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GPS Spoofing by Israel Increases- इजराइल के जीपीएस अटैक से प्लेन क्रैश होने का खतरा, जानें क्या है जीपीएस स्पूफ़िंग

GPS Spoofing by Israel Increases- इजराइल के जीपीएस अटैक से प्लेन क्रैश होने का खतरा, जानें क्या है जीपीएस स्पूफ़िंग

GPS Spoofing by Israel Increases

GPS Spoofing by Israel Increases- इजरायल एशिया के अनेक देशों के साथ साथ भारत पर भी नजर रखने के लिए लगातार अपनी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है। इसके लिए वह जिस टेक्नीक का इस्तेमाल कर रहा है, वह है जीपीएस स्पूफिंग।

इसकी मदद से एयरप्लेन के आने जाने की हर एक्टिविटी के साथ साथ नेविगेशन सिस्टम पर भी नजर रखी जा सकती है।

GPS Spoofing by Israel Increases- इजराइल के जीपीएस अटैक से प्लेन क्रैश होने का खतरा

Gps spoofing by israel increases
जीपीएस स्पूफिंग

क्या है GPS Spoofing

जीपीएस स्पूफिंग एयरपोर्ट और प्लेन के बीच के कम्युनिकेशन को डिस्टर्ब करने का काम करता है। इसकी मदद से फर्जी सिग्नल भेजे जाते हैं। जिसकी वजह से फ्लाइट के लेट होने या लैंडिंग में प्रॉब्लम आती है।

जब किसी प्लेन को लोकेशन, सर्विलांस के साथ साथ नेविगेशन के लिए सिग्नल्स की जरूरत होती है तो वह अलग अलग एयरपोर्ट अथॉरिटी से मदद लेती है। लेकिन GPS Spoofing के कारण कई बार प्लेन को नकली सिग्नल भेज दिया जाता है।

इससे प्लेन के रास्ता भटकने के साथ ही लैंडिंग के समय क्रैश होने की संभावना भी बढ़ जाती है। चूंकि किसी भी प्लेन के लिए नेविगेशन सिग्नल्स बेहद जरूरी होते हैं। इसलिए GPS Spoofing से खतरा और भी बढ़ जाता है।

लंबे समय से हो रही है जीपीएस स्पूफिंग

जबसे इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू हुआ है, तभी से GPS Spoofing की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। भारत, पाकिस्तान के बॉर्डर सहित नई दिल्ली, चंडीगढ़ और कई प्रमुख हवाई अड्डों के पास जीपीएस स्पूफिंग के कई मामले एयरपोर्ट अथॉरिटी ने रिकॉर्ड किए हैं।

GPS Spoofing की वजह से सिर्फ 2024 में ही 300 से ज्यादा विमानों को डायवर्ट करने के साथ देरी से लैंडिंग भी कराया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार GPS Spoofing की घटना में वर्ष 2024 में काफी तेजी देखी गई है।

सबसे प्रभावित क्षेत्र

वैसे तो हर देश की खुफिया एजेंसी इस तरह की एक्टिविटी को अपनाती है। लेकिन पिछले एक दो सालों के रिकॉर्ड की बात की जाय तो इजराइल ने भारत, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान से जुड़े क्षेत्रों में GPS Spoofing की कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है।


जीपीएस स्पूफिंग में प्लेन को गलत सिग्नल्स भेजा जाता है जिसकी वजह से वह या तो सही से लैंडिंग नहीं कर पाता या सही एयरपोर्ट की तरफ नहीं जा पाता।

मिसाइल और ड्रोन पर रखी जाती है नजर

युद्ध के दौरान GPS Spoofing की मदद से नेविगेशन सिस्टम की मदद से चलने वाली मिसाइलों, ड्रोन के साथ रॉकेट पर नजर रखी जाती है। यदि मिसाइलों को गलत सिग्नल भेजा जाय तो वह सटीक निशाना नहीं लगा पाएंगी। इजरायल इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।

एयरप्लेन को कर सकते हैं ट्रैक

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प्रतीकात्मक चित्र

जीपीएस स्पूफिंग की मदद से किसी भी प्लेन के नेविगेशन सिस्टम को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे प्लेन में मौजूद पायलट को यह पता नहीं चल सकता कि वह किस देश के ऊपर उड़ान भर रहा है या किस देश के एयरपोर्ट पर लैंड कर चुका है।

गलत और फर्जी सिग्नल की वजह से पायलट को प्लेन की रियल टाइम जानकारी नहीं मिल पाती। इससे एक्सीडेंट का खतरा भी बना रहता है।

भारत पर कैसे पड़ रहा है असर

चूंकि विदेशों से भारत में टूरिस्टों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साथ ही पहले की तुलना में अब लोग प्लेन का ज्यादा इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इसीलिए जीपीएस स्पूफिंग जैसी टेक्नालॉजी की मदद से कई देश भारत सहित एशिया के अन्य देशों पर नजर रखने का काम कर रहे हैं।

इससे नेविगेशन बेस्ड उपकरणों के इस्तेमाल की जानकारी आसानी से मिल जाती है। GPS Spoofing से सबसे बड़ा खतरा एयरप्लेन को है। एक प्लेन के नेविगेशन सिस्टम के फेल होने से प्लेन में मौजूद सैकड़ों लोगों की ज़िंदगियां खतरे में पड़ जाती हैं।

Gps spoofing by israel increases

एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में कई एशियन कंट्री के ऊपर जीपीएस स्पूफिंग की जा चुकी है। GPS Spoofing को रोकने के लिए भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घटना का पता चलते ही तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है।

इसके अलावा एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ साथ एटीसी को भी सिग्नल मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। नेविगेशन को मजबूत करने की दिशा में DRDO भी काम कर रही है। इजरायल के साथ भी सुरक्षा को लेकर हाई लेवल पर मीटिंग की जा रही है।


इमेज सोर्स: Twitter

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