Hariyali Teej 2025 Date and Significance- हरियाली तीज, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, विशेषकर उत्तर भारत में इसे बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के अटूट प्रेम और पुनर्मिलन का प्रतीक है।
प्रकृति की हरियाली के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
Hariyali Teej 2025 Date and Significance- जानें हरियाली तीज 2025 से जुड़ी सही जानकारी
2025 में कब है हरियाली तीज ?
हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। Hariyali Teej 2025 में 27 जुलाई, 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। सावन में चारों ओर हरियाली छाई रहती है, इसलिए इसे हरियाली तीज कहा जाता है। यह मानसून के आगमन का भी संकेत देता है, जब प्रकृति अपनी सुंदरता बिखेरती है।
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है ?
हरियाली तीज मनाने के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं और सांस्कृतिक कारण हैं:
भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन: यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन की खुशी में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तपस्या की थी।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह दिन वही शुभ दिन माना जाता है जब भगवान शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
अखंड सौभाग्य का प्रतीक: यह त्योहार सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।
प्रकृति का उत्सव: श्रावण मास में चारों ओर हरियाली होती है, बारिश की फुहारें प्रकृति को नया जीवन देती हैं। Hariyali Teej इसी प्राकृतिक सौंदर्य का उत्सव है, जहां महिलाएं झूले झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और प्रकृति के साथ एकाकार होती हैं।
पारिवारिक बंधन: यह त्योहार परिवारों को एक साथ लाने का भी अवसर होता है, जहां महिलाएं अपने मायके जाती हैं और अपने परिवार के साथ समय बिताती हैं।
हरियाली तीज की पूजा कैसे करें !
- सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- शुद्ध जल से अभिषेक करें और चंदन, फूल, बेलपत्र, धूप-दीप से पूजा करें।
- श्रृंगार सामग्री चढ़ाई जाती है, जिसे ‘सोलह श्रृंगार’ कहा जाता है।
- महिलाएं हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, मेंहदी और गहनों से सजती हैं।
- कथा सुनना आवश्यक होता है, इसके बाद व्रत पूरा होता है।
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हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?
हरियाली तीज का उत्सव कई परंपराओं और रीति-रिवाजों से भरा होता है:
निराहार व्रत: इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी बिना कुछ खाए-पिए उपवास करती हैं। यह व्रत पति के प्रति उनके प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
सोलह श्रृंगार: महिलाएं इस दिन विशेष रूप से तैयार होती हैं। वे हरे रंग की साड़ी या सूट पहनती हैं, जो हरियाली और नवजीवन का प्रतीक है। हाथों में मेहंदी रचाई जाती है, चूड़ियां पहनी जाती हैं और पूरा सोलह श्रृंगार किया जाता है। नवविवाहिताएं अपने मायके से आए हुए “सिंजारे” (श्रृंगार का सामान, मिठाई और कपड़े) को पहनती हैं।
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पूजा-अर्चना: हरियाली तीज पर भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों को सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाती हैं। वे उन्हें फल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी, नारियल आदि अर्पित करती हैं। आरती की जाती है और व्रत कथा सुनी जाती है।
झूला झूलना: Hariyali Teej का एक सबसे मनभावन पहलू झूला झूलना है। पेड़ों पर झूले डाले जाते हैं और महिलाएं लोकगीत गाते हुए झूलों का आनंद लेती हैं। यह बचपन की यादों को ताज़ा करता है और उत्सव में चार चाँद लगा देता है।
संगीत और नृत्य: महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और नृत्य करती हैं, खासकर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में घेवर, मालपुए और अन्य पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं और खाई जाती हैं।
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मायके से सिंजारा आना: नवविवाहिता लड़कियों को उनके मायके से ‘सिंजारा’ भेजा जाता है। इसमें हरी चूड़ियां, वस्त्र, मेहंदी, घेवर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं शामिल होती हैं। यह मायके और ससुराल के बीच के संबंधों को मजबूत करता है।
हरियाली तीज से जुड़ी कुछ प्रसिद्ध मान्यताएं
हरियाली तीज से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। आइये उनके बारे में जानते हैं –
- यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनके पति को लंबी उम्र मिलती है।
- कुंवारी कन्याएं यदि यह व्रत पूरी श्रद्धा से रखती हैं, तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है।
- इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने और हरी चूड़ियां पहनने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह शुभ माना जाता है और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाता है।
- झूला झूलना नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर मन में सकारात्मकता भरता है।
क्या है हरियाली तीज की कथा
Hariyali Teej की सबसे प्रचलित कथा देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद, उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। बचपन से ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प ले लिया था।
उन्होंने शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या शुरू की। देवी पार्वती ने सैकड़ों वर्षों तक अन्न-जल का त्याग कर दिया और केवल सूखे पत्ते खाकर तपस्या की। उनकी इस कठोर तपस्या से उनका शरीर दुर्बल हो गया, लेकिन उनका संकल्प अटल रहा।
उनकी तपस्या से तीनों लोक में हाहाकार मच गया। देवताओं ने भी उनकी दृढ़ता को देखा और चिंतित हुए। अंततः, भगवान शिव ने देवी पार्वती की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। वे एक ब्राह्मण का वेश धारण कर पार्वती के पास पहुंचे और उनसे उनकी तपस्या का कारण पूछा।
जब पार्वती ने बताया कि वह शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती हैं, तो ब्राह्मण रूपी शिव ने उनकी खूब निंदा की और उन्हें एक ऐसे पति को पाने के लिए तपस्या करने पर फटकारा जो भस्म रमाए रहता है, सांपों को गले में डालता है और श्मशान में रहता है।
उन्होंने पार्वती को शिव के बजाय किसी और योग्य वर को चुनने की सलाह दी। लेकिन देवी पार्वती अपने निर्णय पर अडिग रहीं। उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि वे भगवान शिव के प्रति अपने प्रेम को कभी नहीं छोड़ेंगी, चाहे जो भी हो।
उनकी इस अटल श्रद्धा और प्रेम को देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए। भगवान शिव ने देवी पार्वती को वचन दिया कि वे उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं। जिस दिन यह घटना घटित हुई थी, वह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी।
तभी से इस दिन को Hariyali Teej के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के अटूट प्रेम, त्याग और मिलन का प्रतीक है। यह कथा महिलाओं को यह सिखाती है कि सच्ची निष्ठा और अटूट विश्वास से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।
हरियाली तीज का है सामाजिक पक्ष
हरियाली तीज केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए सामाजिक मेल-जोल का अवसर भी होता है। यह उत्सव उन्हें पारिवारिक और सामाजिक जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।
यह पर्व महिलाओं को अपने जीवनसाथी के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने का अवसर देता है। हरियाली तीज नारी शक्ति, प्रेम, श्रद्धा और प्रकृति के सौंदर्य का उत्सव है। यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।
इस प्रकार, Hariyali Teej केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, प्रेम, प्रकृति और नारी शक्ति का संगम है। यह भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं और आध्यात्मिक गहराइयों का एक सुंदर चित्रण प्रस्तुत करता है।
इमेज क्रेडिट: Freepik
भगवान शिव के अलौकिक मंदिर जो अद्भुत होने के साथ ही बेहद रहस्यमयी भी हैं !
ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।