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Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi 2025: चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय रखें इन बातों का ध्यान।

Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi 2025: चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय रखें इन बातों का ध्यान।

Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi 2025

Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पावन पर्व का बड़ा ही विशेष महत्व होता है पंचांग के अनुसार प्रत्येक साल में कुल चार बार नवरात्रि का पावन पवित्र पर्व आता है।

जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है वही गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। साथ ही अन्य दो नवरात्रि को चैत्र और शारदीय नवरात्रि कहा जाता है जिनका हिंदू धर्म में बड़ा ही विशेष महत्व होता है।

Chaitra navratri kalash sthapana vidhi 2025

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन इंद्र योग और रेवती नक्षत्र का सहयोग भी रहेगा, साथ ही इस साल चैत्र नवरात्रि के शुरुआत का दिन रविवार होगा इसलिए मां दुर्गा इस बार चैत्र नवरात्रि में हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी।

हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व होता है और इस बार उनका हाथी पर सवार होना विशेष शुभ संकेत माना जा रहा है क्योंकि हाथी को भारतीय संस्कृति में सुख शांति स्मृति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

आइए अब जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें और कलश स्थापना करने की विधि क्या है ?

Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi 2025: कलश स्थापना करते समय रखे कुछ खास बातों का ख्याल

 

1.सही मुहूर्त

कलश स्थापना के लिए सबसे महत्वपूर्ण है शुभ मुहूर्त का चयन करना ऐसे में शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त या फिर चौघड़िया के शुभ समय में कलश स्थापना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

इसके अलावा यदि प्रतिपदा तिथि दो दिनों तक हो तो जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो उस दिन घटस्थापना करना बेहद ही शुभ माना जाता है।

ऐसे में आपको इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए की कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें ऐसा करने से आपको मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होगी और आपको नवरात्रि में पूजा पाठ करने का पूर्ण फल प्राप्त होगा।

2. शुद्धता और स्वच्छता

Chaitra navratri kalash sthapana vidhi 2025

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले चाहे फिर आप पूजा पाठ कर रहे हो या फिर और कुछ कर रहे हो शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक होता है।

ऐसे में नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना करने से पहले पूरे घर की अच्छे से साफ सफाई करें और विशेष रूप से उस स्थान को शुद्ध करें जहां पर आप घटस्थापना करने वाले हैं।

अब जहां पर कलश स्थापना कर रहे हैं उस जगह को गंगाजल से शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि गंगाजल में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा होती है।

ऐसे में आपको स्नान करने वाले पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करें साथ ही महिलाएं लाल या पीले वस्त्र धारण करें क्योंकि ये देवी दुर्गा का प्रिय रंग माना जाता है ऐसा करने से मां दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती है और साधक के अन्न धन के भंडार भर देती है।

3.उचित स्थान

कलश स्थापना के लिए स्थान का चयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि ये भी महत्वपूर्ण होता है कि आप कलश स्थापना किस दिशा में कर रहे हैं किस स्थान पर कर रहे हैं।

ऐसे में आपको इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कि वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा स्थल को उत्तर पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है।

उत्तर पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है ऐसे में यदि घर में मंदिर है तो कलश को मंदिर में स्थापित करें।

अन्यथा उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में एक स्वच्छ और शांत स्थान पर चौकी रखकर स्थापना करें ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

4.पूजन सामग्री

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कलश स्थापना के लिए कुछ आवश्यक पूजन सामग्रियों की भी आवश्यकता होती है। क्योंकि इन सामग्रियों के बिना कलश स्थापना अधूरी मानी जाती है।

इन पूजा सामग्री में तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, गंगाजल आम के पत्ते ,नारियल, मौली, सुपारी ,चावल ,दूर्वा, सिक्का, हल्दी, कुमकुम, पुष्प पंचामृत आदि प्रमुख हैं।

कलश में गंगाजल भरने से कलश पवित्र हो जाता है और उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आम के पत्तों को कलश के चारों ओर इस प्रकार लगाएं कि उनका मुंह बाहर की ओर निकला रहे।

ऐसा करने के बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली बांधे और उसे कलश के ऊपर रखें। लेकिन यह कार्य करते हुए शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए नहीं तो आपको शुभ परिणाम की जगह अशुभ परिणाम देखने को मिलेंगे।

5. जौ

कलश स्थापना के दौरान जौ बोने की परंपरा भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसके बिना पूजा अर्चना करने का फल प्राप्त नहीं होता है और आप इस गलती की वजह से मां दुर्गा की कृपा से भी वंचित रह सकते हैं।

जिससे आपको जीवन में अशुभ परिणाम देखने को मिलेंगे ऐसे में नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के दिन पूजा स्थल पर मिट्टी की परात में स्वच्छ मिट्टी डाले और उसमें जौं के बीज बो दें।

Chaitra navratri kalash sthapana vidhi 2025

साथ ही इन जो को प्रतिदिन जल अर्पित करें और आपको विशेष रूप से यह ध्यान रखना है कि यह सूखने ना पाए इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों में यह जो अंकुरित होकर बढ़ते हैं यह शुभता और उन्नति का प्रतीक माने जाते हैं।

यह भी मान्यता है कि जौ के बढ़ने की गति से घर की सुख समृद्धि और सुख शांति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में यदि जौ हरे भरे और लंबे होते हैं तो ये अत्यंत शुभ संकेत होता है क्योंकि हरे भरे जौ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लेकर आते हैं। और यह मां दुर्गा की कृपा दिलाने में सहायक होते हैं।

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