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Historical Facts About Valentine Day: वैलेंटाइन डे के बारे में कुछ तथ्य
Historical Facts About Valentine Day: प्रेम एक विश्वास है , एक दूसरे पर यकीन है। साथ रहने की वज़ह है , त्याग और तपस्या है। एक साथ महसूस की जाने वाली उन सभी भावनाओं से जुड़ा है जो आपस में मजबूत लगाव , सम्मान, घनिष्टता, आकर्षण और मोह से सम्बन्धित है। जब कोई इंसान प्रेम में होता है तो उसके अंदर एक-दूसरे की परवाह करने और सुरक्षा प्रदान करने की गहरी भावना होती है।
यदि किसी रिश्ते में पूरी तरह से विश्वास , ईमानदारी और समझदारी हो तो इन्हें निभाने के लिए किसी भी नियम और शर्तों की जरूरत नहीं होती है। कोई भी समाज या संस्कृति किसी व्यक्ति को यह नहीं बता सकता है कि उसे किससे प्रेम करना चाहिये या कितना प्रेम करना चाहिए।
प्रेम का कोई दिन नहीं होता है, यह तो एक भावना है। अगर हमें वास्तव में किसी से प्रेम है तो उसे हर वक्त व्यक्त करना चाहिए, उसके लिए कोई महीना या डेट नहीं होती है। अपने प्रियजनों को हमेशा ये एहसास दिलाते रहना चाहिए की हम उन्हें प्रेम करते हैं जिससे उन्हें भी हम ये बता सके की वो हमारे लिए हमारे जीवन में बहुत ख़ास हैं।
आइए आज हम इस लेख में इस दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बतायेंगें –
Historical Facts About Valentine Day
सदियों पहले लोग प्रजनन क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिए जानवरों की बलि देकर वैलेंटाइन डे को मनाते थे। 1300 के दशक तक ऐसा नहीं था कि इसे प्यार से जुड़े हुए दिन के रूप में मनाया जाता था। उस समय इसका दूर-दूर तक प्यार से कोई सम्बन्ध भी नहीं था।
सेंट वैलेंटाइन
हममें से अधिकतर को यह मालूम है कि वेलेंटाइन डे का नाम संत, सेंट वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया था – लेकिन वास्तव में इसे लेकर कुछ भ्रम है कि सेंट वेलेंटाइन कैसे इस दिन से जुड़ गए। विभिन्न इंटरनेट माध्यमों के अनुसार, वैलेंटाइन नाम के कम से कम दो व्यक्ति हैं जिन्होंने छुट्टियों को प्रेरित किया।
इनमें एक वैलेंटाइन जोकि तीसरी शताब्दी के दौरान रोम में एक पुजारी थे। कई इतिहासकार मानते हैं कि इस वैलेंटाइन ने सम्राट क्लॉडियस द्वितीय के द्वारा विवाह पर लगाए गए प्रतिबंध को मानने से मना कर दिया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार पता चलता है कि रोम में ईसाइयों को जेल से भागने में मदद करने के प्रयास के लिए वेलेंटाइन को मार दिया गया था, और उसने वास्तव में जेल में अपना पहला “वेलेंटाइन” पत्र खुद भेजा था, जिसमें “आपके वेलेंटाइन से” हस्ताक्षरित एक पत्र लिखा था।
वैलेंटाइन डे की जड़ें एक अत्यंत प्राचीन मूर्तिपूजा के त्योहार से जुड़ी हैं।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि वैलेंटाइन डे (14 फरवरी) को सेंट वैलेंटाइन की मृत्यु की याद में मनाया जाता है परन्तु कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि इस छुट्टी की उत्पत्ति वास्तव में “लुपरकेलिया” नामक प्रजनन उत्सव से हुई है, जो प्राचीन रोम में 15 फरवरी को मनाया जाता था।
कृषि के रोमन देवता फौनस और रोमन संस्थापक रोमुलस और रेमस को समर्पित, इस दिन जानवरों की बलि देकर और महिलाओं को जानवरों की खाल से मारकर मनाया जाता था।
1300 के दशक में इसे औपचारिक रूप से प्यार के दिन के रूप में मान्यता दी गई।
पाँचवीं शताब्दी के अंत में रोमन पोप गेलैसियस ने 14 फरवरी को “सेंट वेलेंटाइन डे” घोषित किया। लेकिन मध्य युग तक यह दिन रोमांस और प्यार से जुड़ा नहीं था। इस प्रथा को फ्रांस और इंग्लैंड में इस धारणा के साथ शुरू किया गया कि 14 फरवरी को पक्षियों के आपसी मिलन के मौसम की शुरुआत होती है।
क्यूपिड और ग्रीक पौराणिक कथायें
क्यूपिड, वह आकर्षक चित्र है जो वैलेंटाइन डे के कार्डों पर दिखाई देता है, जिसे अक्सर धनुष और तीर के साथ बनाया जाता है। लेकिन क्यूपिड वैलेंटाइन डे का एक सामान्य प्रतीक कैसे बन गया, यह अधिकतर लोगो को मालूम नहीं है। इतिहासकारों की मानें तो यह आकृति वास्तव में लगभग 700 ईसा पूर्व की है।
यह इरोस नाम के प्रेम के यूनानी देवता से जुड़ी है, जो वास्तव में एक सुंदर और अमर व्यक्ति था जिसके पास लोगों को प्यार में फंसाने की अद्भुत और डरावनी शक्ति थी। रोमनों ने इरोस को धनुष और तीर के साथ एक प्यारे छोटे लड़के के चित्र के रूप में अपनाया और उसका नाम “क्यूपिड” रखा।
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पहला वैलेंटाइन सन्देश
इतिहासकारों के अनुसार पहला वैलेंटाइन सन्देश 15वीं सदी में भेजा गया था। वैलेंटाइन सन्देश भेजने का सबसे पुराना रिकॉर्ड 1415 में चार्ल्स नाम के एक फ्रांसीसी मध्ययुगीन ड्यूक द्वारा अपनी पत्नी को लिखी गई एक कविता थी।
उसने जो कविता लिखीं थी उस कविता की पंक्तियों में से एक पंक्ति कुछ इस प्रकार थी ” मैं पहले से ही प्यार से तंग आ चुका हूं, मेरे बहुत ही प्यारे और सौम्य वैलेंटाइन।”
1840 के दशक तक हम वैलेंटाइन डे कार्ड का व्यापक उत्पादन
17वीं शताब्दी के दौरान लोगों ने प्रेमियों और दोस्तों दोनों को कार्ड और अपनी भावनाओं को लेटर पर लिख कर एक-दूसरे को देना शुरू कर दिया था, लेकिन 1840 के दशक में अमेरिका में पहले वेलेंटाइन डे कार्ड का बहुत ही बड़े पैमाने पर उत्पादन किया गया और इसे एस्थर ए हावलैंड द्वारा बेचा गया।
वैलेंटाइन डे पर फूल देने की परंपरा
वैलेंटाइन डे पर फूल देने की परंपरा की शुरुआत 17वीं शताब्दी से मानी जाती है। लाल गुलाब देना आज के समय में एक बेहतरीन रोमांटिक तरीका हो सकता है, लेकिन 17वीं शताब्दी के अंत तक फूल देना इतना लोकप्रिय नहीं था।
वास्तव में, इस प्रथा का पता तब लगा जब स्वीडन के राजा चार्ल्स द्वितीय ने फारस की यात्रा पर “फूलों की भाषा” सीखी – जिसमे फूलों को अलग-अलग अर्थों के साथ लोगों को फूल दिया जाता था। बाद में यह परंपरा यूरोप में प्रचलन में आयी।
फूल देने का चलन विक्टोरियन युग के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ और लोग एक-दूसरे को विभिन्न अवसरों पर फूल देने लगे।
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हर साल वैलेंटाइन डे के अवसर पर लगभग 250 मिलियन गुलाब उगाए जाते हैं।
जब 14 फरवरी का समय आता है तो चारों ओर पर्याप्त मात्रा में ताजे गुलाब दिखते हैं। अच्छे फूल उपलब्ध कराने में इक्वाडोर, केन्या और कोलंबिया सहित कई देश प्रमुख हैं। वे गुलाबों को अमेरिका और विश्व के अलग-अलग देशों में भेजते हैं। 14 फरवरी के समय फूलों का अच्छा कारोबार होता है और यह दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है।
वेलेंटाइन डे पर दिए गए फूल का रंग
वेलेंटाइन डे पर दिए गए फूल का रंग मायने रखता है। लाल गुलाब पारंपरिक रूप से प्यार का प्रतीक है। गहरा गुलाबी रंग ख़ुशी का, बैंगनी रंग रॉयल्टी का और सफेद रंग का गुलाब सहानुभूति का प्रतीक हैं। इनमें से किसी भी रंग के गुलाब दिए जा सकते हैं।
अमेरिकियों का वेलेंटाइन डे पर खर्च
आज अमेरिकी वेलेंटाइन डे पर बहुत खर्च करते हैं। नेशनल रिटेल फाउंडेशन के अनुसार, अमेरिकियों ने सिर्फ वर्ष 2023 में वेलेंटाइन डे पर दिए जाने वाले उपहारों पर लगभग $26 बिलियन खर्च किए। जबकि लोगों से वेलेंटाइन डे पर औसतन लगभग $193 खर्च करने की उम्मीद की गई थी।
वैलेंटाइन डे कार्ड भेजने का रिकॉर्ड
आज के युग में अमेरिकी हर साल लगभग 145 मिलियन वैलेंटाइन डे कार्ड भेजते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 14 फरवरी को लगभग 145 मिलियन वैलेंटाइन डे कार्डों का आदान-प्रदान होता है।
वर्तमान में वैलेंटाइन डे को क्रिसमस के बाद ग्रीटिंग कार्ड के आदान-प्रदान के लिए दूसरा सबसे बड़ा दिन बताया गया है।
पालतू जानवरों के लिए भी उपहार
पालतू जानवरों को भी प्यार की ज़रूरत होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 27.6 मिलियन अमेरिकी परिवारों ने वर्ष 2020 में अपने पालतू कुत्तों को वेलेंटाइन डे पर गिफ्ट्स दिए और 17.1 मिलियन से अधिक ने अपनी बिल्लियों के लिए उपहार खरीदे।
हम यह कह सकते हैं कि वेस्टर्न देशों में वैलेंटाइन डे सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी मनाया जाता है। इससे ये पता चलता है कि प्यार हम सभी के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
चॉकलेट के पहले दिल का आकार का डिब्बा
चॉकलेट के पहले दिल का आकार का डिब्बा वर्ष 1861 में पेश किया गया था। इसे कैडबरी के संस्थापक जॉन कैडबरी के बेटे रिचर्ड कैडबरी ने बनाया था। उन्होंने बिक्री बढ़ाने के लिए दिल के आकार वाले फैंसी डिब्बों में चॉकलेट की पैकेजिंग शुरू की थी।
उन्होंने 1861 में वी-डे के लिए चॉकलेट का पहला दिल के आकार का डिब्बा पेश किया और आज, हर साल 36 मिलियन से अधिक दिल के आकार के चॉकलेट के डिब्बे बेचे जाते हैं।
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दुनिया भर में अलग-अलग तरीके से मनाया जाना
कई लैटिन अमेरिकी देश इस दिन को प्रेमियों के दिन या प्यार और दोस्ती के दिन के रूप में भी मनाते हैं। हालाँकि इस दिन कपल्स या लोग फूल और चॉकलेट एकदूसरे को देते हैं, लेकिन कुछ लोग इस दिन अपनी प्रेम सम्बन्धी भावनाओं को भी वयक्त करते हैं।
लवबर्ड पक्षी के बारे में
लवबर्ड एक प्रकार का वास्तविक पक्षी हैं। “लवबर्ड्स” शब्द बहुत ही लोकप्रिय हो गया है, मूल रूप से यह एगापोर्निस पक्षियों का सामान्य नाम भी है।
यह पक्षी एक प्रकार का तोता है जो अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह तोता आमतौर पर जोड़े में ही यात्रा करता है इसीलिए कपल्स को लवबर्ड कहा जाता है।
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अपने प्रियजनों को यह बताने के लिए कि हम उनकी कितनी परवाह करते हैं, अपने प्रियजनों को मिठाइयाँ, फूल और कार्ड जैसे उपहारों को देना आजकल बहुत ही सामान्य बात हो गई है। आज के युवा भी इसको पसंद करते हैं।
वैलेंटाइन डे को एक सही और पॉजिटिव सोच के साथ मनाना चाहिए। यह प्रेम की अभिव्यक्ति का त्यौहार है। इसको लेकर किसी से जबरदस्ती करने का मतलब है कि हमने वास्तविक प्रेम को जाना ही नही। इसलिए इस दिन को एक पॉजिटिव माइंडसेट से मनाना चाहिए।
यह लेख लेखक के खुद के विचार हैं। किसी भी प्रकार की आपत्ति होने पर हमें contact us पेज से संपर्क करें।
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Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: क्या आपको पता है कि अंटार्कटिका जिसे आमतौर पर बर्फ की भूमि के नाम से जाना जाता है वह वास्तव में एक विशाल रेगिस्तान है।
जी हां, आपने सही सुना अंटार्कटिका दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जिसमें कई अद्भुत और अनोखे तथ्य छुपे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान, अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य
1.दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान
अंटार्कटिका रेगिस्तान को आमतौर पर बर्फ की वजह से केवल एक बर्फीला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन असल में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। रेगिस्तान की परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां बहुत कम बारिश होती है।
अंटार्कटिका में साल भर में केवल 200 मिमी से भी कम बारिश होती है, जिससे यह धरती का सबसे सूखा स्थान बन जाता है।
2.सबसे ठंडा स्थान
अंटार्कटिका रेगिस्तान धरती का सबसे ठंडा स्थान है। यहां अब तक का सबसे कम तापमान माइनस 128.6 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, जो 21 जुलाई 1983 को वॉस्टोक स्टेशन पर मापा गया था।
इतनी कड़कड़ाती ठंड में जीवन का अस्तित्व मुश्किल हो जाता है, फिर भी कुछ विशेष जीव-जंतु और वनस्पतियाँ यहां जीवित रह पाती हैं।
3.अनोखी झीलें
अंटार्कटिका में कई अनोखी झीलें हैं, जो बर्फ के नीचे छिपी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक वॉस्टोक झील है, जो लगभग 4 किलोमीटर बर्फ की परत के नीचे स्थित है।
यह झील हजारों सालों से अलग-थलग है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अनोखे और प्राचीन जीवों का अस्तित्व हो सकता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाए जाते।
4.सक्रिय ज्वालामुखी
अंटार्कटिका बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन यहां पर सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी माउंट एरेबस है, जो दुनिया का सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। माउंट एरेबस में एक लावा झील भी है, जो इसको और भी रोमांचक बनाती है।
5.अद्वितीय जीव-जंतु
अंटार्कटिका रेगिस्तान में कई अद्वितीय जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है अडेली पेंगुइन, जो ठंड और बर्फीली हवाओं में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, वाडेल सील और अंटार्कटिक क्रिल भी यहां के महत्वपूर्ण जीव हैं, जो समुद्री जीवन का हिस्सा हैं।
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7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: जानिए नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। आपको बता दे देवी कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप में पूजनीय है। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने यह रूप अपने परम भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था।
मां दुर्गा का छठा अवतार मानी जाने वाली माता कात्यायनी अत्यंत दिव्य और बलशाली मानी जाती है। आज हम आपको नवदुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी के बारे में सात रोचक तथ्य बताएंगे, जो आपको माता कात्यायनी के महिमा से परिचित कराएंगे।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1.माता कात्यायनी की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप में पूजी जाती हैं। कहां जाता है माता कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के तप से हुआ था।
ऋषि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था तब देवी ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। कहा जाता है की देवी का नाम ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने से उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
2.माता कात्यायनी का रूप
माता कात्यायनी चारभुजा वाली देवी है जिनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। उनकी चार भुजाएं हैं जो शक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती हैं। इन चारभुजा में माता कात्यायनी तलवार, कमल, अभयमुद्रा और वरमुद्रा को धारण करती हैं।
देवी कात्यायनी द्वारा उनके चारों भुजाओं में धारण किए गए वस्तुओं का महत्व कुछ इस प्रकार से है-
तलवार- मां कात्यायनी की एक भुजा में तलवार होती है जो बुराई और अधर्म को नाश करने वाली है। तलवार देवी कात्यायनी के शक्ति और साहस का प्रतीक है।
कमल- माता कात्यायनी अपनी दूसरी भुजा में कमल धारण करती है जो उनकी कोमलता और दिव्यता को दर्शाता है और यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
अभयमुद्रा- देवी कात्यायनी की तीसरी भुजा में अभय मुद्रा होती है जिससे मां कात्यानी अपने भक्तों को हर प्रकार के डर और संकट से मुक्त करती हैं। अभय मुद्रा सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना जाता है।
वरमुद्रा- चौथी भुजा में माता कात्यायनी वर मुद्रा को धारण करती हैं जिससे वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है और ये मां की दयालुता और करुणा का प्रतीक है।
3.महिषासुर मर्दिनी
देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी ने महिषासुर राक्षस का वध करके देवताओं को संकट से मुक्त किया था इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
4.नवदुर्गा का छठा अवतार।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का छठा अवतार माना जाता है और नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है जिसका नवरात्रि के दिनों में बहुत ही विशेष महत्व होता है।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का अत्यंत दिव्य और बलशाली रूप माना जाता है जो नवदुर्गा के नौ रूपों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5.ऋषि कन्या
देवी कात्यानी को ऋषि कन्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ऋषि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है की मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को योग्यवर मिलता है इसलिए नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
6.वेदों और शास्त्रों में उल्लेख।
माना जाता है की देवी कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे वेदों और पुराणों में किया गया है। मान्यताओं के अनुसार मार्कंडेय पुराण के देवी के महात्म्य खंड में देवी कात्यानी द्वारा दुष्ट राक्षसों का वध करने का वर्णन सामने आता है।
7.मंत्र और पूजा।
देवी कात्यायनी नवदुर्गा के साहस और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दिनों में बहुत विशेष महत्व रखता है।
भक्तगण यदि नवरात्रि के छठे दिन में माता कात्यायनी के बलशाली मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करते हैं तो उन्हें माता कात्यायनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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