PM Modi Unveiled Genome Dataset and IBDC Portals- नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित जीनोम इंडिया डेटा कॉन्क्लेव में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जीनोम डेटा सेट का उद्घाटन किया।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘डेटा प्रोटोकॉल के आदान-प्रदान के लिये फीड और भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) पोर्टल लॉन्च किये, जिससे भारत और दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिये 10,000 भारतीयों के जीनोम के नमूने आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे।
PM Modi Unveiled Genome Dataset and IBDC Portals- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया भारतीय जीनोम डेटा सेट और पोर्टल
पीएम मोदी ने बताई बड़ी उपलब्धि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जैविक डेटा केंद्र में उपलब्ध 8 पेटाबाइट के विशाल डेटासेट को लॉन्च करते हुए इसे बायोटेक्नोलॉजी के रिसर्च के लिए एक ‘मील का पत्थर’ बताया। भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) जेनेटिक इनफॉर्मेशन प्राप्त करने में पूरी मदद करेगा। अभी 10,000 जीनोम सीक्वेंसिंग सैंपल (डब्ल्यूजीएस) भारतीयों के मौजूद हैं। आगे और भी सैंपल को इकट्ठा किया जाने की प्रक्रिया चालू रहेगी।
इस पहल का उद्देश्य भारत को जीनोमिक्स के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है, जिससे भारतीय परिवेश के हिसाब से जीनोमिक चिप्स का विकास किया जा सकेगा। साथ ही जेनेटिक्स रिसर्च में लोगों की रुचि बढ़ेगी।
बढ़ रही है बायो इकोनॉमी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की बायो इकोनॉमी के बारे में बताते हुए कहा कि आज भारत की बायो इकोनॉमी लगातार बढ़ रही है। यह 2014 में 10 बिलियन डॉलर थी जो बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है तथा 2030 तक इसके 300 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
बायोटेक्नोलॉजी में बढ़ रहा है भारत
भारत अब बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व में 12वें स्थान तथा एशिया में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। ऐसे में अब यह समझना बहुत जरूरी है कि यह जीनोम और जीनोमिक्स है क्या और यह किस प्रकार जरूरी है।
Five years ago, the Genome India Project received approval, and despite the challenges posed by the COVID-19 pandemic, our dedicated scientists have successfully completed it.
The project’s data, comprising the genome sequences of 10,000 Indians, is now accessible at the… pic.twitter.com/Vc5cpTKXg8
— Priyal Bhardwaj (@Ipriyalbhardwaj) January 10, 2025
जीनोम क्या है?
जीनोम किसी भी जीव के डीएनए के भीतर एक जेनेटिक तत्व है – जो जीवन की संरचना को दर्शाता है। यह सभी जीवित चीजों की संरचना बताने का काम करता है।
जीनोमिक्स क्या है?
जीनोमिक्स वह विज्ञान है जिसमें किसी जीव (अर्थात् पौधे, पशु, मनुष्य, विषाणु और सूक्ष्मजीव) की पूरी जेनेटिक जानकारी को डीएनए तथा आरएनए, प्रोटीन और मेटाबोलाइट्स के माध्यम से समझा जाता है। जीनोमिक्स में बायो इन्फॉर्मेटिक्स, मेटाबॉलमिक्स और प्रोटीन से जुड़े प्रोटिओमिक्स और ट्रांसक्रिप्टोमिक्स जैसे संबंधित विषय शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में भारतीय जीनोमिक डेटा सेट का अनावरण किया गया।
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जीनोम इंडिया इनिशिएटिव चर्चा में क्यों?
भारत अपनी पहली मानव जीनोम मैपिंग परियोजना (Human Genome Mapping Project) शुरू करने की योजना बना रहा है। इसलिए यह चर्चा में है। इसके कुछ प्रमुख पॉइंट्स अलग अलग बीमारियों में मददगार साबित हो सकते हैं।
प्रमुख प्वाइंट्स
- इस परियोजना में कैंसर जैसे रोगों के उपचार के लिये अगले पाँच वर्षों में 20,000 भारतीय जीनोम की स्कैनिंग (Scanning) करने का विचार है।
- इस परियोजना को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT) द्वारा लागू किया जाना है।
- मानव जीनोम में अनुमानतः 80,000-1,00,000 तक जीन होते हैं।
- जीनोम सीक्वेंसिंग से डीएनए में मौज़ूद चारों तत्त्वों- एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C) और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है।
- DNA अनुक्रमण विधि से लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना और साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव हो सकता है।
कैसे लागू होगी परियोजना
इस परियोजना को दो चरणों में लागू किया जाना है।परियोजना के पहले चरण में 10,000 स्वस्थ भारतीयों की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी। वहीं दूसरे चरण में 10,000 रोगी व्यक्तियों की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाएगी।
जीनोम मैपिंग की आवश्यकता क्यों?
अधिकांश रोग, जैसे- मानसिक रोग, कैंसर, हार्ट की समस्या, हाई बीपी, न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज संभव होगा। इसके अलावा जीनोम मैपिंग से यह जल्दी पता लगाया जा सकेगा कि किसको किस तरह की गंभीर बीमारी हो सकती है।
जीनोम सीक्वेंसिंग का महत्व
- स्वास्थ्य देखभाल: चिकित्सा के क्षेत्र में नई खोज के अलावा कई प्रकार की गंभीर बीमारी को दूर करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- जेनेटिक स्क्रीनिंग में उपयोगी: जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से जन्म से पहले की बीमारियों के लिये जेनेटिक स्क्रीनिंग की जा सकेगी।
- इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि हमारे देश के लोग अन्य देश के लोगों से किस प्रकार भिन्न हैं और यदि उनमें कोई समानता है तो वह क्या है। इससे बीमारियों का पता समय रहते लगाया जा सकता है और उनका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है।
इसके माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि 20 साल बाद कौन सी बीमारी होने वाली है। वह बीमारी न होने पाए तथा इसके नुकसान से कैसे बचा जाए इसकी तैयारी पहले से ही शुरू की जा सकती है।
इसके अलावा बच्चे के जन्म लेने से पहले उसमें उत्पन्न होने वाली बीमारियों के जींस का पता भी लगाया जा सकता है और आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।
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