Sharad Purnima Kheer Benefits– भारत में हर पर्व का एक धार्मिक और वैज्ञानिक आधार होता है। शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 6 अक्तूबर को है। यह वह रात होती है जब चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी चांदनी सबसे अधिक उज्ज्वल मानी जाती है।
इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, और उसकी किरणों में विशेष ऊर्जा होती है। इसी कारण इस रात को खीर बनाकर चांदनी में रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शरद ऋतु की यह पूर्णिमा वर्ष की सबसे ठंडी और साफ़ रातों में से एक होती है। इस समय वातावरण में नमी, ओस और शीतलता बढ़ने लगती है।
माना जाता है कि इस रात की चांदनी में एक अद्भुत औषधीय शक्ति होती है, जो शरीर को शीतलता और मानसिक शांति प्रदान करती है। आयुर्वेद में भी शरद ऋतु को पित्त दोष के बढ़ने का समय बताया गया है, और चंद्रमा की ठंडी किरणें इस दोष को संतुलित करती हैं।
Sharad Purnima Kheer Benefits- चांदनी रात में खीर रखने के पीछे का विज्ञान, ये हैं प्रमुख स्वास्थ्य लाभ
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शरद पूर्णिमा के दिन खीर को चांदनी में रखने की परंपरा
Sharad Purnima की रात खीर (दूध, चावल और चीनी से बनी मिठाई) को खुले आकाश के नीचे चांदनी में रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह केवल धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा वैज्ञानिक कारण छिपा है।
- चंद्रमा की किरणों में औषधीय तत्व: वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्रमा की किरणों में अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड तरंगों की मात्रा कम होती है, और यह मानव शरीर के लिए हानिकारक नहीं होती। बल्कि, इन किरणों से भोजन में एक कूलिंग इफ़ेक्ट पैदा होता है, जो शरीर को अंदर से ठंडक पहुंचाता है।
- खीर का दूध और चांदनी का संबंध: दूध कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। जब यह चांदनी की ठंडी रोशनी में रखा जाता है, तो दूध में मौजूद लैक्टोज और फैट के अणुओं में हल्का रासायनिक परिवर्तन होता है, जिससे यह अधिक पचने योग्य और ठंडा हो जाता है। चांदनी में रखी खीर को खाने से नींद अच्छी आती है और पित्त से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।
- ओस और वायुमंडलीय प्रभाव: इस रात वातावरण में हल्की ओस गिरती है, जिससे खीर पर एक पतली ठंडी परत जम जाती है। यह परत खीर को न सिर्फ स्वादिष्ट बनाती है बल्कि शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चांदनी का प्रभाव
- चंद्रमा का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: मनोविज्ञान के अनुसार, चंद्रमा का संबंध हमारे मस्तिष्क के भावनात्मक भाग से होता है। पूर्णिमा की रात को चांद की उज्ज्वल रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन के स्राव को संतुलित करती है, जिससे नींद अच्छी आती है और मानसिक तनाव घटता है।
- नींद और मन की शांति: शरद पूर्णिमा की रात बाहर बैठकर चंद्रमा को देखने या उसकी रोशनी में कुछ समय बिताने से शरीर का तापमान कम होता है, जिससे नींद गहरी और शांत होती है। यही कारण है कि इस रात लोग जागरण के साथ-साथ ध्यान या भजन-कीर्तन भी करते हैं।
चांद की रोशनी में रखी खीर के स्वास्थ्य लाभ
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पित्त संतुलन और शीतलन प्रभाव (आयुर्वेदिक प्रभाव): शरद ऋतु में दिन गर्म और रातें ठंडी होने लगती हैं, जिससे शरीर में पित्त (गर्मी) की मात्रा बढ़ने लगती है।खीर में दूध, चावल और चीनी (या मिश्री) मुख्य सामग्री होती है। खीर की तासीर स्वाभाविक रूप से ठंडी होती है।
रात भर ठंडी चांदनी में रखने से खीर की शीतलन शक्ति बढ़ जाती है, जो सुबह इसका सेवन करने पर बढ़ी हुई पित्त को शांत करने और शरीर की गर्मी को कम करने में सहायक होती है। यह एसिडिटी, त्वचा पर चकत्ते (स्किन रैशेज) और पेट में जलन जैसी समस्याओं से राहत दिला सकती है।
तनाव और थकान से राहत: खीर में मौजूद दूध और चावल शरीर में ऊर्जा बढ़ाते हैं, जबकि चांदनी में रखने से उसका सेवन मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
त्वचा के लिए लाभकारी: चंद्रमा की किरणें त्वचा पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। शरद पूर्णिमा की रात बाहर रहना या चांदनी स्नान करना त्वचा को कोमल और चमकदार बनाता है।
प्राकृतिक डीटॉक्स: इस दिन उपवास या हल्का भोजन कर चांदनी में रखी खीर का सेवन शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह एक तरह से प्राकृतिक शुद्धिकरण प्रक्रिया है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) में वृद्धि: आयुर्वेद में चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना गया है। माना जाता है कि Sharad Purnima की रात चंद्रमा की किरणें सबसे अधिक पोषक और शीतल होती हैं। खीर में मेवे (बादाम, पिस्ता आदि) और केसर मिलाने से उसके पोषक तत्व बढ़ जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और शांति: भारतीय परंपराओं में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। पूर्णिमा की चांदनी का मन पर शांत प्रभाव पड़ता है, जिससे तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। दूध में मौजूद ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड सेरोटोनिन के उत्पादन को बढ़ाकर मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।
पाचन में सहायक: चांदनी में रखी ठंडी खीर पचने में आसान और पेट के लिए आरामदायक मानी जाती है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ: माना जाता है कि इसका सेवन आंखों की रोशनी बढ़ाने और चर्म रोगों (स्किन संबंधी समस्या) में भी लाभकारी होता है। दमा (अस्थमा) रोगियों के लिए भी यह रात विशेष रूप से लाभदायक मानी जाती है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में माना जाता है कि Sharad Purnima की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जागरण करने वालों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए लोग इस रात चंद्रमा की पूजा करते हैं और खीर का प्रसाद बांटते हैं।
परंतु इस पूजा के पीछे छिपा वैज्ञानिक संदेश यह है कि प्रकृति के परिवर्तनशील चक्र में संतुलन बनाए रखना और स्वस्थ जीवन जीना। शरद पूर्णिमा की रात केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह प्रकृति, स्वास्थ्य और विज्ञान का सुंदर संगम है।
चांदनी में रखी खीर का सेवन हमारी परंपराओं की उस गहराई को दर्शाता है जो विज्ञान और अध्यात्म दोनों को साथ लेकर चलती है। इसलिए Sharad Purnima पर खीर बनाकर उसे चांदनी में रखना न केवल एक धार्मिक कर्म है, बल्कि शरीर और मन को संतुलित रखने की एक वैज्ञानिक परंपरा भी है।
FAQs
शरद पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर क्यों बनाई जाती है?
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है। खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसमें अमृत तुल्य गुण आ जाते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात खीर क्यों रखते हैं?
मान्यता है कि चांदनी में रखी खीर में अमृत जैसा गुण आ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रखने का क्या महत्व है?
शरद पूर्णिमा के दिन व जागरण करने से मां लक्ष्मी कृपा और सुख-समृद्धि मिलती है।
चांद की रोशनी में खीर रखने की वैज्ञानिक वजह क्या है?
माना जाता है चंद्रमा की किरणें खीर में औषधीय शक्ति भर देती हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर खाने से क्या लाभ हैं?
शरद पूर्णिमा की रात खीर खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और रोग दूर होते हैं।
क्या खीर को ढककर रखना चाहिए?
खीर को हल्के कपड़े से ढककर रखा जाता है ताकि उसमें चांदनी की किरणें सीधे पड़ें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खीर क्यों खास है?
स्कंद पुराण के अनुसार, अमृत तुल्य खीर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करती है और शुभता का प्रतीक है।
क्या आयुर्वेद में भी खीर की सलाह दी जाती है?
आयुर्वेद अनुसार, चंद्रमा की किरणों से खीर में औषधीय गुण आते हैं जो शरीर के पित्त दोष को शांत करते हैं।
इमेज सोर्स: Twitter
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ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।