The Rapid Khabar

Mysterious Facts About Lingaraj Temple: जानिए लिंगराज मंदिर के 10 चौंकाने वाले रहस्य, जो इसे भारत का सबसे रहस्यमय शिव मंदिर बनाते हैं!

Mysterious Facts About Lingaraj Temple: जानिए लिंगराज मंदिर के 10 चौंकाने वाले रहस्य, जो इसे भारत का सबसे रहस्यमय शिव मंदिर बनाते हैं!

Mysterious Facts About Lingaraj Temple

Mysterious Facts About Lingaraj Temple: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर भारतीय आस्था, वास्तुकला और इतिहास का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर न केवल भगवान शिव का प्रमुख तीर्थ स्थल है, बल्कि इसे भुवनेश्वर की आत्मा भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा जयति केसरी द्वारा बनवाया गया था, लेकिन इसकी पूजा परंपरा इससे भी कई शताब्दियों पहले शुरू हो चुकी थी।

Mysterious facts about lingaraj temple

इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे रहस्य भी हैं जिनके बारे में आम लोग नहीं जानते।ये रहस्य न सिर्फ इसकी वास्तुशैली और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े हैं, बल्कि वैज्ञानिक, खगोलीय और रहस्यमयी तत्वों को भी उजागर करते हैं। आइए, जानते हैं लिंगराज मंदिर के 10 अनसुने और चौंकाने वाले रहस्य, जो इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग और विशेष बनाते हैं।

Mysterious Facts About Lingaraj Temple: जानिए भुवनेश्वर के इस प्राचीन शिव मंदिर के 10 अनसुने रहस्य।

1. हरि-हर का अद्भुत रूप

Lingaraj Temple का सबसे बड़ा और अनोखा रहस्य यह है कि यहाँ भगवान शिव की पूजा ‘हरिहर’ रूप में की जाती है। यानी, भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ऊर्जा एक साथ मानी जाती है। यह भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जहाँ वैष्णव और शैव परंपराएं एक साथ मिलती हैं। यह धार्मिक समरसता का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि भारत की परंपराओं में विविधता में भी एकता हमेशा से रही है।

2. स्वयंभू शिवलिंग – पृथ्वी से प्रकट हुआ शिवस्वरूप

इस मंदिर का शिवलिंग किसी मूर्तिकार द्वारा बनाया गया नहीं है, बल्कि इसे स्वयंभू माना जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग धरती से स्वयं प्रकट हुआ था और यही कारण है कि इसे अत्यंत पवित्र और चमत्कारी माना जाता है।

इस स्थान को ‘ईकाम्र क्षेत्र’ कहा जाता है, जहाँ कभी एक आम के पेड़ के नीचे भगवान शिव ने प्रकट होकर साधना की थी।

3. बिंदुसागर झील – पवित्र नदियों का संगम

मंदिर के पास स्थित बिंदुसागर झील को अत्यंत पवित्र और रहस्यमयी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें देश की सभी पवित्र नदियों का जल मिलकर आता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यह झील कभी सूखती नहीं, चाहे सूखा हो या तेज़ गर्मी। इस जल का उपयोग मंदिर के अनुष्ठानों और शिवलिंग को स्नान कराने में किया जाता है।

4. गुप्त सुरंगें और भूमिगत संरचनाएं

Lingaraj Temple परिसर के भीतर और आसपास कई गुप्त सुरंगों और भूमिगत कक्षों का अस्तित्व माना जाता है। इनका उपयोग प्राचीन काल में आपातकालीन निकास, रक्षक गुप्त सैनिकों के आवागमन या साधना के लिए किया जाता था। हालाँकि ये आज बंद हैं, लेकिन इनके निशान आज भी दीवारों और फर्श में देखे जा सकते हैं, जो इस मंदिर की रक्षा प्रणाली और रहस्यमयता को उजागर करते हैं।

5. गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित – परंपरा या रहस्य?

Mysterious facts about lingaraj temple

लिंगराज मंदिर (Lingaraj Temple) की एक विशेष परंपरा यह है कि इसमें केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को ही प्रवेश की अनुमति है। गैर-हिंदू श्रद्धालु मंदिर के बाहर बने विशेष व्यूइंग प्लेटफॉर्म से ही मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह परंपरा मंदिर की शुद्धता और आस्था को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

6. खगोलीय गणनाओं से जुड़ी वास्तुकला

मंदिर की बनावट और उसकी दिशा पूर्णतः खगोलीय गणनाओं पर आधारित है। सूर्योदय के समय मंदिर (Lingaraj Temple) के मुख्य द्वार से सूर्य की पहली किरण सीधी गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है।

यह मंदिर निर्माण की उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो आज भी लोगों को हैरान कर देता है। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन भारत के शिल्पकार और वास्तुशास्त्री कितने ज्ञानवान और खगोलविद थे।

7. दीवारों पर विज्ञान और समाज के संकेत

मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशियों में सिर्फ देवी-देवताओं के चित्र नहीं हैं, बल्कि इनमें समाजशास्त्र, आयुर्वेद, पशुपालन, कृषि, युद्ध और नारी जीवन से जुड़ी जीवनशैली का भी सुंदर चित्रण किया गया है। यह इस बात का प्रमाण है कि यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं बल्कि प्राचीन समाज का सांस्कृतिक केंद्र भी था।

8. 1400 साल पुराना इतिहास

भले ही मंदिर की मुख्य संरचना 11वीं सदी में बनी हो, लेकिन इस स्थल पर शिव की पूजा 6वीं या 7वीं शताब्दी से भी पहले होती आ रही है। यानी यह मंदिर और इसकी परंपरा 1400 साल से भी अधिक पुरानी है। यह इसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक बनाता है, जो आज भी उतनी ही भव्यता से पूजित है।

9. शिखर पर केसरिया ध्वज का रहस्य

मंदिर के शिखर पर प्रतिदिन केसरिया ध्वज फहराया जाता है जिसे केवल प्रशिक्षित पुजारी ही चढ़ा सकते हैं। यह ध्वज हर दिन बदला जाता है और मान्यता है कि जब तक यह ध्वज लहराता है, मंदिर (Lingaraj Temple) में ईश्वरीय ऊर्जा बनी रहती है। ध्वज चढ़ाने की यह प्रक्रिया बहुत ही कठिन और परंपरागत होती है।

10. महाशिवरात्रि की चंदन यात्रा – मंदिर की वार्षिक यात्रा

महाशिवरात्रि के अवसर पर होने वाली चंदन यात्रा इस मंदिर की सबसे प्रसिद्ध परंपरा है। इसमें भगवान लिंगराज की प्रतिमा को एक विशेष रथ में बैठाकर बिंदुसागर झील की परिक्रमा कराई जाती है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर में एकत्रित होते हैं और रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। यह आयोजन किसी महोत्सव से कम नहीं होता।

लिंगराज मंदिर (Lingaraj Temple) केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता, विज्ञान, कला और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम है। इसके भीतर छिपे ये रहस्य न केवल आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि हमारे प्राचीन ज्ञान और संस्कृति की समृद्धि को भी उजागर करते हैं। यह मंदिर आज भी उतनी ही ऊर्जा और गरिमा के साथ श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जितना वह हजारों साल पहले करता था।

Image Source: Twitter

बद्रीनाथ मंदिर क्यों है इतना खास? जानिए इस पवित्र धाम की रहस्यमयी बातें!

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Page Join Now

मनोरंजन

ऑटोमोबाइल

How To