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High BP Effect On Eyes: जानिये हाई बीपी से बच्चो की आंखों पर क्या असर पड़ता हैं?

High BP Effect On Eyes: जानिये हाई बीपी से बच्चो की आंखों पर क्या असर पड़ता हैं?

High BP Effect On Eyes

High BP Effect On Eyes: जब हम हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में बुजुर्गों या वयस्कों की छवि आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के समय में बच्चे भी हाई बीपी से प्रभावित हो रहे हैं? और इसका सबसे ज्यादा असर उनकी आंखों पर हो सकता है। यह स्थिति धीरे-धीरे उनकी दृष्टि यानी विजन को नुकसान (High BP Effect) पहुंचा सकती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि बच्चों में हाई बीपी क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं, और यह उनकी आंखों को कैसे प्रभावित करता है।

High bp effect on eyes

बच्चों में हाई बीपी के कारण

बच्चों में हाई बीपी के कई कारण हो सकते हैं:

  1. जेनेटिक कारण: यदि माता-पिता को हाई बीपी है, तो बच्चों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

  2. मोटापा (Obesity): आजकल की जीवनशैली और फास्ट फूड की वजह से बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं।

  3. फिजिकल एक्टिविटी की कमी: बच्चे ज़्यादातर समय स्क्रीन पर बिताते हैं जिससे उनका शरीर कम एक्टिव रहता है।

  4. किडनी की समस्याएं: कुछ मामलों में किडनी की बीमारी भी बीपी बढ़ाने का कारण बनती है।

  5. हार्मोनल डिसऑर्डर: हार्मोन से जुड़ी कुछ समस्याएं भी ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती हैं।

High BP Effect On Eyes: हाई बीपी का बच्चों की आंखों पर असर

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का सीधा असर (High BP Effect) उनकी आंखों की नाजुक रक्त नलिकाओं (retinal blood vessels) पर पड़ता है। इसे मेडिकल भाषा में Hypertensive Retinopathy कहा जाता है। आइए इसके प्रभावों को विस्तार से समझें:

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1. रेटिना पर असर (Retinal Damage):

रेटिना आंख का वह हिस्सा है जो देखने के लिए जिम्मेदार होता है। हाई बीपी से रेटिना की रक्त वाहिकाएं संकुचित या क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे विजन कमजोर होता है।

2. दृष्टि धुंधली होना (Blurred Vision):

अगर बीपी लंबे समय तक हाई बना रहता है, तो बच्चों की देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। चीज़ें धुंधली दिखाई देने लगती हैं।

3. आंखों में सूजन (Swelling of Optic Nerve):

हाई बीपी से ऑप्टिक नर्व (जो आंख से दिमाग तक सिग्नल भेजती है) में सूजन आ सकती है। यह स्थिति खतरनाक होती है और स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकती है।

4. रेटिनल ब्लीडिंग (Retinal Hemorrhage):

ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर रेटिना की नलिकाएं फट सकती हैं, जिससे आंखों में खून बह सकता है। यह इमरजेंसी स्थिति होती है।

5. पर्मानेंट विजन लॉस का खतरा:

अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो बच्चों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।

बच्चों में हाई बीपी और आंखों से जुड़े लक्षण

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कुछ ऐसे संकेत हैं जिन्हें देखकर माता-पिता सतर्क हो सकते हैं:

  • सिरदर्द की बार-बार शिकायत

  • आंखों में जलन या थकान

  • धुंधला दिखना या आंखों के सामने धब्बे आना

  • आंखों की पुतली में असामान्य बदलाव

  • आंखों के नीचे सूजन

  • पढ़ते या टीवी देखते समय आंखें मिचमिचाना

निदान:

अगर बच्चे में ऊपर दिए गए लक्षण नजर आ रहे हैं, तो इन स्टेप्स से जांच करवाई जा सकती है:

  1. बीपी मॉनिटरिंग: बच्चे का ब्लड प्रेशर रेगुलर चेक करें।

  2. आई टेस्ट: आंखों का पूरा चेकअप, खासकर रेटिना की जांच।

  3. ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट: यह पता लगाने के लिए कि बीपी का कारण क्या है।

  4. किडनी फंक्शन टेस्ट: कई बार किडनी से जुड़ी समस्या हाई बीपी की वजह होती है।

रोकथाम और उपचार

बच्चों में हाई बीपी को समय पर पहचानकर उसकी सही देखभाल की जाए तो आंखों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

रोकथाम:

  • बच्चों की डाइट हेल्दी रखें – नमक और जंक फूड कम दें

  • रोज़ाना कम से कम 1 घंटा फिजिकल एक्टिविटी करवाएं

  • स्क्रीन टाइम सीमित करें

  • रेगुलर बीपी और आई चेकअप कराते रहें

उपचार:

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई ब्लड प्रेशर की दवाएं

  • आंखों की देखभाल के लिए आई ड्रॉप्स या थेरेपी

  • किसी गंभीर स्थिति में ऑपरेशन की भी जरूरत हो सकती है

डॉक्टरों का मानना है कि आजकल के बच्चों में बढ़ता मोटापा और स्क्रीन पर अधिक समय बिताना हाई बीपी की बड़ी वजह बनता जा रहा है। ऐसे में माता-पिता को सजग रहना चाहिए और बच्चों की सेहत पर खास ध्यान देना चाहिए। खासकर आंखों से जुड़ी कोई भी शिकायत को हल्के में न लें।

हाई ब्लड प्रेशर अब सिर्फ वयस्कों की बीमारी नहीं रह गई है। यह बच्चों को भी प्रभावित कर रहा है और खासकर उनकी आंखों पर बुरा असर (High BP Effect) डाल सकता है। अगर समय रहते इसे पहचाना और कंट्रोल किया जाए, तो बच्चों की दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल और रेगुलर मेडिकल चेकअप ही इसका सबसे बड़ा इलाज है।

Images: Freepik

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