Pitru Paksha 2025 rules-पितृपक्ष हिंदू धर्म का वह पावन समय है जब श्रद्धालु अपने पूर्वजों को याद कर श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं। मान्यता है कि इन 16 दिनों में पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से तृप्ति की अपेक्षा करती हैं।
इसलिए इस दौरान किए गए कर्मकांड और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष में कुछ नियम और सावधानियाँ बताई गई हैं जिन्हें मानना जरूरी है। आइए जानते हैं पितृपक्ष में क्या करना चाहिए और किन कार्यों से परहेज करना चाहिए ताकि पूर्वज प्रसन्न हों और घर-परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे।
Pitru Paksha 2025 rules-पितृपक्ष में क्या करें
- Pitru Paksha का सबसे बड़ा महत्व श्राद्ध और तर्पण से जुड़ा है। इस समय पितरों को जल अर्पण, तर्पण और पिंडदान अवश्य करना चाहिए। यदि संभव हो तो गया, इलाहाबाद या हरिद्वार जैसे तीर्थस्थलों पर पिंडदान करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- इस अवधि में पितरों के नाम से दान करना भी आवश्यक है। भोजन, वस्त्र, अनाज और दक्षिणा ब्राह्मणों को दान करने की परंपरा है। विशेष रूप से गरीब, वृद्ध और जरूरतमंदों की सेवा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- Pitru Paksha के दिनों में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन में खिचड़ी, हरी सब्ज़ियाँ और मौसमी फल शामिल करना शुभ होता है। सात्विक आहार शुद्धता और सकारात्मकता बनाए रखता है।
- धार्मिक कर्मों का पालन करना भी जरूरी है। गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम और पितरों के नाम संकल्प मंत्रों का जाप करना चाहिए। अपने घर के मंदिर में दीपक जलाकर पूर्वजों के लिए प्रार्थना करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पितृपक्ष में पशु-पक्षियों को भोजन कराना भी अत्यंत फलदायी है। मान्यता है कि पितरों की आत्माएँ कौवे, गाय और कुत्ते जैसे रूपों में धरती पर आती हैं। इसलिए इन्हें भोजन कराना शुभ माना जाता है।
पितृपक्ष में क्या न करें
- इस अवधि में मांस-मदिरा का सेवन पूरी तरह वर्जित है। मांसाहार, शराब, प्याज और लहसुन का सेवन पितरों के प्रति असम्मान माना जाता है और ऐसा करने से पूर्वज अप्रसन्न हो सकते हैं।
- नए कपड़े या आभूषण पहनना भी इस समय उचित नहीं माना गया है। Pitru Paksha शोक और स्मरण का समय है, इसलिए इस दौरान नया सामान खरीदने या धारण करने से परहेज़ करना चाहिए।
- Pitru Paksha में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन या नया व्यापार आरंभ जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। यह अवधि केवल श्राद्ध और तर्पण के लिए मानी जाती है, इसलिए मांगलिक कार्यों को टालना ही उचित होता है।
- परिवार में झगड़ा, कलह और अपशब्द बोलने से बचना चाहिए। इस दौरान घर में शांति और आपसी सौहार्द बनाए रखने से पितरों की कृपा मिलती है।
- दान Pitru Paksha का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसमें दिखावा नहीं होना चाहिए। पितरों को केवल सच्चे मन से अर्पित की गई वस्तुएँ ही स्वीकार होती हैं, इसलिए दान श्रद्धा और आस्था से ही करना चाहिए।
पितृपक्ष केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समय हमें हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। सही विधि से किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान न केवल पितरों को तृप्त करता है बल्कि जीवन में आशीर्वाद, शांति और समृद्धि भी लाता है।
वहीं इस दौरान नियमों और सावधानियों का पालन न करने से पितृ दोष बढ़ सकता है और जीवन में बाधाएँ आ सकती हैं। इसलिए, पितृपक्ष में हमेशा श्रद्धा, आस्था और अनुशासन के साथ ही कर्म करें और अपने पूर्वजों की आत्मा को संतुष्ट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
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