Char Dham of Uttarakhand: भारत के उत्तराखंड राज्य में कई ऐसे आध्यात्मिक स्थल हैं, जिनकी यात्रा करके आपको सुकून का अनुभव हो सकता है। हिमालय के विभिन्न पर्वतों से घिरा हुआ उत्तराखंड एक खूबसूरत और मनोरम स्थान है। यहाँ आकर आपको एक नयी ऊर्जा और शांति का अनुभव होगा।
Char Dham of Uttarakhand: उत्तराखंड में स्थित चार धाम और कुछ तथ्य
यहाँ कुछ ऐसे मंदिर हैं जहाँ पर विदेशों से सैलानी और बड़े बड़े बिजनेसमैन भी दर्शन करने आते रहते हैं। उनमें विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम प्रमुख है। परन्तु आज हम उत्तराखंड के चार धाम के बारे में बता रहे हैं। इन चार धामों को छोटा चार धाम भी कहा जाता है। ये सभी स्थान हिन्दुओं के लिए बेहद पवित्र और दर्शनीय हैं।
हिमालय की विभिन्न पहाड़ियों में बसे इन मंदिरों के दर्शन करने से किसी भी इंसान का मन शांत और स्थिर होने लगता है। इन धामों में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं। ये धाम उत्तराखंड के पर्यटन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सभी मंदिरों के कपाट अप्रैल या मई में खोले जाते हैं जोकि हल्की ठंड के समय तक यानि अक्टूबर या नवंबर तक खुले रहते हैं।
इस बीच यहाँ पर लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु (सैलानी) दर्शन करने आते हैं और इन धामों के साथ-साथ उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता को नजदीक से देखते और अनुभव करते हैं।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार उत्तराखंड के इन चार धामों की अलग-अलग कथा और महत्व है। ये कथायें इन स्थलों को और भी पवित्र स्थान बना देती हैं। आइए उन सभी को एक-एक करके जानते हैं।
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यमुनोत्री
प्रसिद्ध यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में यमुनोत्री को जाना जाता है। यह इन चार धामों की यात्रा में पड़ने वाला पहला स्थान है। यहाँ पर भक्त देवी यमुना की पूजा और आराधना करते हैं। यह मंदिर बेहद ऊबड़-खाबड़ रास्तों और पहाड़ों के बीच में स्थित है।
यहाँ पर अनेक झरनें हैं जिनका पानी हमेशा उबलता रहता है और तीर्थयात्री इन झरनों में प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए चावल को पकाते हैं और उसका ही भोग लगते हैं। अपने प्राकृतिक गर्म झरनों के कारण यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
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गंगोत्री
विश्व प्रसिद्ध गंगा नदी के उद्गम स्थल के रूप में इस स्थान को पहचाना जाता है। गंगोत्री में ही गंगा नदी गौमुख ग्लेशियर से गिरती है। इस स्थान पर पानी के अंदर एक शिवलिंग भी हैं। इस शिवलिंग को जलमग्न शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है। इसके दर्शन सिर्फ पानी के स्तर कम होने पर ही हो पाते हैं।
कहा जाता है कि यही वह स्थान था जहाँ पर भगवान शिव ने पवित्र गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण किया था। (Char Dham of Uttarakhand)
केदारनाथ
यह भगवान शिव के विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक स्थान है। मंदिर के आस-पास के वातावरण में आपको एक अद्भुत और अलौकिक दिव्यता का अहसास होगा। इस शिवलिंग के दर्शन करने से आपको एक विशेष प्रकार की ऊर्जा की अनुभूति होगी। ऐसा लगेगा कि आप किसी अलग ही दुनिया में आ गए हैं।
केदारनाथ मंदिर की विशालता को देखकर आपको भारत की अद्भुत संस्कृति का पता चलता है। इसकी कलाकारी भी बेहद अद्भुत है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि पांडवों ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था।
यह मंदिर चारों तरफ से बर्फ से ढकी चोटियों के बीच में स्थित है। इस मदिर ने अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं को झेला है , परन्तु इसके बाद भी इसके मूल आकार में परिवर्तन नहीं हुआ है। जोकि इसकी वास्तुकला और भारत की महान संस्कृति को बताता है।
बद्रीनाथ
Char Dham of Uttarakhand: बद्रीनाथ को जगत पालन कर्ता भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। इसका एक नाम बद्रीनारायण भी प्रसिद्ध है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार आदि शंकराचार्य को भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति अलकनंदा नदी में मिली थी। बद्रीनाथ से आपको हिमालय की अनेक ऊँची चोटियों के अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते हैं।
इन छोटे चार धामों की यात्रा सिर्फ एक तीर्थयात्रा नहीं है। ये हमें हिमालय की अनेक चोटियों और आस-पास के प्राकृतिक दृश्यों का भी दर्शन कराती हैं। इन धामों में से प्रत्येक स्थान की अपनी पौराणिक कथा और विशेषता है जोकि यात्रा के अनुभव को और भी रोमांचक बनाती है। इन धामों की यात्रा यमुनोत्री से शुरू की जाती है और बद्रीनाथ में समाप्त होती है।
अगर देखें तो यहयात्रा जीवन के एक चक्र को दर्शाती है। सभी को अपने जीवन में एक बार तो जरूर इन धामों की यात्रा करनी चाहिए। इससे आपको अपने आप के बारे में और जीवन के महत्व को अधिक बारीकी से जानने और समझने का मौका मिलेगा।
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