। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं ने अपनी दिव्य शक्ति से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इन्हें ‘कूष्मांडा’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – ‘छोटी सी ऊर्जा से ब्रह्मांड का निर्माण करने वाली’। इनके आठ हाथ होते हैं और वे सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी उपासना से आयु, यश, और बल की वृद्धि होती है।
5. स्कंदमाता
माँ दुर्गा का यह पाँचवाँ स्वरूप भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में पूजित है। इनका वाहन सिंह है और गोद में स्कंद (कार्तिकेय) विराजमान रहते हैं। इनकी उपासना करने से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
6. कात्यायनी
इस रूप में माँ दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया था, इसीलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। यह रूप शक्ति और युद्ध का प्रतीक है। माँ कात्यायनी राक्षसों के विनाश के लिए प्रकट हुई थीं। इनकी कृपा से भक्तों को सभी तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और वे साहसी बनते हैं।
7. कालरात्रि
यह नवदुर्गा का सबसे उग्र और भयानक रूप है। इनका रंग गहरा काला होता है, बाल खुले होते हैं और गले में नरमुंडों की माला होती है। यह रूप बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए जाना जाता है। इनकी उपासना से सभी प्रकार के भय, जादू-टोना और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
8. महागौरी
माँ दुर्गा का यह रूप शांति, करुणा और पवित्रता का प्रतीक है। इन्हें अत्यंत गोरा माना जाता है, इसीलिए इनका नाम महागौरी पड़ा। इनके चार हाथ होते हैं, जिनमें डमरू और त्रिशूल होता है। इनकी पूजा करने से मन निर्मल होता है और सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं।
9. सिद्धिदात्री
नवदुर्गा का यह अंतिम स्वरूप है, जो भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। इन्हें साक्षात परमशक्ति माना जाता है। इनकी उपासना से जीवन में आध्यात्मिक उन्नति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह देवी भक्तों को सभी इच्छित वरदान देने में सक्षम हैं।
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