Giant Ocean Found Inside The Earth: अगर आपसे पूछा जाए की धरती का सबसे बड़ा महासागर कौन सा है? अगर सरफेस एरिया की बात करें तो 16 करोड़ 50 लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैला Pacific Ocean यानी की प्रशांत महासागर धरती के 30% हिस्से को अकेले कवर करता है।
पृथ्वी की 70% से ज्यादा हिस्सा महासागरों से घिरा हुआ है। और धरती के समुद्र में 133 करोड़ 50 लाख क्यूबिक किलोमीटर से ज्यादा पानी मौजूद है लेकिन क्या आपको यकीन होगा कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसे महासागर की खोज की है।
जिसमें धरती की सतह पर मौजूद महासागरों से तीन गुना ज्यादा पानी हो सकता है। और यह कहीं और नहीं बल्कि खुद हमारे धरती के कोर के काफी करीब है। तो अब सवाल यह आता है कि आखिर हमें इस ओसियन के बारे में कैसे पता चला इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और क्या हम इस पानी को सतह पर ला सकते हैं।
Giant Ocean Found Inside The Earth: 700 किलोमीटर नीचे वैज्ञानिकों द्वारा विशाल महासागर की खोज की गई
हमें से बहुत से लोग यह सोचते हैं महासागर जो कि हमें पृथ्वी की सतह पर दिखाई देते हैं वह इतने गहरे होते हैं कि धरती की “core” तक जा सकते हैं। पर वास्तव में ऐसा नहीं है बल्कि धरती के महासागरों का सबसे गहरा पॉइंट है चैलेंजर डीप।
यह प्रशांत महासागर में मरियाना ट्रेंच के दक्षिणी भाग में मौजूद है और इसकी गहराई 10935 मीटर है यानी कि लगभग 11 किलोमीटर। शायद आपको भरोसा ना हो कि पृथ्वी के सभी महासागरों की गहराई सिर्फ और सिर्फ 3688 मीटर है।
अब अगर हम इस पृथ्वी के अलग-अलग संदर्भ में देखें तो इस महासागर पृथ्वी के केवल “crust” एरिया में ही फैला हुआ है जो कि हमारी धरती का सिर्फ 1 प्रतिशत खंड है।
हाल ही में आधुनिक विज्ञान के अनुसार हमारी पृथ्वी की सतह के नीचे पानी के एक विशाल भंडार का पता लगाया गया है, जो कि हमारे पृथ्वी के सभी महासागरों के आकार से तीन गुना अधिक बड़ा है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह जल का स्रोत 700 किलोमीटर नीचे गहराई में स्थित है। आपको बता दे यह खोज Evanston के नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी द्वारा की गई थी।
इस विशाल महासागर की उत्पत्ति कैसे हुई?
तो सवाल यह आता है कि आखिर ये पानी इतनी गहराई तक पहुंचा कैसे या फिर यह समुद्र कैसे बना? आपको तो पता ही होगा की धरती की सतह बहुत सारी टेक्टोनिक प्लेट से बनी हुई है। यह टेक्टोनिक प्लेट अपने से नीचे स्थित टैकटोनिक प्लेट्स को स्लाइड करती रहती है और इससे नई प्लेटो की उत्पत्ति होती रहती है।
इस प्रक्रिया को ‘Subduction’ कहा जाता है और महासागर की सतह के नीचे यह सबसे ज्यादा देखने को मिलता है जो की ‘volcanic eruption’ के कारण बनती है। और इस प्रक्रिया के दौरान कुछ ठोस बन जाते हैं जो समुद्र की पानी को नीचे की तरफ ले जाते हैं और यह पानी नीचे की ओर जाकर उसे विशालकाय महासागर को बना रहा है।
अब इससे हमें यह पता चलता है की धरती की ‘Hydrological Cycle’ जिसमें बारिश से होने से लेकर evaporation जैसी प्रक्रिया आती हैं। जो सिर्फ धरती की सतह तक सीमित नहीं है बल्कि उसका संबंध पृथ्वी की परतों से भी है।
आपको बता दे यह महासागर जिसकी हम बात कर रहे हैं यह धरती की सतह पर मौजूद महासागर की तरह तरल रूप में नहीं है बल्कि यह पानी पत्थरों के बीच छिद्र में क्रिस्टलाइज रूप में मौजूद है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब धरती की अंदरूनी परत में समंदर के होने की बात सामने आई हो बल्कि ‘Jules Verne’ जो की 19वीं शताब्दी के महान फ्रेंच नोवलिस्ट थे उन्होंने सबसे पहले धरती के अंदर महासागर होने की बात कही थी और 21वीं सदी आते-आते हमें इसके सबूत भी मिलने शुरू हो चुके हैं। अब यह महासागर कितना गहरा और पृथ्वी के किन-किन क्षेत्र में फैले हुए हैं यह तो हमें आगे की शोध से ही पता लगेगा।
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