Chaitra Navratri Saptami Vrat 2025- इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से प्रारंभ हुई और इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर भक्तों के घर पधारी है।
9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रों की इस विशेष पर्व में प्रतिदिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जा रही है। इस साल तृतीया तिथि के क्षय के कारण नवरात्रि आठ ही दिनों की है।
नवरात्रि के दौरान महा सप्तमी, महा अष्टमी और महानवमी सबसे खास होती है। इन तिथियों में विशेष पूजा, हवन और कन्या पूजन किया जाता है।
चलिए जानते हैं इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में एक नवरात्रि घटने के कारण सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा और देवी कालरात्रि कि पूजा का शुभ मुहूर्त व विधि क्या है।
Chaitra Navratri Saptami Vrat 2025- नवरात्रि सप्तमी शुभ मुहूर्त 2025
- नवरात्रि सप्तमी व्रत 4 अप्रैल दिन शुक्रवार को रखा जाएगा ।
- सप्तमी तिथि शुरू = 3 अप्रैल रात्रि 9:41 मिनट ।
- सप्तमी तिथि समाप्त = 4अप्रैल रात्रि 8: 12 मिनट।
- अभिजीत मुहूर्त = दोपहर 12:05 से दोपहर 12:54 तक।
- ब्रह्म मुहूर्त = प्रातः काल 4: 03 से प्रातः काल 5:31 तक।
नवरात्रि के सप्तमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती हैं?
नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि देवी महाकाली की ही एक रूप हैं और उन्हें शक्ति और बल की देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद मिलती है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
इस दिन, भक्तों को माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए इन विधियों का पालन करना चाहिए:
- स्नान और पूजा की तैयारी: सुबह उठकर स्नान करने के बाद, माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए एक शुद्ध और पवित्र स्थल पर बैठें।
- माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र की स्थापना: माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उन्हें पुष्प, फल, और मिष्ठान समर्पित करें।
- माँ कालरात्रि की आरती और मंत्रों का जाप: माँ कालरात्रि की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- माँ कालरात्रि की कथा का श्रवण: माँ कालरात्रि की कथा सुनें और उनके महत्व को समझें।
- माँ कालरात्रि से प्रार्थना: अंत में, माँ कालरात्रि से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करें।
इस प्रकार, नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा करके, भक्त अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद पा सकते हैं और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
सप्तमी तिथि में कौन सा भोग लगाएं
नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा के दौरान, भक्तों को इन चीजों का भोग लगाना चाहिए।
माँ कालरात्रि के लिए भोग:
- गुड़ और चना: माँ कालरात्रि को गुड़ और चना बहुत पसंद है, इसलिए इन्हें भोग के रूप में चढ़ाना चाहिए।
- पूरी और सब्जी: माँ कालरात्रि को पूरी और सब्जी का भोग भी पसंद है, इसलिए इन्हें भी भोग के रूप में चढ़ाना चाहिए।
- फल और मिष्ठान: माँ कालरात्रि को फल और मिष्ठान भी पसंद है, इसलिए इन्हें भी भोग के रूप में चढ़ाना चाहिए।
- दूध और दही: माँ कालरात्रि को दूध और दही का भोग भी पसंद है, इसलिए इन्हें भी भोग के रूप में चढ़ाना चाहिए।
इन चीजों का भोग लगाने से माँ कालरात्रि प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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