फैक्ट्स
Amazing Facts About Pacific Ocean: दुनिया के सबसे बड़े और विशालकाय प्रशांत महासागर से जुड़े कुछ हैरान कर देने वाले फैक्ट्स।
Amazing Facts About Pacific Ocean: हमारे ब्रह्मांड का फैलाव इतना अनंत है कि यहां जब भी खोज होती है, हर बार कुछ हमें नया मिलता है। लेकिन इसके अलावा हमारी पृथ्वी में भी कई ऐसी जगह है जो कि असीम है। समुद्र एक ऐसी जगह है जिसके बारे में जितना खोज किया जाए कम है। इसकी गहराई में कई ऐसे राज छुपे हैं जिसकी खोज अभी तक नहीं हो पाई है।
हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग समुद्र से घिरा हुआ है इसीलिए हमारी पृथ्वी नीली दिखाई पड़ती है और इसी वजह से हमारी पृथ्वी को ब्लू प्लेनेट भी कहा जाता है। हमारी पृथ्वी पर कुल पांच महासागर मौजूद हैं जिनका नाम प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, दक्षिणी महासागर, आर्कटिक महासागर एवं हिंद महासागर है। जिनमें से प्रशांत महासागर सबसे बड़ा महासागर माना जाता है। आज हम प्रशांत महासागर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्यों (Amazing Facts About Pacific Ocean) के बारे में बताएंगे जो आपने शायद ही कभी सुना होगा।
Amazing Facts About Pacific Ocean: प्रशांत महासागर से जुड़े कुछ रहस्य।
1.प्रशांत महासागर का नाम।
प्रशांत महासागर का नाम पुर्तगाल के रहने वाले एक शख्स मैगलन ने रखा था। मैगलन वही व्यक्ति है जिन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले दल का नेतृत्व किया था। आपको बता दे जब यह दल तूफानी अटलांटिक महासागर को पार करके प्रशांत महासागर में आया तो प्रशांत महासागर का जल अटलांटिक महासागर की तुलना में काफी शांत था। इसीलिए इसका नाम प्रशांत महासागर पड़ा।
2.प्रशांत महासागर का क्षेत्रफल।
दुनिया के सबसे विशालकाय महासागर का क्षेत्रफल 16,57,23,740 वर्ग मील है अर्थात इसका क्षेत्रफल अटलांटिक महासागर के दो गुना क्षेत्रफल से भी अधिक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पृथ्वी के संपूर्ण क्षेत्रफल का लगभग 32% और जल क्षेत्र के लगभग 46% भाग पर फैला हुआ है।
3.धरती की सबसे गहरी जगह।
मरियाना ट्रेंच धरती की सबसे गहरी जगह है जहां समुद्र की गहराई 10,898 मीटर से 10,916 मीटर तक है। यानी कि लगभग 11 किलोमीटर की गहराई तक है और अगर हम माउंट एवरेस्ट से इसकी तुलना करें तो माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई धरती की सतह से 8,848 मीटर है जबकि मरियाना ट्रेंच की गहराई समुद्री सतह से 10,916 मीटर गहरी है। यानी माउंट एवरेस्ट से मरियाना ट्रेंच 2,068 मीटर तब ज्यादा गहरा है और कमाल की बात तो यह है कि यह धरती की सबसे गहरी जगह मरियाना ट्रेंच कहीं और नहीं बल्कि प्रशांत महासागर में ही स्थित है।
4.दुनिया का सबसे बड़ा महासागर।
शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रशांत महासागर इतना बड़ा महासागर है कि इस महासागर में भी कई प्रकार के सागर मौजूद है। जैसे बेरिंग सागर, ओखोटस्क सागर, जापान सागर, कोरल सागर, अराफुरा सागर, तस्मान सागर, पूर्वी चीन सागर एवं दक्षिणी चीन सागर यह सभी सागर प्रशांत महासागर में ही पाए जाते हैं।
5.कई समुद्री जीवों का घर।
प्रशांत महासागर कई सारे समुद्री जीवों का घर है जिनमें से कुछ समुद्री जीव ऐसे हैं जो पूरे दुनिया में केवल प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में ही पाए जाते हैं। जैसे की किलर व्हेल यह सिर्फ और सिर्फ प्रशांत महासागर में ही पाई जाती हैं। इतना ही नहीं सफेद डॉल्फिन भी सिर्फ प्रशांत महासागर में पाई जाती हैं जो किलर व्हेल का सबसे पसंदीदा भोजन है।
6.विशालकाय ऑक्टोपस।
They found a giant octopus on the shore of Bali in Indonesia 🇮🇩 I’m not sure if this is real or not 🤔 pic.twitter.com/CYmMGSRJ4R
— Total Randomness (@Totalrandome) June 4, 2024
प्रशांत महासागर में एक विशालकाय समुद्री ऑक्टोपस भी रहता है। जिसे समुद्री दानव भी कहा जाता है जो उत्तरी महा प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के रूस, जापान, ब्रिटिश कोलंबिया और अलास्का के समुद्री तटों पर पाया जाता है। इस विशालकाय ऑक्टोपस का वजन करीब 600 किलो और लंबाई 32 फुट के करीब है और यह प्रशांत महासागर की अनंत गहराई में पाया जाता है।
7.रिंग ऑफ़ फायर।
द रिंग ऑफ़ फायर एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सैकड़ो सक्रिय ज्वालामुखी शामिल है और यह प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में ही स्थित है। धरती की 75% ज्वालामुखी प्रशांत महासागर की बेसिन में ही पाई जाती है।
8.इतिहास का सबसे विनाशकारी ज्वालामुखी।
(Pacific Ocean) प्रशांत महासागर में एक ज्वालामुखी द्वीप है जिसे क्रोकाटोवा के नाम से जाना जाता है। 26 अगस्त 1883 को इंडोनेशिया के पास क्राकाटोवा के मुख्य द्वीप पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट को मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोटों में से एक माना जाता है। आपको बता दे इस विस्फोट में 36,417 लोगों की मौत हो गई थी।
9. कई महाद्वीपों का घर।
इस विशालकाय महासागर में 20,000 से भी अधिक द्वीप है। महाद्वीपों के निकट स्थित द्वीप महाद्वीपीय द्वीप होते हैं और यह महाद्वीपीय चट्टानों के ही बने होते हैं तथा महासागरों के मध्य स्थित द्वीप प्रवाल तथा ज्वालामुखी के प्रक्रियाओं से निर्मित होते हैं। प्रवाल भित्तीयां प्रशांत महासागर की प्रमुख विशेषता होती है।
10. दो महासागरों का आपस में न मिलना।
अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर यह दोनों महासागर अलास्का की खाड़ी में आकर मिलते हैं लेकिन सबसे हैरान करने की बात यह है कि यह दोनों आपस में मिलकर भी कभी नहीं मिलते। इन महासागरों पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि खारे पानी और मीठे पानी का घनत्व तापमान और लवणता अलग-अलग होती है जिससे यह मिक्स नहीं होते हैं।
तो वही कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियरों से पिघलने वाला पानी मीठा होता है वही समुद्र का पानी खारा होता है और जहां पर यह दोनों महासागर मिलते हैं वहां पर झाग की एक दीवार बन जाती है अलग-अलग घनत्व होने के कारण यह आपस में नहीं मिक्स हो पाते हैं।
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Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान से जुड़े कुछ अद्भुत रहस्य।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: क्या आपको पता है कि अंटार्कटिका जिसे आमतौर पर बर्फ की भूमि के नाम से जाना जाता है वह वास्तव में एक विशाल रेगिस्तान है।
जी हां, आपने सही सुना अंटार्कटिका दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है जिसमें कई अद्भुत और अनोखे तथ्य छुपे हैं। आज हम आपको दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
Facts About World’s Largest Antarctica Desert: दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान, अंटार्कटिका से जुड़े 5 अद्भुत रहस्य
1.दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान
अंटार्कटिका रेगिस्तान को आमतौर पर बर्फ की वजह से केवल एक बर्फीला क्षेत्र माना जाता है, लेकिन असल में यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। रेगिस्तान की परिभाषा के अनुसार, यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां बहुत कम बारिश होती है।
अंटार्कटिका में साल भर में केवल 200 मिमी से भी कम बारिश होती है, जिससे यह धरती का सबसे सूखा स्थान बन जाता है।
2.सबसे ठंडा स्थान
अंटार्कटिका रेगिस्तान धरती का सबसे ठंडा स्थान है। यहां अब तक का सबसे कम तापमान माइनस 128.6 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया है, जो 21 जुलाई 1983 को वॉस्टोक स्टेशन पर मापा गया था।
इतनी कड़कड़ाती ठंड में जीवन का अस्तित्व मुश्किल हो जाता है, फिर भी कुछ विशेष जीव-जंतु और वनस्पतियाँ यहां जीवित रह पाती हैं।
3.अनोखी झीलें
अंटार्कटिका में कई अनोखी झीलें हैं, जो बर्फ के नीचे छिपी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक वॉस्टोक झील है, जो लगभग 4 किलोमीटर बर्फ की परत के नीचे स्थित है।
यह झील हजारों सालों से अलग-थलग है और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें अनोखे और प्राचीन जीवों का अस्तित्व हो सकता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाए जाते।
4.सक्रिय ज्वालामुखी
अंटार्कटिका बर्फ से ढका हुआ है, लेकिन यहां पर सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं। सबसे प्रसिद्ध ज्वालामुखी माउंट एरेबस है, जो दुनिया का सबसे दक्षिणी सक्रिय ज्वालामुखी है। माउंट एरेबस में एक लावा झील भी है, जो इसको और भी रोमांचक बनाती है।
5.अद्वितीय जीव-जंतु
अंटार्कटिका रेगिस्तान में कई अद्वितीय जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं। यहां की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है अडेली पेंगुइन, जो ठंड और बर्फीली हवाओं में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, वाडेल सील और अंटार्कटिक क्रिल भी यहां के महत्वपूर्ण जीव हैं, जो समुद्री जीवन का हिस्सा हैं।
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Image: Unsplash
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7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: जानिए नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: आज नवरात्रि का छठा दिन है और आज देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। आपको बता दे देवी कात्यायनी नवदुर्गा के छठे स्वरूप में पूजनीय है। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा ने यह रूप अपने परम भक्त ऋषि कात्यायन के लिए धारण किया था।
मां दुर्गा का छठा अवतार मानी जाने वाली माता कात्यायनी अत्यंत दिव्य और बलशाली मानी जाती है। आज हम आपको नवदुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी के बारे में सात रोचक तथ्य बताएंगे, जो आपको माता कात्यायनी के महिमा से परिचित कराएंगे।
7 Interesting Facts About Goddess Katyayani: मां कात्यायनी के रूप से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1.माता कात्यायनी की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे रूप में पूजी जाती हैं। कहां जाता है माता कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के तप से हुआ था।
ऋषि कात्यायन ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था तब देवी ने ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लिया था। कहा जाता है की देवी का नाम ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने से उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा।
2.माता कात्यायनी का रूप
माता कात्यायनी चारभुजा वाली देवी है जिनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और प्रभावशाली है। उनकी चार भुजाएं हैं जो शक्ति और संकल्प का प्रतीक मानी जाती हैं। इन चारभुजा में माता कात्यायनी तलवार, कमल, अभयमुद्रा और वरमुद्रा को धारण करती हैं।
देवी कात्यायनी द्वारा उनके चारों भुजाओं में धारण किए गए वस्तुओं का महत्व कुछ इस प्रकार से है-
तलवार- मां कात्यायनी की एक भुजा में तलवार होती है जो बुराई और अधर्म को नाश करने वाली है। तलवार देवी कात्यायनी के शक्ति और साहस का प्रतीक है।
कमल- माता कात्यायनी अपनी दूसरी भुजा में कमल धारण करती है जो उनकी कोमलता और दिव्यता को दर्शाता है और यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
अभयमुद्रा- देवी कात्यायनी की तीसरी भुजा में अभय मुद्रा होती है जिससे मां कात्यानी अपने भक्तों को हर प्रकार के डर और संकट से मुक्त करती हैं। अभय मुद्रा सुरक्षा और निडरता का प्रतीक माना जाता है।
वरमुद्रा- चौथी भुजा में माता कात्यायनी वर मुद्रा को धारण करती हैं जिससे वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है और ये मां की दयालुता और करुणा का प्रतीक है।
3.महिषासुर मर्दिनी
देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
कथाओं के अनुसार माता कात्यायनी ने महिषासुर राक्षस का वध करके देवताओं को संकट से मुक्त किया था इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
4.नवदुर्गा का छठा अवतार।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का छठा अवतार माना जाता है और नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है जिसका नवरात्रि के दिनों में बहुत ही विशेष महत्व होता है।
मां कात्यायनी को नवदुर्गा का अत्यंत दिव्य और बलशाली रूप माना जाता है जो नवदुर्गा के नौ रूपों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
5.ऋषि कन्या
देवी कात्यानी को ऋषि कन्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ऋषि कात्यायन के पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है की मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को योग्यवर मिलता है इसलिए नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व होता है।
6.वेदों और शास्त्रों में उल्लेख।
माना जाता है की देवी कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन हिंदू शास्त्रों जैसे वेदों और पुराणों में किया गया है। मान्यताओं के अनुसार मार्कंडेय पुराण के देवी के महात्म्य खंड में देवी कात्यानी द्वारा दुष्ट राक्षसों का वध करने का वर्णन सामने आता है।
7.मंत्र और पूजा।
देवी कात्यायनी नवदुर्गा के साहस और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं जिनकी पूजा नवरात्रि के दिनों में बहुत विशेष महत्व रखता है।
भक्तगण यदि नवरात्रि के छठे दिन में माता कात्यायनी के बलशाली मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करते हैं तो उन्हें माता कात्यायनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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Image: Wallpaer Cave
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