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Govardhan Puja 2024 Date in India: कब है गोवर्धन पूजा जानें क्यों मनाते हैं, गोवर्धन पूजा।

Govardhan Puja 2024 Date in India: कब है गोवर्धन पूजा जानें क्यों मनाते हैं, गोवर्धन पूजा।

Govardhan Puja 2024 Date in India

Govardhan Puja 2024 Date in India: हिंदू संस्कृति में गाय को पूजनीय माना जाता है। पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में दीवाली के बाद प्रतिपदा तिथि में गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण और गाय की पूजा करने की मान्यता है। शास्त्रों में इस दिन को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट के नाम से जाना जाता है।

Govardhan puja 2024 date in india

हिंदू धर्म में गाय को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। समुद्र मंथन से कामधेनु गाय निकली जो सभी मनोकामनाओं को पूरी करती है। आईए जानते हैं इस साल 2024 में गोवर्धन पूजा कब है, पूजा मुहूर्त ,पूजा विधि और गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है।

Govardhan Puja 2024 Date in India: गोवर्धन पूजा मुहूर्त 2024

  • साल 2024 में गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा।
  • प्रतिपदा तिथि आरंभ- 1 नवंबर सायंकाल 6:16 मिनिट पर।
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त-2 नवंबर रात्रि 8:21मिनिट पर।
  • गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त-प्रात: काल 6:07 से प्रातः काल 8:28 मिनिट तक।
  • गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त-सायंकाल 3: 30 मिनट से सायंकाल 5:55 मिनट तक।

गोवर्धन पूजा 2024- विधि।

Govardhan puja 2024 date in india

गोवर्धन पूजा 2024 के दिन प्रातः काल में स्नान के बाद पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बना ले। और इसे फूल पत्तियों व टहनियों से सजाकर इसके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा रखें और दीप प्रज्वलित करें सभी पूजन सामग्री भगवान को अर्पित करें।

पूजा में इस्तेमाल किया गया दूध, दही ,गंगाजल, शहद,बताशे का प्रसाद सभी को वितरण करें। अंत में गोवर्धन पर्वत के सात परिक्रमा लगाए।मान्यता है कि, इस दिन गोवर्धन पूजा से धन वृद्धि होती है।

गोवर्धन पूजा 2024 में क्या करें क्या ना करें !!

  • गोवर्धन पूजा के दिन गायों की पूजा करनी चाहिए और उन्हें गुड़ और रोटी खिलाना चाहिए।
  • इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से मनोकामना पूरी होती है।
  • गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट और कढ़ी चावल का भोग लगाना चाहिए।
  • अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण के लिए धनतेरस के दिन 56 भोग भी बनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा 2024-क्या ना करें !!

  • गोवर्धन पूजा पर कांटेदार पौधों जैसे कि बाबुल आदि का प्रयोग वर्जित है।
  • इस दिन क्रोध कटु वचन और वाद विवाद से बचना चाहिए ताकि दिन का सकारात्मक माहौल बना रहे
  • गोवर्धन पूजा पर खेती किसान के कार्य नहीं किए जाते हैं। विशेष रूप से पशुपालकों के लिए यह दिन अपने पशुओं को आराम देने और उनकी सेवा करने का होता है।
  • इस दिन अन्नकूट प्रसाद बनाते समय भोजन में नमक का अधिक प्रयोग नहीं किया जाता है।

Govardhan Puja 2024 Date-गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है ?

Govardhan puja 2024 date in india

यह पर्व दीवाली पर्व के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन गोधन यानी गाय की पूजा की जाती है। इसलिए गौशालाओं में भी इस पर्व को मनाया जाता है। मान्यता है कि गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा जाता है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से शुरू हुई।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। यह पर्व उत्तर भारत में खासकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ये भगवान श्री कृष्ण के लिए मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान कृष्ण से जुड़ा है।

इसकी शुरुआत भी द्वापर युग में हुई थी। लेकिन इससे पहले बृजवासी इंद्र की पूजा करते थे। तभी भगवान ने ये बताया कि आप लोग इंद्र की पूजा करते हैं इससे कोई लाभ नहीं होता है। इसलिए आपको गौधन को समर्पित गोवर्धन पर्वत पर जाकर गोवर्धन पूजा करनी है।

भगवान कृष्ण की बात मानकर लोगों ने इंद्र की पूजा करनी बंद कर दी और गोवर्धन पूजा करने लगे तभी इस बात से क्रोधित होकर इंद्र ने भारी बारिश की और लोगों को डराने का प्रयास करने लगे।

इंद्र ने भारी बारिश करके पूरे गोवर्धन पर्वत को जल मग्न कर दिया और लोग प्राण बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगे कृष्ण ने देखा तो वो इंद्र की मूर्खता पर मुस्कुराए और बृजवासियों को बचाने के लिए पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी एक उंगली पर उठा लिया।

भारी बारिश का प्रकोप लगातार 7 दिन तक चलता रहा और भगवान कृष्ण बृजवासियों को उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे छाता बनाकर बचाते रहे। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से बृजवासियों पर एक जल की बूंद भी नहीं पड़ी।

ब्रह्मा जी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया है। तुम उनसे लड़ रहे हो इस बात को जानकर इंद्रदेव को बहुत पछतावा हुआ और भगवान से क्षमा मांगी।

इस बात के खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण ने सभी बृजवासियों को सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर बृजवासियों से आज्ञा दी कि अब से हर साल गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाओ। तब से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा और अन्नकूट हर घर में मनाया जाता है।

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