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Chaitra Navratri 2024: जानिए इस चैत्र नवमी माता दुर्गा के नौ रूपों को 9 दिन कौन कौन से भोग लगा सकते हैं ।

Chaitra Navratri 2024: जानिए इस चैत्र नवमी माता दुर्गा के नौ रूपों को 9 दिन कौन कौन से भोग लगा सकते हैं ।

Chaitra Navratri 2024

Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म लोगों के लिए राम नवमी का दिन बेहद ख़ास होता हैं क्योंकि इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ चैत्र महीने में नवें दिन यानी नवमी तिथि पर कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया था इसलिए इस दिन को श्री राम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं रामनवमी चैत्र नवरात्रि नवमी के दिन पड़ती है ।

Chaitra navratri 2024

 

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवें दिन माँ दुर्गा का और भगवान राम की पूजा का विशेष महत्त्व माना गया हैं ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने भी युद्ध में जीत हासिल करने के लिए देवी दुर्गा की उपासना की थी इसलिये नवरात्रि के नवमी तिथि पर देवी दुर्गा और भगवान राम दोनों की पूजा की जाती हैं।

Chaitra Navratri 2024: जानिए चैत्र रामनवमी क्यों मनायी जाती हैं।

 

 

हिंदू धर्म ग्रंथो में भगवान राम और उनके तीनों भ्राताओं के जन्म को लेकर एक पौराणिक कथा बताई गई है।इसके अनुसार राजा दशरथ की तीनों रानियां, कौशल्या, सुमित्रा और कैकई में से तीनों को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी।तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। प्रसाद में यज्ञ से निकली खीर को तीनों रानियां को खिला दिया गया।कुछ समय के पश्चात राजा दशरथ के घर में खुशखबरी सुनने को मिली यानी तीनों रानियां ने गर्भधारण किया।

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उसके बाद चैत्र शुक्ल नवमी के दिन कौशल्या माता ने राम कैकेयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण,शत्रुध्न को जन्म दिया। राजा दशरत को अब उनके उत्तराधिकारी मिल चुके थे तबसे ये तिथि राम नवमी के रूप में मनायी जाती हैं।

जानिए इस Chaitra Navratri 2024 में माता दुर्गा के नौ रूपों को 9 दिन कौन कौन से भोग लगाए।

Chaitra navratri 2024

 

जिस प्रकार नवरात्रि में माता की अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है उसी प्रकार इन 9 दिनों में माता के प्रतेक दिन के अनुसार भोग प्रसाद भी अर्पित करने से देवी माँ प्रसन्न होती है और सभी प्रकार की समस्याओं का नाश करती हैं।

1. पहला दिन

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नवरात्रि के पहले दिन यानी माँ शैलपुत्री का दिन इस दिन देवी माँ के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता हैं इसलिए गाय के घी से बनी हुई कोई भी चीज का भोग लगाना चाहिये ।

2. दूसरा दिन

नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन देवी को चीनी का भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं। देवी के चरणों में यह भोग अर्पित करने और फिर परिवार के सदस्यों में बांटने से सभी की आयु बढ़ती है। इसलिए इस दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए।

3. तीसरा दिन

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नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन देवी को दूध या दूध से बनी मिठाई जैसे खीर का भोग लगाना और ब्राह्मणों को दान करना शुभ माना जाता है। इससे दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है।

4. चौथा दिन

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन देवी मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन देवी को मालपुए का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं। उस भोग को मंदिर के ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए। ऐसा करने से न केवल बुद्धि का विकास होता है बल्कि निर्णय लेने की शक्ति भी बढ़ती है।

5. पाँचवा दिन

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नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंद माता को समर्पित है। इस दिन देवी को केले या नैवैध का भोग लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आपको स्वस्थ और निरोगी काया की प्राप्ति होती है।

6. छठा दिन

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नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना जाता है। इस दिन देवी को शहद का भोग लगाएं और इस से देवी मां की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी।

7. सांतवा दिन

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं। इस दिन देवी को गुड़ का नैवैध चढ़ाकर ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है और भविष्य में आने वाले संकटों से भी रक्षा होती है।

8.आठवाँ दिन

आठवें दिन देवी के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। देवी महागौरी का रंग बहुत गोरा है। उनकी चार भुजाएं हैं और वे बैल की सवारी करती हैं। इस दिन देवी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। नारियल का दान भी करना चाहिए और मंदिर में भी नारियल चढ़ाना चाहिए।

इससे संतान संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

9. नवाँ दिन

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नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जिन्हें सिद्धियां देने वाली माना जाता है। इस दिन मां भवानी को घर में बने हलवे, पूरी, चने और खीर का भोग लगाएं और कंजक की पूजा करें। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Image Source: Unsplash 

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