Cabinet Approves One Nation One Election: भारत में पिछले कई लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान यह बात हमेशा उठती रही है कि भारत में वन नेशन वन इलेक्शन लागू होना चाहिए।
इसके पीछे देश के अलग अलग राज्यों में होने वाले चुनावों में लगने वाला समय और जनता के पैसे को प्रमुख कारण बताया जाता रहा है। विभिन्न नेताओं और राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में व्यर्थ में पैसे और समय की बरबादी को विकास में बाधक बताया है।
Cabinet Approves One Nation One Election: अक्टूबर नवंबर में पेश हो सकता है बिल
किया था कमेटी का गठन
2024 के लोकसभा चुनाव के समय भी इस मुद्दे पर काफी बहस हुई। पिछले साल सितंबर के समय सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की रिपोर्ट को आज कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। इसके बाद अब संसद में वन नेशन वन इलेक्शन से संबंधित बिल या विधेयक आ सकता है। लेकिन अभी इसे लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
रामनाथ कोविंद है कमेटी के चेयरमैन
वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की है। उनकी ही देखरेख में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। विस्तृत रिपोर्ट को आज पीएम मोदी की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। इसके बाद सरकार सभी राज्यों और राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करके इस पर बिल पेश कर सकती है।
The Cabinet has accepted the recommendations of the High-Level Committee on Simultaneous Elections. I compliment our former President, Shri Ram Nath Kovind Ji for spearheading this effort and consulting a wide range of stakeholders.
This is an important step towards making our…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2024
सभी दलों की मंजूरी है आवश्यक
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि वन नेशन वन इलेक्शन को सभी दलों की सहमति के बिना लागू नहीं किया जा सकता है। इसीलिए अब सभी राज्यों के दलों के साथ बातचीत की प्रक्रिया को शुरू किया जायेगा।
बिल पास कराने के लिए बहुमत होना जरूरी
जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी बिल को बिना बहुमत के लागू नहीं किया जा सकता है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से बिल को बहुमत के साथ मंजूरी मिलना जरूरी है। यदि किसी भी सदन में बहुमत नहीं मिल पाता है तो फिर वह बिल पारित नहीं किया जा सकता।
Congratulations to all fellow Indians on the Central Cabinet’s approval of the ‘One Nation, One Election’ initiative. This move promises significant cost savings for the country.
Why does AIMIM and Asaduddin Owaisi Ji oppose measures that are clearly beneficial for our nation?… pic.twitter.com/4x4GYO02Vy
— Abhishek Agarwal 🇮🇳 (@AbhishekOfficl) September 18, 2024
क्यों जरूरी है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत जैसे बड़े और अधिक आबादी वाले देश में 5 सालों में कई बार चुनाव होते हैं। इनमें लोकसभा चुनाव, राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव शामिल होते हैं। बार बार चुनाव होने के कारण सरकार के ऊपर सुरक्षा और व्यवस्था की भी पूरी जिम्मेदारी होती है।
इसके अलावा चुनाव की सुरक्षा में कई बार सेना के जवानों की नियुक्ति भी करनी पड़ती है, जिसके कारण सेना का खर्च भी बढ़ जाता है। इन सभी को कम करने के लिए ही वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करना जरूरी है।
पहले भी हो चुके हैं एक साथ कई चुनाव
भारत के आजाद होने के बाद भी कई बार लोकसभ और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 1957, 1962 के अलावा 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए हैं।
आखिर कैसे होगा चुनाव
रामनाथ कोविंद समिति ने लगभग 18 हजार से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है जिसमें इसे अमल में लाने के हर उपाय को विस्तार से बताया गया है। कमेटी के अनुसार अगर वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करना है तो संविधान में कई संशोधन करने पड़ेंगे। इसमें कुछ परिवर्तन राज्यों को भी करना होगा जिससे यह प्रक्रिया आसान हो सके।
कुछ पार्टियां तैयार तो कुछ विरोध में
वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने को लेकर जहां देश की कुछ पार्टियां केंद्र के साथ हैं तो वहीं कांग्रेस के अलावा लगभग 15 दल इसके विरोध में हैं। कुछ दल ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी तक कोई जवाब नही दिया है।
नवंबर में वन नेशन वन इलेक्शन से संबंधित बिल संसद में पेश किया जा सकता है। हालांकि उससे पहले राजनीतिक दलों की मंजूरी मिलना जरूरी है।
Image: Twitter
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