Lok Sabha Election 2024 and Deepfake Video: भारत में लोकसभा चुनाव का प्रचार जोर शोर से किया जा रहा है । आज के इस टेक्निकल समय में प्रचार के लिए डिजिटल माध्यमों का भी खूब उपयोग किया जा रहा है।
ऐसे में हमें एआई और अन्य सोशल मीडिया पप्लेटफार्म से होने वाले खतरों से हमको बच कर रहने की जरूरत है। एआई में रोज ही कुछ नए नए अपडेट हो रहे हैं। इससे कुछ नए खतरे भी सामने आए हैं।इन्हीं खतरों में से एक है डीपफेक वीडियो।
Lok Sabha Election 2024 and Deepfake Video: लोकसभा चुनाव 2024 और डीपफेक का खतरा
क्या है डीपफेक?
इसमें किसी पॉपुलर और वायरल वीडियो को विभिन्न प्रकार के ए आई टूल्स की मदद से एडिट करके ऐसा वीडियो या ऑडियो बना दिया जाता है, जिससे देखने वाले को पता करना बहुत ही मुश्किल होता है कि वह वीडियो या ऑडियो वास्तव में उसी व्यक्ति का है या नही है।
डीपफेक का असर
अब तक डीपफेक वीडियो का शिकार बहुत से सेलिब्रेटी और पॉलिटीशियन हो चुके हैं और इन्होंने इसके लिए कंप्लेन भी दर्ज कराई है। परंतु जब तक रिपोर्ट लिखी जाती है या ऐसे वीडियो पर कार्यवाही की जाती है, तब तक वो वीडियो पूरे वर्ल्ड में सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हो जाती है।
इसका सीधा और नेगेटिव असर उस सेलिब्रिटी या राजनेता की छवि पर पड़ता है। इसके बाद उनको आम पब्लिक से माफी मांगनी पड़ती है कि ये वीडियो या ऑडियो उनका नही है।
कुछ प्रमुख डीपफेक विडियोज
अभी हाल ही में आपने एक वीडियो को सोशल मीडिया पर बहुत वायरल होते हुए देखा होगा, जिसमे एक छोटी बच्ची के कुछ फोटोज का इस्तेमाल करके एआई की मदद से एक ऐसा डीपफेक वीडियो बनाया गया कि उस वीडियो को जिसने भी देखा, वो उस वीडियो को असली ही समझ बैठा।
वीडियो लिंक: https://www.youtube.com/watch?v=F4WZ_k0vUDM
इसके अलावा आपने न्यूज में फेमस एक्ट्रेस रश्मिका और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भी डीपफेक वीडियो को सोशल मीडिया पर देखा होगा। ये भी एआई की मदद से ही बनाए गए थे और ये काफी वायरल भी हुए।
वीडियो लिंक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
वीडियो क्रेडिट: The Economic Times
कौन करता है ऐसे काम
आज के इस डिजिटल युग में हम एआई का इस्तेमाल करके अपने काम को आसान बना सकते हैं, परंतु कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करके प्रसिद्ध लोगों की एक नेगेटिव इमेज समाज में फैलाने का काम करते हैं।
इसके बदले ऐसे लोगों को अच्छे पैसे भी दिए जाते हैं। इससे उनके ऊपर तो कोई असर नही पड़ता, परंतु वे जिसका भी वीडियो बनाते हैं उस व्यक्ति की लाइफ पर इसका निगेटिव असर दिखाई देता है।
लोकसभा चुनाव 2024 पर डीपफेक का असर
इसका इलेक्शन पर भी असर पड़ सकता है। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं।
अभी पिछले वर्ष सितंबर 2023 में स्लोवाकिया में आम चुनाव के दौरान वहां की प्रमुख पार्टी के नेता चुनाव हार गए। जब जांच की गई तो पता चला कि चुनाव के ठीक दो दिन पहले उनका एक वीडियो पूरे सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो में ऐसा दिखाया जा रहा था कि वो बोल रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद वे उस देश में शराब की कीमतों में दो से तीन गुनी वृद्धि कर देंगे।
ये एक डीपफेक वीडियो था। वास्तव में उन्होंने ऐसा कोई भाषण दिया ही नहीं था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद से उनकी इमेज पर ऐसा असर पड़ा कि वो बहुत कोशिशों के बाद भी चुनाव के समय तक अपनी छवि को सुधार नहीं पाए और उनको चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
एक और मामले की बात करें तो उसमे राजस्थान चुनाव में भी इस तरह का मामला सामने आया था। इसमें आम नागरिक को कॉल करके वोट के लिए कहा जाता था। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि ये ऑडियो एआई की मदद से बनाई गई है और उसको व्हाट्सएप के माध्यम से चुनाव के दौरान तेजी से फैलाया गया।
अगर आप इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो आपको ऐसी बहुत सी घटनाएं मिल जायेंगी जिसमें डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल करके लोगों की छवि को खराब करने का काम किया जा है।
भारत में भी हर पॉलिटिकल पार्टी और उसके नेता इसके प्रति बहुत ही सतर्क हैं। खुद भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपनी पार्टी के लोगों को इसके प्रति जागरूक रहने के लिए बोला है।
गूगल द्वारा उठाए जा रहे कदम
गूगल भी ऐसे डीपफेक वीडियो को पहचानने के लिए अलग अलग प्लेटफॉर्म को विकसित कर रहा है। इससे वीडियो और ऑडियो की पहचान करना पहले की तुलना में आसान होगा। गूगल की तरफ से जारी एक नोटिफिकेशन में यह कहा गया है कि अब किसी भी कंटेंट क्रिएटर को इमेज या वीडियो में वाटर मार्किंग करके यह बताना जरूरी होगा कि वह फोटो या वीडियो किस तरह से बनी है।
जैसे अगर कोई इमेज एआई से बनाई गई है तो उस पर AI का एक छोटा सा वाटरमार्क लगाना जरूरी होगा। इससे ये आसानी से पता चल सकेगा कि वह इमेज असली है या नही।
अभी गूगल – शक्ति इंडिया कलेक्शन फैक्ट चेकिंग के साथ मिलकर सभी प्रकार की ऑनलाइन गलत सूचनाओं को जल्दी से जल्दी पता लगाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा गूगल ने विभिन्न प्रकार के एड कैंपेन के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव किए हैं। इसमें यूजर को अपनी पूरी डिटेल भरनी होगी। उसके बाद ही कोई यूजर किसी भी प्रकार का एड कैंपेन चला सकता है।
इसके अतिरिक्त भारत में होने वाले चुनाव के लिए यदि कोई एड कैंपेन चला रहा है तो उसको चुनाव आयोग को कुछ सर्टिफिकेट और डिटेल्स देनी ही पड़ेगी। यदि ऐसा नही किया जाता है तो उसके एड कैंपेन को Google और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ब्लॉक कर दिया जा रहा है।
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इमेज क्रेडिट: Freepik
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