Interesting Facts About Kashi Vishwanath: काशी को भगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी कहा जाता है इस बात का वर्णन कई पुराणों और ग्रंथों में किया गया है। काशी में ही भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर है, जहां भगवान शिव और शक्ति दोनों ही एक साथ विराजमान है।
हर साल लाखों लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए काशी में आते हैं ताकि वे भोले बाबा को प्रसन्न कर सके। लेकिन वहां जाने वाले अधिकतर लोग इस मंदिर से जुड़े रहस्यों को नहीं जानते होंगे। तो चलिए आज हम आपको बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
Interesting Facts About Kashi Vishwanath: काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ अनसुने रहस्य
1. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक
काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित है। शास्त्रों के अनुसार यह मंदिर पिछले कई हजार सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।
मंदिर में विराजमान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को श्री विश्वनाथ या विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है “विश्व के भगवान”। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर में दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्थान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2.दो भागों में है विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भाग में है दाहिनी भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती है दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप में विराजमान है। इसलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।
देवी भगवती के दाहिनी और विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है। यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना पड़ता।
3.शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी
कहते हैं कि गंगा किनारे बसी काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी है जहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ विराजमान है।
पतित पावनी भागीरथी गंगा के तट पर धनुषाकारी बसी हुई काशी नगरी वास्तव में पापनाशिनी है। भगवान शंकर को यह नगरी अत्यंत प्रिय है इसीलिए यह भगवान शंकर की राजधानी भी कहलाती है।
4. विष्णु की पुरी
पुराणों के अनुसार पहले यह भगवान विष्णु की पुरी थी जहां श्री हरि के अश्रु गिरे थे वहां विंदु सरोवर बन गया था और प्रभु यहां बिंदु माधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए।
महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णु जी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया था और तभी से काशी भगवान शंकर का निवास स्थान बन गया।
5.काशी का कोतवाल
हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत महत्व है इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है काशी विश्वनाथ में दर्शन से पहले भैरव के दर्शन करने होते हैं। उल्लेख है कि शिवा के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई बाद में उक्त रुधिर के दो भाग हो गए पहले बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। मुख्यतः दो भैरव की पूजा का प्रचलन है एक काल भैरव और दूसरा बटुक भैरव।
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