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Nag Panchami Rituals and Significance- आखिर नागपंचमी पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया, जानें रोचक तथ्य और अन्य प्रमुख कथायें

Nag Panchami Rituals and Significance- आखिर नागपंचमी पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया, जानें रोचक तथ्य और अन्य प्रमुख कथायें

Nag Panchami Rituals and Significance

Nag Panchami Rituals and Significance- सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाने का विधान है। इस दिन लोग मंदिर जाकर भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा-अर्चना करते हैं।

इसके अलावा नाग पंचमी के दिन लोग अपने घरों की दीवार पर नागों की आकृति बनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। कहते हैं कि नाग पंचमी पर पूजा करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और कालसर्प जैसे दोष का प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

नाग पंचमी को कई जगहों पर गुड़िया नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर लोग गुड़िया पीटते हैं। तो आइए जानते हैं कि नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई।

Nag Panchami Rituals and Significance- नागपंचमी से जुड़ी कुछ प्रसिद्ध और रोचक लोककथायें

Nag panchami rituals and significance

नाग पंचमी हिन्दू धर्म में नागों (साँपों) की पूजा का दिन है। यह पर्व श्रावण मास की पंचमी तिथि को आता है, जो वर्षा ऋतु के मध्य होता है। यह समय ऐसा होता है जब साँप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं, इसलिए उनके काटने की घटनाएं भी अधिक होती हैं।

ऐसे में लोगों ने यह परंपरा बनाई कि साँपों को पूजा जाए, उन्हें दूध चढ़ाया जाए और उनका आशीर्वाद लिया जाए, जिससे वे किसी को नुकसान न पहुँचाएं।

गुड़िया पीटने की परंपरा कहाँ होती है?

गुड़िया पीटने की यह परंपरा मुख्यतः उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलती है। इस परंपरा में स्त्रियाँ या बच्चे मिट्टी, कपड़े या लकड़ी की बनी गुड़िया को बनाकर उसे प्रतीक रूप में पीटते हैं।

गुड़िया पीटने का धार्मिक और पौराणिक कारण

Nag panchami rituals and significance

सावन माह की Nag Panchami के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा के पीछे कई लोक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। यह परंपरा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य उत्तरी राज्यों में मनाई जाती है। इसके पीछे की कुछ प्रमुख कथाएँ इस प्रकार हैं:

नाग और बहन की कथा

यह सबसे प्रचलित कथा है। इसके अनुसार, एक लड़का महादेव का परम भक्त था और रोज़ाना मंदिर में नाग देवता की पूजा करता था। नाग भी उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके पैरों से लिपट जाता था, लेकिन उसे कभी नुकसान नहीं पहुंचाता था। एक दिन जब लड़का पूजा में लीन था, उसकी बहन ने नाग को उसके पैरों में लिपटा देखा और डर गई।

उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट लेगा, इसलिए उसने एक डंडे से उस नाग को पीट-पीट कर मार डाला। जब भाई ने ध्यान से उठकर नाग को मृत पाया और अपनी बहन से कारण पूछा, तो बहन ने पूरी सच्चाई बता दी। यह सुनकर भाई को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि नाग उसके लिए देवता समान था।

Nag panchami 2025 date and time

लोगों ने कहा कि बहन ने अनजाने में पाप किया है, इसलिए उसे दंड मिलना चाहिए, लेकिन लड़की को पीटना सही नहीं है। तब यह तय हुआ कि भविष्य में नाग पंचमी के दिन लड़की की जगह कपड़े की गुड़िया को पीटा जाएगा। इस तरह, अनजाने में किए गए पाप के प्रतीकात्मक दंड के रूप में गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई।

राजा परीक्षित और तक्षक नाग की कथा

एक अन्य मान्यता राजा परीक्षित और तक्षक नाग की कथा से जुड़ी है। तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई थी। बाद में तक्षक की चौथी पीढ़ी की एक कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुआ।

उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बताया, लेकिन उसे किसी को बताने से मना किया। हालांकि, यह बात धीरे-धीरे पूरे नगर में फैल गई। तक्षक के तत्कालीन राजा को जब यह बात पता चली, तो वह क्रोधित हो गया कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती।

उसने नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवाकर मरवा दिया। तभी से कुछ स्थानों पर नाग पंचमी पर गुड़िया को पीटने की परंपरा मनाई जाती है, जिसे लड़कियों के उस अनजाने रहस्य उजागर करने के दंड से जोड़कर देखा जाता है।

Nag panchami rituals and significance

एक लोककथा के अनुसार, एक बार एक महिला ने अनजाने में नागिन को मार दिया। नागिन की मृत्यु के बाद उसका नाग पति बदला लेने आया और उस महिला के बच्चों को डँस लिया। जब महिला को अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसने नाग-नागिन की पूजा करके क्षमा मांगी। नाग देवता ने क्षमा करते हुए कहा कि इस दिन से लोग साँपों को नुकसान न पहुँचाएं और उनकी पूजा करें।

इस कहानी के अनुसार, गुड़िया पीटना उस पाप और गलती का प्रतीक है, जिसमें किसी ने साँप को मारा। गुड़िया पीटकर यह दिखाया जाता है कि हम उस बुरे कर्म को त्यागते हैं और उसे दंडित करते हैं।

कई लोक मान्यताओं में कहा गया है कि नाग देवता रक्षक होते हैं और भूमि के नीचे के खजाने और जल स्रोतों की रक्षा करते हैं। जो लोग लोभवश साँपों को मारते हैं या उनका अपमान करते हैं, वे पाप के भागी होते हैं। गुड़िया पीटना उस पापी व्यक्ति का प्रतीकात्मक दंड है, जो नागों का अपमान करता है।

महिलाओं द्वारा आत्मरक्षा और प्रतीकात्मक प्रतिरोध

कुछ लोग इस परंपरा को महिलाओं द्वारा अपनी आत्मरक्षा और प्रतीकात्मक प्रतिरोध के रूप में भी देखते हैं। बरसात के मौसम में सांप बिलों से बाहर आ जाते हैं, जिससे उनके काटने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में यह परंपरा सांपों के प्रति भय और उन्हें दूर भगाने के एक तरीके के रूप में शुरू हुई हो सकती है, जहां गुड़िया सांप का प्रतीक बन गई।

सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण

गुड़िया पीटने की परंपरा को एक प्रतीकात्मक विरोध भी माना जाता है — एक सामाजिक संदेश कि निर्दोष जीवों को नुकसान पहुँचाना पाप है। विशेष रूप से स्त्रियाँ इस दिन नाग देवता से संतान सुख, परिवार की रक्षा और विष से मुक्ति की कामना करती हैं।

आधुनिक दृष्टिकोण

 

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आज के समय में जब प्राकृतिक संतुलन और जीवों की सुरक्षा की बात होती है, तो यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि इंसान को प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ सद्भाव बनाए रखना चाहिए। गुड़िया पीटना भले ही प्रतीकात्मक हो, लेकिन इसका संदेश बहुत गहरा है — कि हिंसा नहीं, अहिंसा ही धर्म है।

नाग पंचमी पर प्रचलित परंपराएं

  • नाग पंचमी के दिन लोग घर की दीवारों पर साँप की आकृति बनाते हैं और पूजा करते हैं।
  • दूध, लड्डू, चावल, दूर्वा घास आदि से नाग देवता को प्रसन्न किया जाता है।
  • महिलाएं व्रत रखती हैं और नाग पंचमी की कथा सुनती हैं।
  • नाग मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है।

 

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Nag Panchami सिर्फ नागों की पूजा का पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति से जुड़ाव, पाप और पुण्य की पहचान तथा जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता का संदेश भी है। गुड़िया पीटना एक सांकेतिक अभ्यास है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हर जीव का जीवन मूल्यवान है और किसी भी निर्दोष प्राणी को नुकसान पहुँचाना अधर्म है।

इसलिए, जब अगली बार आप Nag Panchami के दिन किसी को गुड़िया पीटते देखें, तो समझिए कि वह अहिंसा, पशु रक्षा और प्रायश्चित का प्रतीक है — एक ऐसी परंपरा, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ मानवीय संवेदना को भी जीवित रखती है।


इमेज सोर्स: इंटरनेट

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