Significance of Mahavir Jayanti- महावीर जयंती का पर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाते हैं। महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व है जो भगवान महावीर के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ये जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे महावीर जयंती के दिन भगवान महावीर के अनुयाई उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं और श्रद्धा भाव से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
इस साल महावीर जयंती 10 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाई जा रही है। महावीर स्वामी द्वारा बनाए गए पंचशील सिद्धांत जैन धर्म के नैतिक और आचार्य संबंधी मूल सिद्धांतो में से एक है।
ये सिद्धांत जीवन में अहिंसा सत्य संयम और आत्मा श्रुति के मार्ग को अपनाने पर बल देता है। आज हम जानेंगे स्वामी महावीर के अहिंसा के पांच सूत्र के बारे में। जिसे जानकर आप भी अपने जीवन में ला सकते हैं बदलाव
Significance of Mahavir Jayanti- क्यों मनाया जाता है महावीर जयंती!
महावीर जयंती जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म की जयंती (Significance Of Mahavir Jayanti) के रूप में मनाया जाता है।
भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली जिले के कुंडलपुर में हुआ था। महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर स्वामी के जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं।
वे उनकी अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों को अपनाने का प्रयास करते हैं। इस दिन जैन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, और भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा को सजाया जाता है।
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जैन धर्म के अनुयायी अपने जीवन में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करते हैं। वे अपने विचारों और कार्यों में संयम और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करते हैं।
इस दिन जैन धर्म के अनुयायी अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती मनाते हैं। ये त्योहार उन्हें भगवान महावीर स्वामी के जीवन और शिक्षाओं (Significance Of Mahavir Jayanti) को याद करने का अवसर प्रदान करता है।
यह त्योहार जैन धर्म के अनुयायियों को अपने जीवन में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
महावीर जयंती अहिंसा के 5 सूत्र
1. अहिंसा
अहिंसा का अर्थ है हिंसा न करना, किसी भी जीव को नुकसान न पहुंचाना। यह सिद्धांत हमें दूसरों के प्रति दया और करुणा की भावना रखने के लिए प्रेरित करता है। अहिंसा का पालन करने से हम अपने विचारों और कार्यों में शांति और सौहार्द को बढ़ावा दे सकते हैं।
2. सत्य
सत्य मतलब सच बोलना, झूठ न बोलना। यह सिद्धांत हमें सच्चाई और ईमानदारी के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है। सत्य का पालन करने से हम अपने रिश्तों में विश्वास और सम्मान को बढ़ावा दे सकते हैं।
3. अस्तेय
अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना, दूसरों की चीजों का सम्मान करना। यह सिद्धांत हमें दूसरों की संपत्ति और अधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है। अस्तेय का पालन करने से हम अपने समाज में न्याय और समानता को बढ़ावा दे सकते हैं।
4. ब्रह्मचर्य
ब्रह्मचर्य का पालन करके हम अपने इंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं , वासनाओं को दबा सकते हैं । यह सिद्धांत हमें अपने विचारों और कार्यों में संयम और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से हम अपने जीवन में शांति और संतुष्टि को बढ़ावा दे सकते हैं।
5. अपरिग्रह
अपरिग्रह का अर्थ है संग्रह न करना, जरूरत से ज्यादा चीजों का संग्रह न करना। यह सिद्धांत हमें अपने जीवन में सरलता और सादगी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। अपरिग्रह का पालन करने से हम अपने जीवन में शांति और संतुष्टि को बढ़ावा दे सकते हैं।
इन पांच सूत्रों का पालन करके, व्यक्ति आत्म-शांति, बेहतर पुनर्जन्म और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। महावीर ने इन सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारा और अपने अनुयायियों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया।
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पल्लवी को लाइफस्टाइल की अच्छी समझ है, वह हेल्थ, लाइफस्टाइल, मनोरंजन से संबंधित पोस्ट लिखना पसंद करती हैं।