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Beating Retreat Ceremony 2025- बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ हुआ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

Beating Retreat Ceremony 2025- बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ हुआ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

Beating Retreat Ceremony 2025

Beating Retreat Ceremony 2025- हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले समारोहों का समापन 29 जनवरी को विजय चौक पर हुए भव्य बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम के साथ हुआ।

भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव बीटिंग रिट्रीट का आयोजन गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद शाम को विजय चौक, नई दिल्ली में किया जाता है, जिसमें सैन्य और अर्धसैनिक बैंडों द्वारा मनमोहक और प्रेरक धुनें बजाई जाती हैं।

Beating Retreat Ceremony 2025- बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ हुआ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

Beating retreat ceremony 2025

क्या है बीटिंग रिट्रीट

यह समारोह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जिसमें सैनिक लड़ाई बंद कर देते हैं, अपने हथियार डाल देते हैं, युद्ध के मैदान से हट जाते हैं और अपने शिविरों में लौट आते हैं।

सूर्यास्त के समय मनाया जाने वाला बीटिंग रिट्रीट समारोह भारत में गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का प्रतीक है। इसकी अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति, सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर करते हैं। इस समारोह में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, मंत्री, शीर्ष अधिकारी और आम जनता शामिल होती है।


पिछले कुछ वर्षों में यह एक भव्य आयोजन के रूप में विकसित हुआ है जो राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, तथा इसकी पहचान ध्वज की औपचारिक परेड से होती है।

क्या है रिट्रीट का इतिहास

गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान होने वाला ‘बीटिंग द रिट्रीट’ कार्यक्रम आज राष्ट्रीय गौरव बन चुका है। 1950 में इसकी शुरुआत हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस अनोखे समारोह का ढाँचा विकसित किया था, जो आज तक वैसा ही चला आ रहा है।

समारोह में राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हैं। कार्यक्रम का समापन करने से पहले प्रमुख बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं।


शाम 6 बजे बिगुल पर रिट्रीट की धुन बजाई जाती है और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को ससम्मान उतार कर राष्‍ट्रगान गाया जाता है। इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है।

यह सैन्य समारोह 17 वीं शताब्दी में इंग्लैंड में शुरू हुआ था, इसे मूल रूप से आस-पास की निगरानी कर रही सेना की टुकड़ियों को महल में वापस बुलाने के लिये इस्तेमाल किया जाता था। इसे “वॉच सेटिंग” के रूप में जाना जाता था और शाम को बंदूक से एक राउंड फायर करके सूर्यास्त के समय इसकी शुरुआत की जाती थी।

भारत में, यह समारोह पहली बार 1950 के दशक में महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस फिलिप की राजकीय यात्रा के दौरान आयोजित किया गया था। तब से, यह भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिये हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर मनाया जाता है।

बजती हैं भारतीय धुनें

भारत के अनुसार समय समय पर इस समारोह में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पहले जब ब्रिटिश धुनें भी बीटिंग रिट्रीट में बजाई जाती थी तो अब इस समारोह में सिर्फ भारतीय धुनों को ही सेना के अलग अलग बैंड बजाते हैं।


2016 में 26 में से 20 प्रस्तुतियाँ भारतीय संगीतकारों द्वारा रचित थीं, जो स्वदेशी संगीत की ओर बदलाव को दर्शाता है। आजकल, भाग लेने वाले बैंडों द्वारा केवल भारतीय धुनें बजाई जाती हैं।

साल 2022 में, केंद्र सरकार ने “एबाइड विद मी” को हटा दिया, जिसे महात्मा गांधी का “पसंदीदा भजन” कहा जाता है। समारोह में भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के बैंड द्वारा संगीतमय प्रदर्शन किया जाता है।

बीटिंग द रिट्रीट-2025

इस वर्ष के समारोह में भारतीय धुनों की प्रधानता रही। विजय चौक पर 30 धुनों के साथ सेना, नौसेना, वायुसेना और राज्य पुलिस तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) के बैंड ने मनोरम संगीत प्रस्तुति दी।

सभी धुनें भारतीय संगीतकारों ने तैयार की थीं, जिनमें थ्री डाइमेंशनल पॉवर, मशाल, निशांक निष्पद, एंकर, स्प्रेड द लाइट ऑफ फ्रीडम, रिदम ऑफ द रीफ, जय भारती, वीर सपूत के अलावा ताकत वतन की हम से है, ध्रुव और एक पेड़ माँ के नाम शामिल हैं।


इसके अलावा बैंड के जवानों ने इस दौरान अलग अलग व्यूह रचना की झलक भी दिखाई। आयोजन का समापन ‘जन गण मन’ के साथ हुआ।

आकर्षण का केंद्र

हर साल 26 जनवरी के समापन समारोह के तौर पर मनाया जाने वाला यह कार्यक्रम चार दिन के गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है। इस साल कुल 30 बैंड इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।

अपनी मनोरंजक प्रस्तुति से भारतीय सेना के अलग अलग बैंडों ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी सहित कैबिनेट मिनिस्टर और जनता ने तालियों के साथ सेना का सम्मान किया।

Beating retreat ceremony 2025

सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है बीटिंग द रिट्रीट

दरअसल, ‘बीटिंग द रिट्रीट’ सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक लड़ाई समाप्त कर अपने शस्त्र रख देते थे और सूर्यास्त के समय युद्ध के मैदान से शिविरों में वापस लौट आते थे। यह ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है और इसे सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है।

Beating retreat ceremony 2025

भारत में दो बार ऐसा हुआ है जब इसका आयोजन नहीं किया गया। पहली बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप की वज़ह से ऐसा करना पड़ा और दूसरी बार 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का निधन हो जाने पर इसे टाला गया था।

भव्य तरीके से समाप्त हुआ आयोजन

विजय चौक पर आयोजित बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन बहुत। ही शानदार और भव्य तरीके से किया गया। इस दौरान सेना के अलग अलग बैंडों ने खास और शानदार धुनों को बजाकर सभी देशवासियों को गौरवान्वित किया।

इस समारोह के महत्त्व का पता इस बात से चल जाता है कि इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित सेना प्रमुख और कैबिनेट मंत्री भी शामिल हुए।


इमेज सोर्स: Twitter

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