Nomophobia Symptoms and Treatment: आज के इस आधुनिक समय में डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है। डिजिटल क्रांति की बदौलत ही हम आज बहुत ही सरल और आसान तरीकों से टेक्निक का उपयोग कर पा रहे हैं।
परन्तु इस डिजिटल युग में हमें इन्हीं गैजेट्स के अधिक प्रयोग से हमें कई बीमारियां हो रही हैं जो हमको शारीरिक रूप से कम और मानसिक रूप से ज्यादा बीमार कर रही हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक मुख्य बीमारी नोमोफोबिया है। नोमोफोबिया हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर इतना गहरा असर कर रही है कि हम अपनी डेली लाइफ के कामों को भी आसानी से नहीं कर पा रहे हैं।
आज इस पोस्ट में हम आपको नोमोफोबिआ के कुछ प्रमुख लक्षण और उनसे बचने के कुछ प्रमुख उपायों के बारे में बतायेंगे जिससे आपकी दैनिक दिनचर्या पर कोई असर ना पड़े।
Nomophobia Symptoms and Treatment: नोमोफोबिया क्या है और इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है
अगर हमको नोमोफोबिया को पूरी तरह से समाप्त करना है तो सबसे पहले इसके मुख्य लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है। यदि हम किसी भी बीमारी के लक्षणों को नहीं जानेंगे तो उसका सही इलाज कर ही नहीं सकते हैं।
नोमोफोबिया के प्रमुख लक्षण
नोमोफोबिया नाम की मानसिक बीमारी होने पर किसी भी इंसान के अंदर आपको ये कुछ लक्षण जरूर देखने को मिल ही जायेंगे। इनमें से अधिकांश लक्षण आज के युवाओं और बच्चों में देखने को मिलते हैं जो दिन भर मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं या कार्टून ज्यादा देखते हैं।
1. अगर मोबाइल से थोड़ी देर भी दूर रहने पर आपको एक चिंता सता रही है कि पता नहीं आज के मैच में क्या हुआ या लेटेस्ट न्यूज़ का क्या अपडेट है या कौन सी वीडियो या मूवीज रिलीज़ हुई है तो यकीन मानिये ये नोमोफोबिया का शुरूआती लक्षण है। आपको तुरंत ही सावधान होने की जरुरत है।
2. कभी कभी हम ऐसे स्थान पर पहुंच जाते हैं जहाँ पर रेडियो सिग्नल्स नहीं रहते हैं और हम अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं कर पाते, उस समय एक अजीब सी घबराहट हमको महसूस होती है। यह घबराहट भी नोमोफोबिया का ही एक लक्षण है क्यूकि इसमें हमारे अंदर एक अजीब सी बेचैनी होती है और इस बेचैनी की वजह से हम अपने कई जरुरी कामों को नहीं कर पाते हैं।
3. अगर आप अपने फ़ोन का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा कर रहे हैं तो आपको कोई और एक्टिविटी पसंद नहीं आएगी और आप खुद को काफी थका हुआ भी महसूस करेंगे।
4. यदि आप रात में सोने जा रहे हैं और आपको घंटो तक नींद नहीं आ रही है तो यह जांच जरूर कराये कि वास्तव में किसी कारण से तबियत ख़राब है या आपको भी मोबाइल की आदत लग चुकी है। नोमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को भी नींद ना आने की ख़राब आदत लग जाती है जो आगे चलकर बहुत ही गंभीर रूप ले सकती है और आपकी पूरी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है।
5. यदि आप लोगों से जरुरी बातचीत में भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं तो हो सकता है आपको अपने डिजिटल गैजेट की लत लग चुकी है और आपको सावधान होने की जरुरत है।
इसके अलावा नोमोफोबिया के कुछ और भी लक्षण है जो फोबिया (डर) से संबंधित ही हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- चिंता या डर की भावना
- घबराहट की वजह से श्वास लेने में परेशानी
- पसीना आना
- किसी भी काम में ध्यान केंद्रित ना कर पाना
- दिल की धड़कन का अचानक ही तेज हो जाना और कभी कभी सीने में दर्द होना
वैसे तो ये सभी लक्षण कई बीमारियों में सामान्य रूप से पाए जाते हैं। परन्तु एक साथ इतने लक्षणों से हमारे शरीर और मन पर बुरा असर पड़ता है और हम मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं। शारीरिक बीमारी से तो हम जल्दी ठीक हो सकते हैं परन्तु जब मन बीमार होता है तो हमारा पूरा शरीर ही बीमार हो जाता है।
मन बीमार होने पर उसके ठीक होने में बहुत समय लग जाता है, इसलिए जितनी जल्दी हो ऐसी बीमारी को काबू में कर लेना चाहिए जिससे बीमारी बढ़ ना सकें।
इसे भी पढ़ें: 99% लोग नहीं जानते गूगल की ये ट्रिक
नोमोफोबिया को ठीक करने के कुछ कारगर तरीके
यदि नोमोफोबिया जैसी मानसिक बीमारी की बात करें तो यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो किसी वायरस या अन्य परजीवी से होता है। नोमोफोबिया का मुख्य कारण हमारी ही डिस्बैलेंस्ड लाइफस्टाइल है जिसमे हम डिजिटल उपकरणों पर जरुरत से ज्यादा समय देते हैं।
वर्तमान में डॉक्टरों के पास इस मानसिक बीमारी का कोई ठोस उपचार मौजूद नहीं है। वर्तमान में डॉक्टर किसी भी नोमोफोबिया के मरीज को सिर्फ कुछ वैकल्पिक उपायों को ही बता सकता है। इन वैकल्पिक उपायों में ही इतनी क्षमता है कि इनसे मरीज ठीक हो जाते हैं। बस उनको इन उपायों को पूरी तरह से अमल में लाना होता है।
मोबाइल नोटिफिकेशन को बंद रखना
हम सभी को जब भी कुछ जानना होता है तो अपने स्मार्टफोन में उससे रिलेटेड ऐप को इंस्टाल कर लेते हैं। जब भी किसी नए ऐप को इंस्टाल किया जाता है तो उस ऐप का नोटिफिकेशन आटोमेटिक ऑन रहता है।
इसलिए अगर उस ऐप के नोटिफिकेशन बहुत ज्यादा जरुरी ना हो तो उन्हें ऑफ या म्यूट कर देना चाहिए। इससे किसी भी ऐप से संबंधित नोटिफिकेशन आने पर हम अपने मोबाइल को चेक करने की बजाय अपने अन्य जरुरी कामों पर ध्यान देंगे।
समय निर्धारित करना
आज के इस डिजिटल युग में ऐसा संभव नहीं है कि हम मोबाइल या डिजिटल गैजेट का उपयोग ना करें। परन्तु हम सभी को एक समय सेट करना चाहिए कि मोबाइल या डिजिटल गैजेट को एक निश्चित समय पर और लिमिटेड टाइम के लिए ही इस्तेमाल करेंगे।
बड़े बुजुर्गों के साथ समय बिताना
यदि आप अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ रह रहे हैं या आपके घर के आस – पास बुजुर्ग रहते हैं तो कुछ समय उनके पास भी बैठना चाहिए और उनसे बात-चीत करनी चाहिए। इससे कुछ देर के लिए ही सही आप अपने स्मार्टफोन का उपयोग नहीं करेंगे।
क्रिएटिव एक्टिविटी को डेवलप करना
यदि आप बहुत ज्यादा डिजिटल गैजेट्स का उपयोग कर रहे हैं तो आपको कोई एक ऐसी एक्टिविटी को हॉबी की तरह विकसित करना चाहिए जिसमे मोबाइल या डिजिटल गैजेट का उपयोग एकदम ना हो।
यदि आप ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो नोमोफोफिया जैसी बीमारी से बहुत जल्द आराम पा सकते हैं। इनमें बुक रीडिंग, इंडोर गेम्स खेलना, छोटे बच्चों के साथ समय बिताना, पेंटिंग करना, क्ले आर्ट से मूर्ति बनाना जैसी एक्टिविटी प्रमुख है।
ऐप्स को डिलीट करना
आपको अपने स्मार्टफोन में से ऐसे सभी ऐप्स को डिलीट कर देना चाहिए जो आपका समय और ध्यान दोनों भटकाने का काम कर रही हों। हम सभी के मोबाइल में कुछ ऐसी ऐप्स होती हैं जो कुछ समय के लिए ही उपयोगी रहती हैं।
कुछ समय के बाद उनका उपयोग हम नहीं करते। ऐसे में उन सभी ऐप्स को चेक करके डिलीट करना ही सही रहता है। इससे उन ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद हो जायेंगे और हमारा ध्यान मोबाइल की तरफ कम ही जायेगा।
लोगों से मिलना
यदि आप लोगों से नहीं मिलते हैं या कम मिलते हैं तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि लोगों से अधिक से अधिक मिलें और उनसे बात-चीत करें। ऐसा करने से आपके अंदर डर की भावना समाप्त होगी और एक अलग आत्मविश्वास आएगा। इसके अलावा लोगों से बात करने से आप का एक मजबूत नेटवर्क भी बनेगा जो आगे चलकर आपकी मदद भी कर सकता है।
इन कुछ महत्वपूर्ण उपायों के अलावा भी ऐसे बहुत से काम हैं जिनमें स्मार्टफोन की जरुरत नहीं पड़ती है। यदि आप नोमोफोफिया से ग्रस्त हैं तो आपको ऐसे सभी उपायों की तलाश करनी चाहिए जिसमें मोबाइल का उपयोग बेहद कम होता हो या ना के बराबर होता हो।
जितना कम से कम और सीमित मोबाइल का उपयोग करेंगे उतनी ही नोमोफोफिया जैसी मानसिक बीमारी होने का खतरा कम रहेगा।
इमेज क्रेडिट: Freepik
इसे भी पढ़ें: खाली पेट अखरोट खाने के 5 आश्चर्यजनक फायदे
लेटेस्ट पोस्ट: तिरुपति बालाजी मंदिर के अनसुलझे रहस्य, जिससे विज्ञान भी है हैरान
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।