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Maha Shivratri Vrat Katha 2025: जाने क्यूँ मनाया जाता है महाशिवरात्रि, जाने महाशिवरात्रि व्रत की कथा।

Maha Shivratri Vrat Katha 2025: जाने क्यूँ मनाया जाता है महाशिवरात्रि, जाने महाशिवरात्रि व्रत की कथा।

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Maha Shivratri Vrat Katha 2025: महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो अमांत पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी पर मनाया जाता है।

प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के मध्य रात्रि पर भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इस शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी, इसीलिए महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

Maha shivratri vrat katha 2025

इसके अलावा इस दिन के मानने के पीछे कई सारी मान्यताएं हैं जैसे कुछ विद्वानों का यह मानना है कि इसी दिन भगवान शिव और मां पार्वती विवाह के पवित्र बंधन में बंधे थे।

जब कि कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि इसी दिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन में उत्पन्न हुए कालकूट नामक विष को पिया था। इन कथाओं के अलावा महाशिवरात्रि व्रत से जुड़ी एक और भी कथा प्रचलित है। आईए जानते हैं की महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और क्या है महाशिवरात्रि व्रत की कथा…

Maha Shivratri Vrat Katha 2025: महाशिवरात्रि व्रत की कथा।

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एक गांव में एक शिकारी रहता था। वह शिकार करके अपने परिवार का पालन करता था एक बार उसपर साहूकार का बहुत सारा कर्जा हो गया। कर्ज न चुकाने पर सेठ ने उस शिव मंदिर में बंदी बना लिया उस दिन महाशिवरात्रि थी।

वहां भगवान शिव से जुड़ी कथा और कुछ भक्त व्रत के बारे में भी चर्चा कर रहे थे जो वह शिकारी बड़े ध्यान पूर्वक देखा और सुन रहा था संध्या होने पर सेठ ने उसे अपने पास बुलाया। शिकारी ने अगले दिन ऋण चुकाने का वादा कर सेठ की कैद से छूट गया।

जंगल में एक तालाब के किनारे बेल वृक्ष पर शिकार करने के लिए मचान बनाने लगा। उस पेड़ के नीचे शिवलिंग था। पेड़ के पत्ते मचान बनाते समय शिवलिंग पर गिर रहे थे। इस प्रकार दिनभर भूखे रहने से शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए।

एक पहर होने पर एक गर्भिणी तलाब पर पानी पीने निकली। शिकारी से उसे देखकर धनुष बाण उठा लिया वह गर्भिणी हिरनी घबराए हुए स्वर में बोली “मैं गर्भवती हूं”, मेरा प्रसव काल समीप है। मैं बच्चों को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊंगी। शिकारी ने उसे छोड़ दिया। कुछ देर बाद एक दूसरी हिरनी उधर से निकली।

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शिकारी ने फिर धनुष बाण चढ़ाया हिरनी ने निवेदन किया ” हे व्याघ्र महादेव में पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं अपने पति से मिलने पर शीघ्र तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊंगी।

शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया रात्रि के अंतिम पहर मार्ग में एक हिरणी अपने बच्चों के साथ उधर से निकल रही थी। शिकारी ने शिकार हेतु धनुष बाण चढ़ाया। वह तीर छोड़ने ही वाला था, की वह हिरणी बोली में इन बच्चों को उनके पिता के पास छोड़ आओ तब तो मुझे मार डालना मैं आपसे बच्चों के नाम पर दया की भीख मांगती हूं”!

शिकारी को इस बार भी दया आ गई और उसे छोड़ दिया। धीरे धीरे भोर का समय होने लगा था तभी एक तंदरुस्त हिरन आता दिखाई दिया शिकारी उसका शिकार करने के लिए तुरंत तैयार हो गया।

महाशिवरात्रि में इन चीजों का रखें खास ध्यान

हिरण बोला, “व्याघ्र महादेव यदि तुमने इससे पहले तीन हिरणियों तथा उनके बच्चों को मार दिया, तो मुझे भी मार दीजिए ताकि मुझे उनका वियोग का सहना पड़े। मैं उन तीनों का पति हूं यदि तुमने उन्हें जीवन दान दिया है तो तुम मुझपर भी कुछ समय के कृपा करो ताकि मैं उनसे मिलकर तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊंगा।

हिरण की बात सुनकर रात की सारी घटनाएं उसके दिमाग में घूम गई उसने हिरण को सारी बातें बता दी कि किस प्रकार वह पूरे दिन भूख से व्याकुल रहा और उसने पूरे समय जल भी नहीं पिया इस कारण उसका उपवास भी हो रहा था।

रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से उसे भगवत भक्ति का जागरण हो गया उसने हिरण को भी छोड़ दिया। भगवान शंकर की अनुकंपा से उसका हृदय मांगलिक भाव से भर गया।

अपने अतीत के कर्मों को याद करके वह पश्चाताप की अग्नि में जलने लगा। थोड़ी देर बाद हिरण सब परिवार शिकारी के सामने उपस्थित हो गया जंगली पशुओं की सत्यप्रियता सात्विकता एवं सामूहिक प्रेम भावना देखकर उसे बड़ी ग्लानि हुई।

उसके नेत्रों से आंसुओं की झाड़ी बहने लगी उसने हिरण के परिवार को मुक्त कर दिया। देवता इस घटना को देख रहे थे और इस घटना को देखकर उन्होंने उस शिकारी पर अपार कृपा किया और आकाश से शिकारी पर पुष्प वर्षा होने लगी और अंत में उसके परिवार को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

माना जाता है कि जो प्राणी महाशिवरात्रि व्रत और कथा का रसपान करते हैं उन सभी भक्तों पर महादेव की सदैव असीम अनुकंपा बनी रहती है दांपत्य जीवन में हमेशा खुशहाली रहती है और उनको पापों से मुक्ति मिलती है।

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