How to Develop Active Listening Skills in Children- बचपन सीखने की नींव होती है। इस दौरान बच्चों में कई तरह के स्किल्स विकसित किए जाते हैं, जैसे बोलना, पढ़ना, लिखना, समझना आदि।
लेकिन एक महत्वपूर्ण स्किल जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, वो है एक्टिव लिसनिंग (Active Listening) यानी ध्यानपूर्वक और समझकर सुनने की कला। यह न सिर्फ एक कम्युनिकेशन स्किल है, बल्कि यह बच्चे की सीखने की क्षमता, आत्मविश्वास, रिश्तों और सामाजिक व्यवहार पर भी गहरा असर डालती है।
How to Develop Active Listening Skills in Children- बच्चों में विकसित करें एक्टिव लिसेनिंग के गुण
क्या है एक्टिव लिसनिंग ?
एक्टिव लिसनिंग का मतलब सिर्फ सुनना नहीं, बल्कि सामने वाले की बात को पूरी तरह ध्यान से सुनना, समझना, प्रतिक्रिया देना और महसूस करना होता है। इसका मतलब है – आंखों से संपर्क बनाए रखना, बीच में टोके बिना सुनना, और जरूरी होने पर उपयुक्त प्रतिक्रिया देना।
क्यों जरूरी है बच्चों में एक्टिव लिसनिंग स्किल?
- बेहतर एकेडमिक प्रदर्शन: जो बच्चे ध्यान से सुनते हैं, वे क्लास में टीचर की बात जल्दी समझते हैं और बेहतर तरीके से सीखते हैं।
- बेहतर समझ और ज्ञान: एक्टिव लिसनिंग से बच्चे स्कूल में टीचर्स की बात को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं, जिससे उनका ध्यान भी नहीं भटकता और वे नई चीजें जल्दी सीख पाते हैं। यह उनकी पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने में भी मदद करता है।
- संबंधों में सुधार: एक्टिव लिसनिंग से बच्चे अपने दोस्तों, परिवार और शिक्षकों के साथ अच्छे संबंध बना पाते हैं।जब बच्चे किसी की बात ध्यान से सुनते हैं, तो सामने वाले को लगता है कि उनकी बात को महत्व दिया जा रहा है। इससे बच्चों और उनके दोस्तों, टीचर्स और परिवार के बीच रिश्ता और भी मजबूत होता है।
- समझदारी और सहानुभूति का विकास: ध्यानपूर्वक सुनने से बच्चों में दूसरों की भावनाएं समझने की क्षमता बढ़ती है।
- संतुलित व्यवहार: एक्टिव लिसनिंग से बच्चे कम गुस्से में प्रतिक्रिया करते हैं और बातचीत में संयम दिखाते हैं।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: एक्टिव लिसनिंग से बच्चे अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
- प्रॉब्लम सॉल्विंग और नेतृत्व कौशल: जो बच्चे अच्छे एक्टिव लिसनर होते हैं, वे समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उन्हें हल करने में सक्षम होते हैं। यह उनमें नेतृत्व (लीडरशिप) और टीम वर्क जैसे गुणों को भी बढ़ावा देता है।
जब बच्चे सुनी गई बातों को सही से समझते हैं, तो निर्णय लेना उनके लिए आसान हो जाता है।
आप कुछ मज़ेदार गतिविधियों और आदतों के ज़रिए अपने बच्चों में यह कौशल विकसित कर सकते हैं:
नजर से नजर मिलाकर बात करें: जब आप अपने बच्चे से बात कर रहे हों या वह आपसे बात कर रहा हो, तो उनसे नजर मिलाकर बात करें। इससे बच्चे ध्यान देना सीखते हैं। आप उन्हें यह भी सिखा सकते हैं कि जब कोई उनसे बात करे तो वह भी उनकी आंखों में देखकर बात करे।
कहानी सुनाने के खेल: बच्चों के साथ कहानी सुनाने का खेल खेलें। आप उन्हें एक कहानी की शुरुआत बताएं और उनसे कहें कि वे कहानी को आगे बढ़ाएं। इससे उन्हें कहानी को ध्यान से सुनने और समझने का अभ्यास होगा।
प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें: जब आप अपने बच्चे को कुछ समझा रहे हों, तो उसे बीच-बीच में सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें। आप भी उनसे पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें आपकी बात समझ आई। इससे उन्हें पता चलेगा कि उनकी बात पर ध्यान दिया जा रहा है और वे आपसे खुलकर बात कर पाएंगे।
उनकी बात ध्यान से सुनें: अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी बात ध्यान से सुने, तो आपको भी उसकी बात को उतनी ही गंभीरता से सुनना होगा। जब वह आपसे कुछ कहना चाहता हो, तो अपना काम रोककर उसे पूरा ध्यान दें। इससे उसे महसूस होगा कि उसकी बातों का भी महत्व है।
सही शब्दावली का प्रयोग करें: कई बार बच्चे इसलिए ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें शब्द समझ नहीं आते। अपने बच्चों से बात करते समय ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करें जिन्हें वे आसानी से समझ सकें।
इन तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चे को एक अच्छा श्रोता बना सकते हैं, जो भविष्य में उसके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।
बच्चों को एक्टिव लिसनर बनाने के आसान और असरदार तरीके
- एक अच्छा रोल मॉडल बनें: जब आप खुद बच्चों की बात को ध्यान से सुनते हैं, आंखों में देख कर जवाब देते हैं और बीच में नहीं काटते, तो बच्चा भी यही आदत अपनाता है।
- बात खत्म होने का इंतजार करें: बच्चे को बार-बार टोकना नहीं चाहिए। उसे अपनी बात पूरी करने दें और फिर उत्तर दें। इससे वह समझेगा कि दूसरों की बात सुनना जरूरी है।
- स्टोरी टेलिंग का इस्तेमाल करें: कहानियां बच्चों का ध्यान खींचती हैं। कहानियों के ज़रिए उन्हें सुनने और समझने की आदत डलवाएं। बाद में कहानी से जुड़े सवाल पूछें।
- “आई-कॉन्टैक्ट” पर दें ध्यान: बातचीत करते समय आंखों में आंखें डालकर बात करना सिखाएं। इससे बच्चा ज्यादा ध्यान केंद्रित करेगा।
- री-कैप करवाएं: बच्चे से पूछें कि उसने क्या सुना। जैसे – “टीचर ने आज क्या बताया?” या “पापा ने क्या कहा था?” इससे उसकी सुनने और याद रखने की क्षमता मजबूत होगी।
- डिस्ट्रैक्शन कम करें: मोबाइल, टीवी या शोर-शराबे से ध्यान भटकता है। जब कोई बातचीत हो रही हो, तो ध्यान दें कि वातावरण शांत और एकाग्र हो।
- प्रशंसा करें: जब बच्चा ध्यान से सुनता है, तो उसकी तारीफ करें – “तुमने बहुत अच्छे से मेरी बात सुनी, शाबाश!” इससे उसे प्रोत्साहन मिलेगा।
एक्टिव लिसनिंग से जुड़ा एक छोटा उदाहरण
मां: “बेटा, आज स्कूल में क्या हुआ?”
बच्चा: “टीचर ने नया पोयम सिखाया और मैंने अच्छे से बोला।“
मां: “वाह! तुमने ध्यान से सुना और फिर दोहराया भी। क्या पोयम याद है?”
बच्चा: (खुश होकर पोयम सुनाने लगता है)
यह छोटा सा संवाद एक्टिव लिसनिंग और सही प्रतिक्रिया की झलक देता है।
एक्टिव लिसनिंग केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि हर उम्र के व्यक्ति के लिए जरूरी है। पर अगर इस आदत की शुरुआत बचपन से हो जाए, तो बच्चे जीवनभर एक अच्छे संवादी, लर्नर और रिलेशनशिप बिल्डर बनते हैं। माता-पिता और शिक्षक मिलकर इस छोटे-से प्रयास से बच्चों के भविष्य की नींव को और मजबूत बना सकते हैं।
Image: Freepik
नेटफ्लिक्स पर जरूर देखें इन मूवीज और सीरीज को, वरना एंटरटेनमेंट रह जायेगा अधूरा
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।