Dhar Bhojshala ASI Survey Report: भारत एक सांस्कृतिक धरोहरों से संपन्न देश है। देश के सभी कोनों में प्राचीन मंदिर देखने को मिलते हैं। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। परन्तु विदेशी आक्रांताओं ने भारत के मंदिरों में रखे बहुमूल्य खजाने को चुराया भी और मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदों का निर्माण भी कराया।
प्राचीन समय के अवशेषों की खोज बीन करने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। इसी खोजबीन के दौरान एएसआई को मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला में एक मस्जिद के नीचे मंदिर बने होने के पुख्ता सबूत मिले हैं।
Dhar Bhojshala ASI Survey Report: धार भोजशाला में मिले मंदिर होने के सबूत
तीन महीने तक चला सर्वे
एएसआई ने भोजशाला में लगभग तीन महीनों से भी ज्यादा समय तक मस्जिद का सर्वे किया। इस सर्वे में पुरातत्व विभाग को मंदिर होने के कई साक्ष्य मिले हैं। इन सभी का जिक्र एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में किया है। दरअसल पुरातत्व विभाग अपने सर्वे में कई पहलुओं को जांचता है। सही जानकारी और सबूत मिलने पर ही उसे साक्ष्य के रूप में पेश किया जाता है। दरअसल एएसआई को सर्वे करने के लिए मध्य प्रदेश हाइकोर्ट की तरफ से आदेश मिले थे। उसके बाद ही भोजशाला में सर्वे और जांच की प्रक्रिया शुरू की गई।
क्या है भोजशाला परिसर विवाद
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को हिन्दू पक्ष वाग्देवी (सरस्वती जी) का मंदिर मानता है, वहीं मुस्लिम समुदाय यहाँ कमाल मौला मस्जिद के निर्माण की बात करता रहा है। इससे दोनों पक्षों के लोगो ने यहाँ अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार पूजा करनी चाही। जिसके चलते दोनों पक्षों में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी। (Dhar Bhojshala ASI Survey Report)
भोजशाला के सर्वे की ‘गवाही’!
ASI का सर्वे, सनातन के सबूत!
आक्रांताओं की ‘चोरी’ पकड़ी गई!#AarPaar #Bhojsala #ASI #MadhyaPradesh #SurveyReport @AMISHDEVGAN pic.twitter.com/fBAeQD0U0X— News18 India (@News18India) July 15, 2024
इस विवाद को समाप्त करने के लिए 23 साल पहले कोर्ट ने ही एक फैसला सुनाया था। जिसके अनुसार हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लोग सप्ताह में एक बार यहाँ पूजा कर सकते थे। हिंदू सिर्फ मंगलवार को पूजा-अर्चना कर सकते हैं जबकि मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं। अब एएसआई की रिपोर्ट मिलने के बाद कोर्ट अपना फैसला बदल भी सकती है।
#BreakingNews 🚨सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं भोजशाला मामले में इंदौर हाई कोर्ट ने एएसआई को सर्वे पूरा करने के लिए मोहलत दे दी है और मामले की सुनवाई 4 जुलाई को तय की है। एएसआई को 4 जुलाई से पहले रिपोर्ट सौंपनी है। @Vishnu_Jain1#Bhojsala #MadhyaPradesh… pic.twitter.com/X7q2Knvvrm
— News crowd (@Newscrowd2024) April 29, 2024
क्या है एएसआई की रिपोर्ट में
लगभग 90 दिनों से भी ज्यादा समय तक पुरातत्व विभाग की टीम ने भोजशाला में सर्वे किया। इस दौरान एएसआई की टीम को अनेक प्राचीन अवशेष मिले हैं जो किसी मंदिर में ही हो सकते हैं। एएसआई की टीम को भोजशाला से सर्वे के दौरान 1700 से ज्यादा छोटे बड़े प्राचीन अवशेष मिले हैं।
Dhar Bhojshala ASI Survey Report: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एएसआई की टीम को भोजशाला में पिलर के साथ ही 30 से भी ज्यादा मूर्तियाँ मिली हैं। इनमें अधिकतर मूर्तियों पर बनी आकृतियों को तोड़ा गया है, जिससे उनका इस्तेमाल मस्जिद की दीवार बनाने में किया जा सके।
आपको बता दें कि किसी भी ऐसे पत्थर को मस्जिद निर्माण में नहीं लाया जा सकता है जिसमें किसी देवी-देवता की या किसी मनुष्य की आकृति बनी हुई हो। इसीलिए जो भी अवशेष मिले हैं,उनमें अधिकांश टूटी हुई हैं। इन अवशेषों के अलावा पुरातत्व विभाग की टीम ने कार्बन डेटिंग और अन्य टेक्नोलॉजी की मदद लेकर विस्तार में लगभग 2000 पेज की रिपोर्ट तैयार की है।
कोर्ट ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से किया मना
इंदौर की हाई कोर्ट में एएसआई द्वारा रिपोर्ट को जमा करा दिया गया है। इस रिपोर्ट की एक एक कॉपी दोनों पक्षों को भी मिली है। रिपोर्ट की कॉपी देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जब तक कोर्ट कोई फ़ैसला नहीं देती है, तब तक किसी भी कीमत पर रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई भी पक्ष ऐसा करता है तो कोर्ट इसके लिए उस पक्ष को सजा भी दे सकता है।
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ब्लॉगिंग को पैशन की तरह फॉलो करने वाले आशीष की टेक्नोलॉजी, बिज़नेस, लाइफस्टाइल, ट्रैवेल और ट्रेंडिंग पोस्ट लिखने में काफी दिलचस्पी है।