World Heritage Committee 46th Session: यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 10 दिनों तक चलने वाले सत्र का शुभारंभ गुरु पूर्णिमा के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया। यूनेस्को की इस बैठक को भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है। यह सत्र 21 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा।
World Heritage Committee 46th Session: यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 46वें सत्र की शुरुआत
वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी यूनेस्को का ही एक संगठन है जो पूरे विश्व के अलग अलग देशों की सांस्कृतिक धरोहरों की देखभाल करती है।
भारत की ऐतिहासिक विरासत
सत्र का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्ध और गौरवशाली विरासत के बारे में बताते हुए कहा कि भारत की विरासत अपने आप में एक विज्ञान है। भारत के किसी भी शहर में आप जाएं, आपको ऐसी अद्भुत इमारतों के दर्शन होंगे जो सुंदर वास्तुकला के प्रतीक माने जाते हैं। यदि आप दिल्ली में ही देखें तो अनेकों प्राचीन विरासत की झलक देखने को मिल जायेगी।
India is delighted to host the World Heritage Committee. Here are a few glimpses from the programme today. Glad that the DG of @UNESCO @AAzoulay also joined the programme. pic.twitter.com/VaBhyPCLdB
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2024
प्राचीन विरासतों का केंद्र है भारत
World Heritage Committee 46th Session: अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी अत्यंत प्राचीन लौह स्तंभ को ही देख लीजिए। उसकी वास्तुकला इतनी अद्भुत और प्राचीन है कि आज तक लोहे से बने उस स्तंभ पर जंग का कोई निशान देखने को नहीं मिलता है। जबकि वह स्तंभ हजारों साल से खुले आसमान के नीचे खड़ा है।
India considers the preservation of global heritage as its responsibility. We will contribute one million dollars to the UNESCO World Heritage Centre. pic.twitter.com/ZsihDM0mKH
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2024
इसके अलावा अत्यंत प्राचीन केदारनाथ मंदिर को देखने पर भारतीय इंजीनियरिंग की अद्भुत कारीगरी की झलक मिलती है। वास्तव में यह मंदिर इतने दुर्गम पहाड़ी स्थान पर बना है कि आज के आधुनिक युग में भी वहां निर्माण करना बहुत ही मुश्किल काम है। ऐसे में आठवीं सदी में बने केदारनाथ मंदिर को पहाड़ों के बीच हर वातावरण को ध्यान में रखकर सिर्फ पत्थरों से बनाया गया है और यह मंदिर आज भी अटल है, स्थिर है।
गुजरात और दक्षिण की प्राचीन सभ्यता
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने गुजरात के धौलावीरा और लोथल की सभ्यता को आधुनिक टाउनशिप से बेहतर बताते हुए कहा कि वर्तमान समय के विज्ञानियों को ऐसे स्थानों को जरूर देखना चाहिए। (World Heritage Committee 46th Session)
ऐसे स्थानों का अध्ययन करके प्राचीन समय की कला को सीखने का इससे बेहतर अवसर नहीं मिल सकता है। वहीं दक्षिण में ऐसे कई प्राचीन मंदिर और स्थान हैं जो आज के समय में भी किसी अजूबे से कम नहीं हैं।
धौलावीरा में 3000 से 1500 बीसीई पहले जिस तरह की अर्बन प्लानिंग थी, जिस तरह का वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम और व्यवस्थाएं थीं वो 21वीं सदी में भी एक्सपर्ट्स को हैरान करते हैं। (1/2)#46WHC #AmritMahotsav pic.twitter.com/C4TSx7aYfD
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) July 21, 2024
150 देशों के प्रतिनिधि ले रहे हैं हिस्सा
10 दिनों तक चलने वाले इस 46वें सत्र में विश्व के 150 देशों के 2000 से भी ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सत्र की शुरुआत के समय यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले भी मौजूद थी।
The 46th session of the #WorldHeritage Committee has officially opened today in in #NewDelhi #India for 10 days of work!
The Committee, made of 21 countries plays an essential role in the identification and preservation of #WorldHeritage treasures.
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उनके अलावा भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पर्यटन मंत्री और राज्यों के संस्कृति मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल हुए। यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी को 1 मिलियन डॉलर का सहयोग देने की भी घोषणा की। इससे प्राचीन विरासतों की देखभाल में सहायता होगी।
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