Bihar Domicile Policy 2025: बिहार सरकार ने राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में घोषणा की है कि आगामी TRE-4 (Teacher Recruitment Exam-4) से नई डोमिसाइल नीति (Domicile Policy) लागू की जाएगी।
इस नीति के तहत अब शिक्षक भर्ती में बिहार के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी और बाहरी अभ्यर्थियों के अवसर सीमित हो जाएंगे।
Bihar Domicile Policy 2025 का मुख्य उद्देश्य।
सरकार का दावा है कि यह कदम राज्य के युवाओं को नौकरी में न्यायसंगत अवसर देने के लिए उठाया गया है। लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि बिहार की सरकारी नौकरियों में बाहरी राज्यों के लोग चयनित हो रहे हैं, जबकि स्थानीय अभ्यर्थी बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। नई Domicile Policy के तहत 84.4% सीटें केवल बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित होंगी।
किसे मिलेगा डोमिसाइल का लाभ?
Domicile Policy के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को केवल डोमिसाइल सर्टिफिकेट बनवाने से लाभ नहीं मिलेगा। बल्कि सरकार ने पात्रता की एक अलग शर्त तय की है – जिस उम्मीदवार ने 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाएं बिहार के किसी बोर्ड या संस्थान से उत्तीर्ण की हों, वही इस नीति के तहत लाभ के योग्य माना जाएगा।
कुल 100 रिक्त पदों के आधार पर नियुक्ति से संबंधित प्रतिवेदन || Domicile Policy pic.twitter.com/BVFAvETkey
— Bihar STET|TRE Qualified Team🇮🇳 (@STET_QUALIFIED) August 5, 2025
इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति बिहार का मूल निवासी तो है, लेकिन उसकी स्कूली शिक्षा बिहार से बाहर हुई है, तो उसे डोमिसाइल आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इसके उलट यदि कोई बाहरी राज्य का निवासी है, लेकिन उसने बिहार से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की है, तो उसे लाभ मिल सकता है।
आरक्षण संरचना का विवरण
सरकारी शिक्षक भर्ती में लागू आरक्षण संरचना इस प्रकार होगी:
BPSC TRE-Complete Information On Domicile Policy ACS एस. सिद्धार्थ
( 84.4 % Reserved 15.6% Unreserved).#DomicilePolicy #bihar pic.twitter.com/ZQDaw1UhDC— बेसिक शिक्षा सूचना केंद्र (@Info_4Education) August 5, 2025
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SC/ST/BC/EBC वर्ग के लिए पहले से निर्धारित आरक्षण लागू रहेगा (करीब 50%)
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EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) को 10% आरक्षण मिलेगा
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शेष 40% सीटें अनारक्षित होंगी, जिनमें:
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35% आरक्षण महिलाओं के लिए तय किया गया है, पर यह केवल बिहार की महिलाओं पर लागू होगा
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40% सीटें उन उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगी, जिन्होंने 10वीं और 12वीं बिहार से पास की हो
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इस तरह पूरी प्रक्रिया को देखें तो 84.4% सीटें बिहार से पढ़े लिखे उम्मीदवारों के लिए ही सुरक्षित हो जाती हैं, और बाहरी राज्य के उम्मीदवारों के लिए महज 15.6% सीटें ही बचती हैं।
छात्रों का विरोध और मांगें
नीतीश सरकार की यह नीति एक तरफ जहां राज्य के छात्रों को राहत देती है, वहीं दूसरी ओर कई छात्र संगठन इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। हाल ही में पटना में छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए 100% डोमिसाइल आरक्षण की मांग की।
Bihar Domicile Policy: बिहार में डोमिसाइल नीति पर मुहर…शिक्षकों की बहाली स्थानीय नीति के तहत होगी …बिहार सरकार के फैसले से अभ्यर्थियों में उत्साह#BiharNews #DomicilePolicy pic.twitter.com/ycpEyCM0mC
— Zee Bihar Jharkhand (@ZeeBiharNews) August 5, 2025
उनका कहना था कि बिहार की सरकारी नौकरियों में केवल बिहारवासियों को ही मौका मिलना चाहिए। कई छात्र संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाते हुए कहा कि यदि सभी राज्य ऐसा कदम उठा सकते हैं, तो बिहार क्यों नहीं?
राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मुद्दा अब धीरे-धीरे एक बड़ा राजनीतिक मसला बनता जा रहा है। जहां एनडीए सरकार इसे युवाओं के हित में लिया गया एक मजबूत फैसला बता रही है, वहीं विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेता इसे चुनाव से पहले जनता को बहलाने की रणनीति करार दे रहे हैं।
नीतीश कुमार ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में कहा,
“हमारे राज्य के लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। लेकिन यह भी सुनिश्चित करना है कि संविधान के दायरे में रहकर फैसला लिया जाए।”
उन्होंने साथ ही कहा कि यह मुद्दा अब आगे तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेताओं की जिम्मेदारी है, इशारों में यह संकेत दिया कि वे इस मुद्दे पर खुला राजनीतिक विमर्श चाहते हैं।
TRE-4 और TRE-5 में लागू होगी नीति
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि Domicile Policy अभी से लागू हो गई है और आगामी TRE-4 शिक्षक भर्ती परीक्षा (2025) में इसका प्रभाव दिखेगा। साथ ही TRE-5 (2026) के लिए भी यह नीति लागू रहेगी। इसके अलावा STET परीक्षा का आयोजन पहले किया जाएगा, जिससे शिक्षक बनने की दिशा में पहला कदम तय होगा।
बिहार सरकार की Domicile Policy ने एक बड़ा बदलाव लाया है। यह फैसला स्थानीय युवाओं को नौकरियों में स्पष्ट प्राथमिकता देगा, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि पूरी प्रक्रिया कानूनी दायरे में रहे। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीति को लेकर छात्र संगठनों, विपक्ष और न्यायिक संस्थाओं का क्या रुख रहता है।
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