Papankusha Ekadashi Niyam 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। प्रत्येक माह आने वाली एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वर्ष 2025 में पापांकुशा एकादशी व्रत 3 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। तिथि 2 अक्टूबर को शाम 07:10 बजे शुरू होगी और 3 अक्टूबर को शाम 06:32 बजे समाप्त होगी। व्रत का पारण 4 अक्टूबर की सुबह 06:16 से 08:37 के बीच करना उचित रहेगा।
Papankusha Ekadashi Niyam 2025: पापांकुशा एकादशी 2025 पर भूलकर भी न करें ये काम
धार्मिक ग्रंथों में पापांकुशा एकादशी को अत्यंत पवित्र माना गया है, लेकिन इसके साथ ही कुछ कार्य ऐसे बताए गए हैं जो इस दिन करने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है और शुभ फल प्राप्त नहीं होता। आइए जानते हैं इस दिन किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
मांस-मदिरा का सेवन वर्जित
एकादशी व्रत के दिन मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित माना गया है। यह पाप बढ़ाने वाला कार्य है और पूजा का फल निष्फल हो जाता है। इस दिन सात्त्विक भोजन और फलाहार ही करना चाहिए।
झूठ बोलने और क्रोध से बचें
शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी के दिन झूठ बोलना, दूसरों का अपमान करना और अनावश्यक क्रोध करना व्रत के पुण्य को नष्ट कर देता है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से वाणी और आचरण पर संयम रखना चाहिए।
अनावश्यक विवाद न करें
इस दिन घर में कलह या झगड़ा करना अशुभ माना जाता है। एकादशी का व्रत शांति और सद्भावना का संदेश देता है। विवाद करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और पूजा का महत्व कम हो जाता है।
तामसिक भोजन से दूरी
लहसुन, प्याज, मसालेदार और तैलीय भोजन एकादशी व्रत में निषिद्ध माना गया है। व्रती को केवल फल, दूध और सात्त्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए।
परन (व्रत तोड़ने) में विलंब न करें
एकादशी व्रत के बाद द्वादशी तिथि पर सही समय पर पारण करना जरूरी है। पारण में देरी करना अशुभ फल देने वाला माना जाता है। 2025 में इसका पारण 4 अक्टूबर की सुबह निर्धारित समय में करना श्रेष्ठ रहेगा।
किसी का अपमान न करें
इस दिन किसी गरीब, बुजुर्ग या जरूरतमंद का अपमान नहीं करना चाहिए। बल्कि संभव हो तो उन्हें भोजन, वस्त्र और दान देना चाहिए। इससे व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
आलस्य और देर तक सोना न करें
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान और पूजा करना चाहिए। देर तक सोना और दिनभर आलस्य करना व्रत का प्रभाव घटा देता है।
पापांकुशा एकादशी व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। 3 अक्टूबर 2025 को जब भक्त इस व्रत का पालन करेंगे, तो उन्हें ऊपर बताई गई गलतियों से अवश्य बचना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि विधि-विधान से किया गया यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है।
FAQs
पापांकुशा एकादशी व्रत के मुख्य नियम क्या हैं?
इस व्रत के मुख्य नियमों में दिनभर उपवास रखना, मांसाहार और शराब से बचना, प्याज-लहसुन जैसे तामसिक भोजन से दूर रहना, भगवान विष्णु की पूजा करना और मंत्र जपना शामिल है।
व्रत के दौरान फल और दूध खा सकते हैं क्या?
हाँ, इस व्रत में फल, दूध और हल्का सात्त्विक भोजन किया जा सकता है।
पापांकुशा एकादशी पर किन चीज़ों से बचना चाहिए?
झूठ बोलना, क्रोध करना, अनावश्यक विवाद करना, किसी का अपमान करना, शराब या मांसाहार का सेवन वर्जित है।
व्रत का पारण कब करना चाहिए?
त का पारण अगले दिन द्वादशी को निर्धारित मुहूर्त में करना चाहिए। वर्ष 2025 में यह 4 अक्टूबर को सुबह 06:16 से 08:37 बजे के बीच किया जाएगा।
पापांकुशा एकादशी व्रत पालन के आध्यात्मिक लाभ क्या हैं?
इस व्रत को भक्ति और नियम से रखने से पाप नष्ट होते हैं, जीवन में समृद्धि और शांति आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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