Chaitra Navratri Fourth Day Puja Vidhi- पौराणिक कथाओं के अनुसार नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी मां कुष्मांडा को समर्पित है। मां दुर्गा की 9 अद्भुत और चमत्कारिक शक्तियों में ये चौथी शक्ति है।
कहते हैं की मां ने अपनी मंद मुस्कान से समूचे ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए इन्हें कूष्मांडा कहा गया। ज्योतिष अनुसार चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी के दिन वरद विनायक चतुर्थी व्रत भी किया जाता है।
इस दिन मां कुष्मांडा के साथ गणेश जी की पूजा करने से कोई भी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। आईए जानते हैं अब चौथे नवरात्रि के पूजा के शुभ मुहूर्त, विधि और कथा के बारे में।
Chaitra Navratri Fourth Day Puja Vidhi- चौथा नवरात्रि शुभ मुहूर्त 2025
चैत्र नवरात्रि का चौथा नवरात्रि व्रत 1 अप्रैल दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेंगे। इस दिन मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
साथ ही इसी दिन वरद विनायक चतुर्थी व्रत प्रीति योग और सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग बनेगा। वही चतुर्थी तिथि शुरू होगी 1 अप्रैल प्रातः काल 5:42 से और समाप्त होगी 2 अप्रैल प्रातः काल 2:32 पर।
मां कुष्मांडा पूजा के शुभ मुहूर्त
पूजा का अभिजीत मुहूर्त = दोपहर 12:06 से दोपहर 12:55 तक।
पूजा का ब्रह्म मुहूर्त=प्रातः काल 4:45 से प्रातः काल 5:33 तक।
पूजा का अमृत काल= प्रातः काल 6:50 से प्रातः काल 8:15 तक।
जानिए देवी कूष्मांडा के शुभ रंग ,भोग और फूलों के बारे में।
मां दुर्गा के इस चौथा रूप को कुष्मांडा के अलावा अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनके हाथों में धनुष ,बाण ,चक्र, गदा, अमृत कलश कमल और कमंडल सुशोभित है।
मान्यता है कि संसार की रचना से पहले जब चारों ओर घना अंधेरा था तब देवी के रूप से ब्रह्मांड का सृजन हुआ। मां कुष्मांडा का मतलब है कुम्हड़ा यानी वह फल जिस से पेठा बनता है।
आज के दिन कुम्हड़ा अर्पित करने से मां कुष्मांडा बेहद प्रसन्न होती है। माता के इस रूप को हरा या पीला रंग बेहद प्रिय है। मां का प्रिय फुल पीला गेंदा और पीला कमल है। आज के दिन मां को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए।
चौथा नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा के लिए सुबह स्थान के बाद स्वच्छ होकर मां की पसंदीदा हरे या पीले रंग का वस्त्र धारण करें।मान्यता है कि कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
पूजा स्थल को गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें और पूजा से पहले गणेश जी व समस्त देवी देवताओं के आह्वान कर मां कुष्मांडा का ध्यान करते हुए मां को पीला रंग के फूल, सिंदूर, धूप ,दीप ,अक्षत ,हरी इलायची और हरी सौंफ अर्पित करें।
चौथा नवरात्रि व्रत कथा
पौराणिक कथा अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब देवी कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि स्वरूप आदि शक्ति हैं।
ये सूर्य मंडल में निवास करती हैं। इनके शरीर की कांति और प्रभावी सूर्य के समान है। मां कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है।
मां कुष्मांडा के सात हाथों में चक्र ,गदा, धनुष ,कमंडल और अमृत से भरा हुआ कलश बाण और कमल का फूल है तथा आठवे हाथ में जपमाला है जो सभी प्रकार के सिद्धियों से युक्त हैं इस दिन मां कुष्मांडा की उपासना से आय, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
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